कुंडली दोष के कारण शादी के बाद रिश्तों में तनाव: समाधान और उपाय

कुंडली दोष के कारण शादी के बाद रिश्तों में तनाव: समाधान और उपाय

Marriage due to Kundali Dosha-best astrology indore
कुंडली दोष के कारण शादी के बाद रिश्तों में तनाव

शादी के बाद वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और खुशहाली हर जोड़े का सपना होता है। लेकिन कई बार अनचाहे कारणों से वैवाहिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली दोष (जैसे मंगल दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष, ग्रहों की अशुभ स्थिति आदि) वैवाहिक जीवन में समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इस लेख में हम कुंडली दोष के कारण उत्पन्न होने वाले वैवाहिक तनाव, उनके समाधान और ज्योतिषीय उपायों पर चर्चा करेंगे।

शादी के बाद रिश्तों में तनाव के प्रमुख कारण

वैवाहिक जीवन में तनाव के पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • मंगल दोष: यदि कुंडली में मंगल अशुभ स्थान पर हो तो यह विवाह में संघर्ष, झगड़े और गलतफहमी पैदा कर सकता है।

  • कालसर्प दोष: यह दोष व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, अस्थिरता और रिश्तों में दरार उत्पन्न कर सकता है।

  • पितृ दोष: पूर्वजों के अशुभ कर्मों का प्रभाव दांपत्य जीवन में कष्ट का कारण बन सकता है।

  • शनि और राहु का प्रभाव: यदि शनि या राहु सप्तम भाव (वैवाहिक जीवन का घर) में हो, तो यह रिश्तों में गलतफहमी और कड़वाहट ला सकता है।

  • कुंडली मिलान न होना: विवाह से पहले अगर कुंडली का सही मिलान न किया जाए, तो शादी के बाद जीवनसाथी के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल हो सकता है।

  • ग्रहों की महादशा: यदि विवाह के समय अशुभ ग्रहों की दशा या अंतरदशा चल रही हो, तो दांपत्य जीवन प्रभावित हो सकता है।

कुंडली दोषों के ज्योतिषीय समाधान

कुंडली दोषों के ज्योतिषीय समाधान

यदि विवाह के बाद कुंडली दोषों के कारण दांपत्य जीवन में समस्याएं आ रही हैं, तो निम्नलिखित ज्योतिषीय उपाय अपनाए जा सकते हैं:

मंगल दोष निवारण उपाय

  • हर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • मंगल ग्रह के उपाय के रूप में मसूर दाल, गुड़ और लाल वस्त्र का दान करें।

  • मंगल ग्रह की शांति के लिए ‘ऊं अंगारकाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

कालसर्प दोष निवारण
  • नाग पंचमी के दिन भगवान शिव की पूजा करें और रुद्राभिषेक करवाएं।

  • प्रत्येक शनिवार को शिवलिंग पर काले तिल और दूध चढ़ाएं।

  • राहु-केतु शांति मंत्र का जाप करें और राहु-केतु यंत्र धारण करें।

 पितृ दोष निवारण

  • हर अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा करें और अपने पूर्वजों के नाम से तर्पण करें।

  • सोमवार को शिवजी की पूजा करें और ‘महा मृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें।

  • अनाथ बच्चों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें।

शनि और राहु के प्रभाव को कम करने के उपाय

  • शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

  • जरूरतमंदों को काले तिल, काले कपड़े और उड़द दाल का दान करें।

  • हर शनिवार को शनि मंदिर में जाकर दर्शन करें और शनिदेव के मंत्र का जाप करें।

 कुंडली मिलान न होने की स्थिति में उपाय

  • यदि कुंडली मिलान में दोष आ रहा है, तो विवाह से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से उपाय करवाएं।

  • विवाह से पहले ‘गणेश पूजन’ और ‘नवग्रह शांति पाठ’ करवाएं।

  • सप्तपदी विवाह संस्कार को पूर्ण विधि-विधान से करें।

अशुभ ग्रहों की दशा शांत करने के उपाय

  • नवग्रहों की शांति के लिए हवन और यज्ञ करवाएं।

  • नियमित रूप से भगवान विष्णु और शिव की आराधना करें।

  • नवरात्रि, शिवरात्रि और एकादशी का व्रत रखें।

अन्य सरल उपाय जो वैवाहिक जीवन को सुखी बना सकते हैं

वैवाहिक जीवन को सुखी बना सकते हैं

  • रोज सुबह तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

  • पति-पत्नी को अपने शयनकक्ष में राधा-कृष्ण की तस्वीर लगानी चाहिए।

  • हर शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि) का दान करें।

  • पति-पत्नी को हमेशा अपनी वाणी में मधुरता रखनी चाहिए और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

  • रोजाना एक-दूसरे को कोई न कोई उपहार दें, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, इससे रिश्ते में प्रेम बना रहेगा।

  • सोने से पहले अपने इष्ट देवता का ध्यान करें और दिनभर की गलतियों के लिए क्षमा मांगें।

शादी के बाद वैवाहिक जीवन में यदि तनाव उत्पन्न हो रहा है, तो इसका कारण कुंडली दोष भी हो सकता है। ज्योतिषीय दृष्टि से मंगल दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष और शनि-राहु का प्रभाव वैवाहिक जीवन में परेशानियां ला सकता है। लेकिन सही ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर और संयम रखते हुए इन समस्याओं से बचा जा सकता है।


रश्मि शुक्ला (विजयनगर, इंदौर)

शादी के बाद मेरे और मेरे पति के बीच लगातार तनाव बना रहता था। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते थे और आपसी समझ भी कम होती जा रही थी। तब मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लिया। उन्होंने मेरी और मेरे पति की कुंडली देखकर बताया कि मंगल दोष और राहु-केतु की दशा के कारण यह समस्या हो रही थी। उनकी सलाह से मैंने कुछ सरल उपाय किए और अब हमारे रिश्ते में पहले से ज्यादा प्यार और सामंजस्य है। इंदौर में अगर कोई अपने वैवाहिक जीवन में शांति चाहता है, तो साहू जी से जरूर मिलें!"

अमित त्रिवेदी (पलासिया, इंदौर)

मेरी शादी के कुछ महीनों बाद ही रिश्तों में तनाव बढ़ने लगा। घर में लगातार कलह रहने लगी थी। फिर मुझे किसी ने एस्ट्रोलॉजर साहू जी के बारे में बताया। जब मैंने उनसे कुंडली दिखवाई, तो उन्होंने बताया कि मेरे ग्रहों की स्थिति वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं थी। उन्होंने मुझे कुछ विशेष मंत्र जाप और पूजा-पाठ करने को कहा। उनके उपाय अपनाने के बाद हमारे रिश्ते में सुधार हुआ और अब हमारा वैवाहिक जीवन खुशहाल है। जो लोग शादी के बाद रिश्तों में समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें एक बार साहू जी से सलाह जरूर लेनी चाहिए।"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:




क्या उपवास करने से बुरे कर्मों का क्षय होता है?

क्या उपवास करने से बुरे कर्मों का क्षय होता है?

Does fasting erase bad karma- best astrology indore
क्या उपवास करने से बुरे कर्मों का क्षय होता है

उपवास भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हमारे प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों में उपवास को एक ऐसा माध्यम बताया गया है जो हमारे भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है, बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करता है, और आत्मा को शुद्ध करता है।

इस लेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि उपवास कैसे बुरे कर्मों का क्षय करता है और इसकाज्योतिषीय आधार क्या है। साथ ही, उपवास के दौरान अपनाए जाने वाले उपाय और लाभों पर भी चर्चा करेंगे।

उपवास का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

धार्मिक दृष्टि से उपवास का महत्व

  • हिंदू धर्म में उपवास आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का साधन है।

  • यह व्यक्ति के भीतर संयम, सहिष्णुता, और ध्यान की शक्ति को बढ़ाता है।

  • उपवास का मुख्य उद्देश्य आत्मा को पुनः ऊर्जा प्रदान करना और मन को शांति देना है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

  • कुंडली में खराब ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उपवास किया जाता है।

  • हर ग्रह के लिए अलग-अलग दिन और उपाय बताए गए हैं। उदाहरण के लिए:

    • सूर्य दोष: रविवार का उपवास।

    • चंद्र दोष: सोमवार का उपवास।

    • शनि दोष: शनिवार का उपवास।

  • उपवास से ग्रहों की स्थिति में संतुलन आता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव होते हैं।

बुरे कर्मों का क्षय और उपवास का संबंध

बुरे कर्मों का क्षय और उपवास का संबंध

कर्म का सिद्धांत
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता है, वह हमारे कर्मों का परिणाम होता है।

  • बुरे कर्मों का फल व्यक्ति को कष्ट, आर्थिक परेशानी, या रिश्तों में तनाव के रूप में भोगना पड़ता है।

  • उपवास से इन बुरे कर्मों के प्रभाव को कम किया जा सकता है क्योंकि यह व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।

आत्मा की शुद्धि और बुरे कर्मों का क्षय
  • उपवास के दौरान व्यक्ति का शरीर और मन शुद्ध होता है।

  • यह प्रक्रिया आत्मा को उन बुरे कर्मों से मुक्त करती है, जो उसके अशुभ प्रभाव को बढ़ा रहे होते हैं।

  • शास्त्रों में कहा गया है कि उपवास के दौरान ईश्वर का ध्यान और मंत्रजाप बुरे कर्मों का नाश करता है।

ग्रह दोष और उपवास
  • उपवास ग्रह दोषों के प्रभाव को कम करने का एक प्राचीन और प्रभावी तरीका है।

  • उदाहरण के लिए:

    • यदि कुंडली में राहु और केतु का प्रभाव अधिक हो, तो बुरी आदतें और गलत निर्णय जीवन को प्रभावित करते हैं।

    • ऐसे में मंगलवार या शनिवार का उपवास करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।

उपवास के दौरान अपनाए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय

ग्रहों को प्रसन्न करने के उपाय
  • सूर्य के लिए: उपवास के दिन तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएँ।

  • चंद्रमा के लिए: शिवलिंग पर दूध अर्पित करें।

  • मंगल के लिए: हनुमानजी की पूजा करें और लाल वस्त्र दान करें।

  • बुध के लिए: हरे मूंग का दान करें।

  • गुरु के लिए: केले के पेड़ की पूजा करें।

  • शुक्र के लिए: सुगंधित फूल चढ़ाएँ और सफेद वस्त्र पहनें।

  • शनि के लिए: शनि मंत्र का जाप करें और काले तिल का दान करें।

मंत्र जाप और ध्यान
  • उपवास के दौरान संबंधित ग्रह के मंत्र का जाप करें।

  • उदाहरण के लिए:

    • “ॐ नमः शिवाय” (सभी दोषों के निवारण के लिए)।

    • “ॐ शनैश्चराय नमः” (शनि दोष के लिए)।

    • “ॐ राहवे नमः” (राहु दोष के लिए)।

दान और सेवा
  • उपवास के दिन गरीबों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

  • गाय, कुत्ते, पक्षी, या अन्य जानवरों को भोजन देना भी शुभ फल देता है।

उपवास के लाभ: ज्योतिषीय और आध्यात्मिक

कुंडली में ग्रहों का संतुलन

कुंडली में ग्रहों का संतुलन
  • उपवास से कुंडली के कमजोर ग्रह मजबूत होते हैं।

  • अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी आती है।

मानसिक शांति और सकारात्मकता

  • उपवास से मन शांत रहता है और व्यक्ति नकारात्मक विचारों से मुक्त होता है।

  • यह आत्मविश्वास और धैर्य को बढ़ाता है।

स्वास्थ्य में सुधार
  • उपवास केवल आध्यात्मिक लाभ ही नहीं देता, बल्कि शरीर को भी शुद्ध करता है।

  • यह पाचन तंत्र को आराम देता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।

रिश्तों में सुधार
  • उपवास और ध्यान से व्यक्तित्व में निखार आता है।

  • यह पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में मधुरता लाता है।

आध्यात्मिक उन्नति
  • उपवास व्यक्ति को ईश्वर के करीब लाता है।

  • यह आत्मा को शुद्ध करता है और ध्यान व साधना में गहराई लाता है।

उपवास करने के दौरान सावधानियाँ

  • शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें:

    • यदि स्वास्थ्य ठीक न हो, तो केवल फलाहार करें।

  • सकारात्मक रहें:

    • व्रत के दौरान मन में नकारात्मक विचार न आने दें।

  • सात्विक आहार लें:

    • केवल फल, दूध, और अन्य सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

  • ध्यान और पूजा करें:

    • उपवास का पूरा समय ईश्वर की आराधना और ध्यान में लगाएँ।

उपवास केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आत्मा, मन, और शरीर की शुद्धि का माध्यम है।ज्योतिषीय दृष्टि से यह बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करने, ग्रह दोषों को संतुलित करने, और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक है। उपवास करने से न केवल जीवन में शांति और समृद्धि आती है, बल्कि यह व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ले जाता है।



अनुराधा वर्मा (बापट स्क्वायर, इंदौर)

मुझे हमेशा संदेह था कि उपवास करने से सच में बुरे कर्मों का क्षय होता है या नहीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लेने के बाद मुझे समझ आया कि उपवास सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। उन्होंने मुझे ग्रहों के अनुसार विशेष उपवास रखने की सलाह दी, जिससे मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगे। मानसिक शांति बढ़ी और कई अड़चनें भी दूर हो गईं। अगर आप भी सही तरीके से उपवास का लाभ चाहते हैं, तो इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी से जरूर संपर्क करें!"

विजय सिंह परमार (राजीव गांधी चौराहा, इंदौर)

पहले मैं उपवास को सिर्फ धार्मिक परंपरा मानता था, लेकिन जब मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से इसका ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व जाना, तो मेरी सोच पूरी तरह बदल गई। उन्होंने बताया कि ग्रहों की दशा को सुधारने और बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करने के लिए उपवास अत्यंत प्रभावी होता है। उनकी सलाह के अनुसार मैंने शनि और एकादशी व्रत शुरू किए और धीरे-धीरे मेरा भाग्य बदलने लगा। सच में, इंदौर में अगर किसी को सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाहिए, तो साहू जी से अच्छा कोई नहीं!"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:



























गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य और सौभाग्य पर पड़ने वाला प्रभाव

गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य और सौभाग्य पर पड़ने वाला प्रभाव

By observing Gangaur fast, women- best astrology indore
गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य

गणगौर व्रत भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन को समर्पित है और उनके आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है। इस व्रत का पालन करने से न केवल वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है, बल्कि यह स्त्रियों के भाग्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस लेख में हम गणगौर व्रत के ज्योतिषीय महत्व, इसके प्रभाव, और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

गणगौर व्रत का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

गणगौर व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्हें ‘गण’ (शिव) और ‘गौर’ (पार्वती) के नाम से भी जाना जाता है।

  • धार्मिक महत्व:

    • यह व्रत सौभाग्य, सुख, और समृद्धि का प्रतीक है।

    • अविवाहित कन्याएँ इसे मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

    • विवाहित महिलाएँ अपने पति के दीर्घायु और समृद्ध जीवन के लिए व्रत रखती हैं।

  • ज्योतिषीय दृष्टिकोण से:

    • इस दिन चंद्रमा, शुक्र, और गुरु ग्रह का विशेष प्रभाव होता है।

    • व्रत से शुक्र ग्रह मजबूत होता है, जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

    • कुंडली में यदि सप्तम भाव (पति-पत्नी का भाव) कमजोर हो, तो यह व्रत उसे संतुलित करता है।

गणगौर व्रत करने के ज्योतिषीय लाभ

गणगौर व्रत करने के ज्योतिषीय लाभ

वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की वृद्धि

गणगौर व्रत से सप्तम भाव और शुक्र ग्रह को बल मिलता है, जिससे वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बढ़ता है।

  • जिन महिलाओं की कुंडली में शुक्र नीच का हो या कमजोर हो, उनके लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है।

  • व्रत से पारिवारिक जीवन में शांति और खुशहाली आती है।

मनचाहे वर की प्राप्ति

अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत कुंडली में सप्तम भाव और गुरु ग्रह को मजबूत करता है।

  • यह व्रत उन कन्याओं के लिए अत्यंत प्रभावी है जो विवाह में विलंब या बाधाओं का सामना कर रही हों।

  • यह व्रत शुभ योग बनाने में सहायक होता है, जिससे मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

आर्थिक समृद्धि और भाग्य का उदय

गणगौर व्रत से कुंडली में नवम भाव (भाग्य का भाव) और द्वितीय भाव (धन का भाव) प्रभावित होते हैं।

  • नवम भाव के मजबूत होने से जीवन में भाग्य का उदय होता है।

  • धन संबंधी समस्याएँ कम होती हैं, और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार

व्रत के दौरान की गई पूजा और देवी पार्वती का स्मरण पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को बेहतर बनाता है।

  • कुंडली में चतुर्थ भाव (परिवार) और एकादश भाव (संबंधों का भाव) को बल मिलता है।

  • व्रत करने से स्त्री के व्यक्तित्व में आकर्षण और संतुलन आता है, जिससे लोग उसकी ओर खिंचते हैं।

गणगौर व्रत करने की विधि और परंपराएँ


गणगौर व्रत की तैयारी
  • व्रत करने से एक दिन पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएँ।

  • देवी पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की मूर्तियाँ बनवाएँ।

व्रत का पालन
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • मिट्टी या धातु की गणगौर की मूर्ति स्थापित करें।

  • मूर्ति को सुंदर वस्त्र पहनाकर सजाएँ।

  • जल, फल, और फूल चढ़ाएँ।

विशेष पूजा विधि
  • रोली, चावल, और हल्दी का प्रयोग करके मूर्ति की पूजा करें।

  • विधिपूर्वक देवी पार्वती और भगवान शिव का आवाहन करें।

  • “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ गौर्ये नमः” मंत्र का जाप करें।

व्रत का समापन
  • व्रत का समापन दूसरे दिन जल में मूर्ति विसर्जित करके करें।

  • व्रत समाप्ति पर ब्राह्मण या गरीबों को दान दें।

गणगौर व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

गणगौर व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
  • व्रत के दिन क्रोध, कटु वचन, और बुरे विचारों से बचें।

  • किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को अपने मन में न आने दें।

  • व्रत के दिन केवल सात्विक भोजन करें।

  • पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।

गणगौर व्रत से जुड़े ज्योतिषीय उपाय


शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
  • व्रत के दिन सफेद वस्त्र पहनें और चाँदी के आभूषण धारण करें।

  • सफेद मिठाई या चावल का दान करें।

  • शुक्र के मंत्र “ॐ शुक्राय नमः” का जाप करें।

नवम और सप्तम भाव को सुधारने के उपाय
  • भगवान शिव और पार्वती को दूध और गंगा जल अर्पित करें।

  • गरीब कन्याओं को भोजन कराएँ।

  • गोधूलि बेला में दीपक जलाकर देवी पार्वती की आरती करें।

मनचाही इच्छाओं की पूर्ति के लिए उपाय
  • गणगौर व्रत के दौरान “ॐ गौरी शिवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

  • लाल या हरे वस्त्र पहनकर पूजा करें।

  • केले और पीपल के पेड़ की पूजा करें।

गणगौर व्रत के आध्यात्मिक लाभ

  • व्रत से मन और आत्मा शुद्ध होती है।

  • यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।

  • व्रत करने वाली स्त्रियों का आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

गणगौर व्रत केवल धार्मिक या परंपरागत अनुष्ठान नहीं है; यह स्त्रियों के जीवन में भाग्य, सौभाग्य, और समृद्धि लाने का माध्यम भी है। यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।



सीमा जैन (रामबाग, इंदौर)

हर साल मैं गणगौर व्रत करती थी, लेकिन सही विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी नहीं थी। इस बार मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लिया और उन्होंने मुझे विशेष उपाय और पूजा विधि बताई। व्रत के बाद मैंने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किए – पति का सहयोग बढ़ा, पारिवारिक खुशियां बढ़ीं और मानसिक शांति भी मिली। इंदौर में यदि कोई गणगौर व्रत के ज्योतिषीय महत्व को समझना चाहता है, तो एस्ट्रोलॉजर साहू जी से जरूर मिलें!"

पूजा श्रीवास्तव (सुखलिया, इंदौर)

गणगौर व्रत से सौभाग्य में वृद्धि होती है, यह तो मैंने सुना था, लेकिन जब मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से इस विषय में मार्गदर्शन लिया, तब मुझे इसकी वास्तविक शक्ति का अहसास हुआ। उन्होंने बताया कि यह व्रत सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि ग्रहों की अनुकूलता बढ़ाने का भी माध्यम है। उनकी सलाह के अनुसार पूजन करने से मेरे वैवाहिक जीवन में और भी मधुरता आई। सच में, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी की सलाह से मेरा विश्वास ज्योतिष पर और बढ़ गया!"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:


































चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि

चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि

Auspicious time of Chaitra Navratri-best astrology indore
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक प्रमुख पर्व है, जिसे वसंत ऋतु की शुरुआत में मनाया जाता है। यह नौ दिनों का त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना और साधना के लिए समर्पित होता है। यह पर्व आत्मिक शक्ति, भक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा को जागृत करने का समय होता है।

इस लेख में, हम चैत्र नवरात्रि के शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना की विधि, और इससे जुड़े ज्योतिषीय महत्व को विस्तार से समझेंगे।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। यह नववर्ष की शुरुआत का संकेत भी है।

  • धार्मिक महत्व: यह पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री—की आराधना के लिए मनाया जाता है।

  • आध्यात्मिक महत्व: नवरात्रि का समय ध्यान, योग, और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह आत्मा की शुद्धि और मन की शांति के लिए आदर्श समय है।

चैत्र नवरात्रि के शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ और समापन

  • प्रारंभ तिथि: 29 मार्च 2025 (शुक्रवार)

  • समापन तिथि: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना (घट स्थापना) नवरात्रि का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्म होता है। इसे अभिजीत मुहूर्त या प्रतिपदा तिथि के शुभ समय पर किया जाता है।

  • घट स्थापना का शुभ समय:

    • प्रातः काल: 06:20 से 07:40 बजे तक

    • अभिजीत मुहूर्त: 12:10 से 12:50 बजे तक

नोट: स्थान और पंचांग के अनुसार समय में भिन्नता हो सकती है।

प्रतिपदा तिथि

  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 28 मार्च 2025, रात 10:10 बजे

  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 29 मार्च 2025, रात 11:30 बजे

कलश स्थापना की विधि

कलश स्थापना की विधि

कलश स्थापना नवरात्रि का प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसे सही विधि और शुद्धता के साथ करना चाहिए।

आवश्यक सामग्री

  • मिट्टी का कलश या तांबे का कलश

  • गंगाजल

  • आम के पत्ते

  • नारियल (लाल कपड़े में लिपटा हुआ)

  • लाल कपड़ा या चुनरी

  • साबुत चावल (अक्षत)

  • सुपारी

  • लाल धागा (मौली)

  • दुर्गा माता की मूर्ति या चित्र

  • मिट्टी और जौ के बीज

विधि
  • स्थान की शुद्धि:

    • सबसे पहले घर के मंदिर या पूजा स्थान को साफ करें।

    • गंगाजल का छिड़काव करके स्थान को पवित्र करें।

  • मिट्टी और जौ का उपयोग:

    • पूजा स्थान पर एक मिट्टी का पात्र रखें।

    • उसमें शुद्ध मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज बो दें।

  • कलश तैयार करें:

    • कलश को गंगाजल से भरें।

    • उसमें सुपारी, साबुत चावल, सिक्का, और गंगाजल डालें।

    • कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें।

    • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।

  • मौली बांधें:

    • कलश के गले पर मौली (लाल धागा) बांधें।

  • पूजन आरंभ करें:

    • दीपक जलाएं और दुर्गा माता की मूर्ति या चित्र के सामने कलश को स्थापित करें।

    • दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य, या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

    • मां दुर्गा को फूल, माला, नारियल, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।

कलश स्थापना के ज्योतिषीय नियम

  • दिशा का ध्यान रखें:

    • कलश को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करना शुभ माना जाता है।

    • यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का कारक है।

  • ग्रह स्थिति का ध्यान:

    • इस दिन ग्रहों की स्थिति शुभ होनी चाहिए।

    • विशेषकर चंद्रमा और सूर्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कलश स्थापना करनी चाहिए।

  • शुद्धता का ध्यान:

    • पूजा के समय मन और शरीर की शुद्धता आवश्यक है।

    • नकारात्मक विचारों से बचें।

चैत्र नवरात्रि के नौ दिन और उनकी पूजा विधि

पहला दिन: शैलपुत्री

  • देवी शैलपुत्री की पूजा करें और सफेद फूल अर्पित करें।

  • इस दिन मां दुर्गा से आत्मिक शांति का आशीर्वाद मांगें।

दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी

  • देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री का भोग लगाएं।

  • यह दिन तप और संयम का प्रतीक है।

तीसरा दिन: चंद्रघंटा

  • देवी चंद्रघंटा की पूजा करें और उन्हें दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।

चौथा दिन: कूष्मांडा

  • देवी कूष्मांडा को मालपुआ या मिष्ठान अर्पित करें।

पांचवां दिन: स्कंदमाता

  • देवी स्कंदमाता की पूजा करें और केले का भोग लगाएं।

छठा दिन: कात्यायनी

  • देवी कात्यायनी को शहद अर्पित करें।

सातवां दिन: कालरात्रि

  • देवी कालरात्रि की पूजा करें और उन्हें गुड़ अर्पित करें।

आठवां दिन: महागौरी

  • देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाएं।

नौवां दिन: सिद्धिदात्री

  • देवी सिद्धिदात्री की पूजा करें और उन्हें तिल और गुड़ का भोग अर्पित करें।

नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें

नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें

क्या करें

  • प्रतिदिन देवी दुर्गा की पूजा करें।

  • फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।

  • मंत्र जाप और ध्यान करें।

  • नौ कन्याओं का पूजन करें।

क्या न करें

  • मांसाहार और शराब का सेवन न करें।

  • झूठ, क्रोध, और नकारात्मक विचारों से बचें।

  • दिन में सोने से बचें।

  • पूजा स्थल को गंदा न रखें।

चैत्र नवरात्रि का ज्योतिषीय लाभ

चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने से कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं।

  • मंगल दोष: देवी की पूजा से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

  • राहु और केतु: दुर्गा सप्तशती का पाठ राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करता है।

  • धन और समृद्धि: यह पर्व धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि आत्मिक उन्नति और शुद्धि का समय है। कलश स्थापना और नौ दिनों की पूजा विधि का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। यदि आप नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा या कुंडली संबंधी समस्याओं का समाधान चाहते हैं, 


अनिल शर्मा (सियागंज, इंदौर)

पिछले साल मैंने चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना का सही तरीका नहीं अपनाया था, लेकिन इस बार एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लेने के बाद मैंने सभी विधियों का पालन किया। उन्होंने शुभ मुहूर्त, मंत्र जाप और पूजन की सही विधि बताई, जिससे पूरे नवरात्रि में सकारात्मक ऊर्जा बनी रही। धन, सुख-शांति और समृद्धि में बढ़ोतरी हुई। सच में, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी की सलाह अमूल्य है!"

राधा गुप्ता (बंगाली कॉलोनी, इंदौर)

चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना की सही विधि और शुभ मुहूर्त को लेकर मेरे मन में कई सवाल थे। मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया और उन्होंने मुझे विस्तार से बताया कि किस दिशा में कलश रखना चाहिए, कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए और कौन-से उपाय करने से देवी की कृपा अधिक प्राप्त होती है। उनके मार्गदर्शन से इस बार नवरात्रि का अनुष्ठान अत्यंत शुभ और फलदायी रहा। इंदौर में यदि किसी को सटीक और प्रभावी ज्योतिषीय सलाह चाहिए, तो साहू जी से जरूर मिलें!"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:




































































सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए?

सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए?

What activities avoided during a solar eclipse-best astrology indore
सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए

सूर्य ग्रहण खगोलीय दृष्टि से एक अद्भुत घटना है, लेकिन भारतीय ज्योतिष और धार्मिक परंपराओं में इसे अशुभ और संवेदनशील समय के रूप में देखा जाता है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य देव की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, जो जीवन और प्रकृति पर गहरा प्रभाव डालती है। इस दौरान किए गए कार्यों का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है। अतः ज्योतिषीय नियमों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में कुछ कार्यों से बचना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचा जाए और इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में।

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व

ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव

  • सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं, जिससे सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं।

  • कुंडली में सूर्य आत्मा, नेतृत्व, स्वास्थ्य, और पिता का कारक ग्रह है। ग्रहण के समय सूर्य की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, जो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

अशुभ समय (सूतक काल)

  • सूर्य ग्रहण के पहले और बाद में एक सूतक काल होता है, जो ग्रहण से लगभग 12 घंटे पहले शुरू होता है।

  • इस समय को अशुद्ध और अशुभ माना जाता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए?

सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए?

भोजन और जल ग्रहण से बचें

  • ग्रहण के दौरान भोजन या जल ग्रहण करना वर्जित माना जाता है।

  • ज्योतिष के अनुसार, इस समय नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है, जो शरीर और मन पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।

  • विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इस समय भोजन करने से बचना चाहिए।

नई शुरुआत से परहेज करें

  • सूर्य ग्रहण के समय किसी नए कार्य की शुरुआत, जैसे कि व्यापार, संपत्ति खरीदना, या नए प्रोजेक्ट पर काम करना अशुभ माना जाता है।

  • यह समय निर्णय लेने के लिए उचित नहीं होता, क्योंकि ग्रहों की ऊर्जा बाधित होती है।

धार्मिक कार्यों से दूर रहें

  • सूतक काल और ग्रहण के समय पूजा-पाठ, यज्ञ, और अन्य धार्मिक कार्यों से बचना चाहिए।

  • इस समय मंत्र जाप और ध्यान करना अधिक लाभकारी होता है।

सोने और आराम करने से बचें

  • सूर्य ग्रहण के दौरान सोना या आराम करना वर्जित माना गया है।

  • विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इस समय सोने से बचना चाहिए, क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

खुले आसमान के नीचे न जाएं

  • ग्रहण के समय सूर्य की किरणों में हानिकारक प्रभाव हो सकता है।

  • इस दौरान खुले आसमान के नीचे या ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से बचना चाहिए।

नुकीले वस्त्रों और कैंची का प्रयोग न करें

  • ग्रहण के समय नुकीले सामान, जैसे कैंची, चाकू, या सुई का उपयोग अशुभ माना जाता है।

  • यह गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

गर्भवती महिलाओं के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान सावधानियां

गर्भवती महिलाओं के लिए सूर्य ग्रहण

घर के अंदर ही रहें

  • गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।

  • उन्हें खुले आसमान के नीचे जाने या ग्रहण देखने से बचना चाहिए।

ध्यान और मंत्र जाप करें

  • इस समय धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना और मंत्र जाप करना सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

  • यह गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए शुभ होता है।

सिलाई-कढ़ाई से परहेज करें

  • गर्भवती महिलाओं को इस समय सुई-धागे का उपयोग नहीं करना चाहिए।

  • ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शारीरिक श्रम न करें

  • इस समय अधिक शारीरिक श्रम करने से बचें।

  • शांत और स्थिर मन से समय बिताएं।

सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें?

स्नान करें

  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना अनिवार्य है।

  • यह अशुद्धता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का तरीका है।

घर की सफाई करें

  • ग्रहण के बाद घर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।

  • यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।

 दान करें

  • ग्रहण के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करना शुभ माना जाता है।

  • यह पुण्य प्राप्ति का साधन है।

विष्णु और सूर्य मंत्र का जाप करें

  • ग्रहण के बाद भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना करें।

  • “ॐ सूर्याय नमः” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

सूर्य ग्रहण के दौरान ज्योतिषीय उपाय

ग्रहण काल में मंत्र जाप

  • ग्रहण के दौरान किसी भी मंत्र का जाप करने से उसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

  • इस समय “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ सूर्याय नमः” का जाप करना लाभकारी है।

तुलसी के पत्तों का उपयोग

  • ग्रहण से पहले भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डाल दें।

  • इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।

दान और पुण्य कार्य

  • ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

  • यह ग्रह दोषों को शांत करता है।

कुंडली के ग्रह दोष निवारण के लिए उपाय

  • यदि कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो ग्रहण के दौरान सूर्य से संबंधित उपाय करें, जैसे कि सूर्य को जल अर्पित करना।

  • इस समय रुद्राभिषेक करना भी शुभ फलदायी होता है।

सूर्य ग्रहण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रभाव

वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें हानिकारक हो सकती हैं।

  • इसे नंगी आंखों से देखने से आंखों को नुकसान पहुंच सकता है।

  • इस दौरान प्रकृति और मानव जीवन पर सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं।

सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है, जिसका ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टिकोण से गहरा प्रभाव होता है। ग्रहण के दौरान किए गए कार्य हमारे जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। अतः इन समयों में ज्योतिषीय नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।



राकेश वर्मा (एम.जी. रोड, इंदौर)

पहले मुझे सूर्य ग्रहण के नियमों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन जब मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लिया, तो उन्होंने मुझे विस्तार से समझाया कि ग्रहण के दौरान भोजन पकाना, यात्रा करना और महत्वपूर्ण निर्णय लेना अशुभ हो सकता है। उनकी सलाह मानकर मैंने ग्रहण के समय सिर्फ मंत्र जाप किया और जल का सेवन किया। सच में, मैंने महसूस किया कि ग्रहण के बाद ऊर्जा और मनःस्थिति में सकारात्मक बदलाव आया। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी की सलाह बेहद उपयोगी है!"

सविता चौहान (विजय नगर, इंदौर)

पिछले साल सूर्य ग्रहण के दौरान, मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ली और उन्होंने मुझे ग्रहण के दौरान सोने, खाने और नकारात्मक विचारों से बचने की सलाह दी। इसके अलावा, उन्होंने ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर दान करने का महत्व भी बताया। मैंने यह सब अपनाया और सच में, ग्रहण के बाद मेरी मानसिक स्थिति बहुत हल्की और सकारात्मक महसूस हुई। इंदौर में अगर किसी को सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाहिए, तो एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क जरूर करें!"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:



























Suggested Post

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत?

 भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत? भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ...