क्या ग्रह बताते हैं आपके पिछले जन्म के अच्छे-बुरे कर्म
कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमारी ज़िंदगी में अचानक खुशियाँ या परेशानियाँ क्यों आती हैं। क्यों कुछ लोग बहुत आसानी से सफलता पाते हैं और कुछ लोग बहुत मेहनत के बाद भी संघर्ष करते रहते हैं? इसके पीछे हमारे पिछले जन्म के कर्म हो सकते हैं।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि हमारे जीवन में जो भी अच्छा या बुरा होता है, वह हमारे पिछले जन्म में किए गए अच्छे या बुरे कामों (कर्मों) का नतीजा होता है। यही कर्म हमारे जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के ज़रिए दिखाई देते हैं।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि ग्रह कैसे हमारे पिछले जन्म के कर्मों को दर्शाते हैं, कौन-से ग्रह और भाव इस बात का संकेत देते हैं, और हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।
ग्रह और कर्म का गहरा रिश्ता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रह सिर्फ खगोलीय पिंड नहीं हैं — ये हमारे कर्मों के प्रतीक हैं। जब हमारा जन्म होता है, तो उस समय ग्रहों की स्थिति हमारे पिछले जन्मों के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर तय होती है। यही ग्रह हमारे जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता, प्रेम और रिश्तों को प्रभावित करते हैं।
कौन-से ग्रह बताते हैं आपके पिछले जन्म के कर्म
शनि: आपके कर्मों का फैसला करने वाला ग्रह
- शनि को कर्मों का न्यायाधीश माना जाता है।
- अगर शनि की स्थिति आपकी कुंडली में अच्छी है, तो यह बताता है कि आपने पिछले जन्म में अच्छे काम किए थे — जैसे ईमानदारी, मेहनत और दूसरों की मदद।
- अगर शनि की स्थिति खराब है, तो यह दर्शाता है कि पिछले जन्म में आपके गलत कामों की वजह से इस जन्म में संघर्ष, रुकावटें और देर से सफलता मिल रही है।
राहु : आपकी अधूरी इच्छाएँ और लालसाएँ
- राहु पिछले जन्म की पूरी न हो सकी इच्छाओं को दिखाता है।
- अगर राहु मजबूत है, तो आपकी इच्छाएँ इस जन्म में पूरी हो सकती हैं।
- अगर राहु कमजोर या खराब स्थिति में है, तो भ्रम, गलत फैसले, लालच और असंतोष बढ़ सकता है।
केतु:आपका आध्यात्मिक सफर और सीख
- केतु पिछले जन्म के अधूरे ज्ञान और त्याग को दर्शाता है।
- मजबूत केतु ध्यान, शांति और अच्छे कामों की ओर ले जाता है।
- कमजोर केतु उलझन, अवसाद और भटकाव का कारण बनता है।
कुंडली के भाव जो आपके कर्म बताते हैं
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कुंडली के भाव |
नवम भाव : भाग्य और अच्छे कर्मों का घर
- नवम भाव आपके धर्म, भाग्य और पुण्य कर्मों को दिखाता है।
- अगर नवम भाव में गुरु या शुभ ग्रह हो, तो यह बताता है कि आपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किए हैं।
- अगर इस भाव में राहु, शनि या केतु हो, तो भाग्य में रुकावट और कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
द्वादश भाव: पिछले जन्म का घर
- यह भाव पिछले जन्म के कर्ज को दिखाता है।
- अगर इस घर में अशुभ ग्रह हैं, तो इसका मतलब है कि पिछले जन्म में किए गए बुरे कामों का असर इस जन्म में भी दिख रहा है।
छठा भाव : आपके बुरे कर्मों का फल
- यह घर रोग, ऋण और शत्रु को दर्शाता है।
- अगर इस घर में अशुभ ग्रह हों, तो यह पिछले जन्म के गलत कामों का परिणाम होता है।
पिछले जन्म के बुरे कर्मों को सुधारने के उपाय
अगर आपकी कुंडली में शनि, राहु, केतु या अशुभ ग्रहों की स्थिति कमजोर है, तो ये पिछले जन्म के बुरे कर्मों का संकेत हो सकते हैं। लेकिन ज्योतिषीय उपाय करके आप इनका असर कम कर सकते हैं।
शनि: के लिए उपाय:
- शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ।
- काले तिल, लोहे और सरसों के तेल का दान करें।
- “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।
राहु: के लिए उपाय:
- शनिवार को नारियल और काले तिल जल में प्रवाहित करें।
- “ॐ राहवे नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
केतु: के लिए उपाय:
- स्ट्रे डॉग्स को रोटी और दूध खिलाएँ।
- “ॐ केतवे नमः” मंत्र का जाप करें।
नवम भाव: को मज़बूत करने के उपाय:
- गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें।
- गुरु मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप करें।
ग्रहों की स्थिति आपके पिछले जन्म के कर्मों का प्रतिबिंब है। अगर इस जन्म में सफलता में देरी, स्वास्थ्य समस्याएँ, रिश्तों में तनाव या आर्थिक तंगी आ रही है, तो इसके पीछे पिछले जन्म के बुरे कर्मों का असर हो सकता है। लेकिन ज्योतिषीय उपाय, सही सोच और अच्छे कामों से आप अपने कर्मों को सुधार सकते हैं और भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
याद रखें, अच्छे कर्म ही अच्छे ग्रहों को सक्रिय करते हैं और जीवन में सुख, शांति और सफलता लाते हैं।