कुंडली में पितृ दोष की स्थिति कैसे पहचानें और उसे दूर करें?
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कुंडली में पितृ दोष |
पितृ दोष भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण और गंभीर दोष माना जाता है, जिसे जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों का प्रमुख कारण समझा जाता है। कहा जाता है कि जब हमारे पूर्वजों (पितृगण) की आत्मा अशांत होती है या उनके द्वारा किए गए अधूरे कर्मों का प्रभाव हमारी कुंडली पर पड़ता है, तब पितृ दोष उत्पन्न होता है। यह दोष परिवार में विनाशकारी परिस्थितियाँ, आर्थिक अस्थिरता, संतान सुख में बाधा, स्वास्थ्य समस्याएँ और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को जन्म देता है।
पितृ दोष सिर्फ एक ज्योतिषीय अवधारणा नहीं है, बल्कि यह हमारे कर्मों और पूर्वजों के प्रति कर्तव्य से भी जुड़ा हुआ है। इसे सही तरीके से पहचानकर और ज्योतिषीय उपाय अपनाकर हम अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कुंडली में पितृ दोष की स्थिति कैसे पहचानी जा सकती है, पितृ दोष होने के लक्षण क्या हैं और इसे दूर करने के लिए ज्योतिषीय उपाय कौन-से हैं।
पितृ दोष क्या है?
पितृ का अर्थ है हमारे पूर्वज या माता-पिता। पितृ दोष तब बनता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा अशांत होती है या वे अपनी संतानों से संतुष्ट नहीं होते। यह दोष पूर्वजों की असंतुष्ट आत्माओं के आशीर्वाद की कमी को दर्शाता है, जिससे जीवन में बाधाएँ और कष्ट आते हैं।
ज्योतिष में पितृ दोष को तब देखा जाता है जब कुंडली में सूर्य, चंद्रमा, राहु, केतु और शनि जैसे ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं। विशेष रूप से नवम भाव (9th House) जो पितृ भाव कहलाता है, अगर अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो, तो यह पितृ दोष का संकेत होता है।
कुंडली में पितृ दोष की स्थिति कैसे पहचानें?
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कुंडली में पितृ दोष की पहचान कुछ विशेष ग्रहों और भावों की स्थिति से की जाती है।
नवम भाव में अशुभ ग्रह- नवम भाव पितरों का घर होता है। अगर यहाँ राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे पाप ग्रह स्थित हों, तो पितृ दोष बनता है।
- नवम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों के साथ हो या अस्त हो, तो यह भी पितृ दोष का संकेत है।
- कुंडली में अगर सूर्य और राहु एक ही भाव में हों, तो इसे ग्रहण योग कहते हैं, जो पितृ दोष को जन्म देता है।
- पंचम भाव संतान का भाव है। यहाँ राहु या केतु की उपस्थिति संतान से जुड़ी समस्याओं और पितृ दोष का संकेत देती है।
- आठवाँ भाव आकस्मिक घटनाओं और पूर्वजों के कर्मों से जुड़ा होता है। यहाँ पाप ग्रहों की स्थिति पितृ दोष को दर्शाती है।
- पितृ पक्ष (श्राद्ध) के दौरान अपने पूर्वजों को जल अर्पित करें।
- गंगा जल, काले तिल और चावल से तर्पण करें।
- रोज़ या हर शनिवार को गाय को गुड़ और रोटी खिलाएँ।
- “ॐ पितृभ्यो नमः” मंत्र का रोज़ 108 बार जाप करें।
- शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
- रुद्राभिषेक कराएँ और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- काले तिल, लोहे, उड़द दाल और वस्त्रों का दान शनिवार को करें।
- पितृ दोष निवारण के लिए पंडित से विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म कराएँ।
- रोज़ कुत्तों को रोटी और पक्षियों को अनाज डालें।
पितृ दोष को एक आशीर्वाद में बदलें
हालाँकि पितृ दोष को एक गंभीर समस्या माना जाता है, लेकिन यह हमारे पूर्वजों की ओर से एक संकेत भी है कि वे चाहते हैं कि हम उनके लिए श्रद्धा और तर्पण करें। सही उपायों, श्रद्धा, सेवा और सकारात्मक कर्मों के माध्यम से हम इस दोष को एक आशीर्वाद में बदल सकते हैं।