पितृ दोष और घर में वास्तु दोष का संबंध

 

पितृ दोष और घर में वास्तु दोष का संबंध

Pitra Dosh and Vaastu Dosh in the house-best astrology indore
पितृ दोष और घर में वास्तु दोष 

भारतीय ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में यह माना जाता है कि यदि किसी घर में वास्तु दोष हो या कुंडली में पितृ दोष हो, तो वहाँ रहने वाले लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु दोष से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे परिवार के सदस्यों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं, पितृ दोष पूर्वजों की अशांति और उनकी अपूर्ण इच्छाओं के कारण उत्पन्न होने वाला एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय दोष है।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि पितृ दोष क्या होता है, इसका घर के वास्तु दोष से क्या संबंध है, और इन दोनों दोषों को दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

पितृ दोष क्या होता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति के पूर्वज (पितृ) असंतुष्ट या अशांत होते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध न किया जाना।
  • किसी परिवारजन द्वारा जाने-अनजाने में पूर्वजों का अपमान।
  • पूर्व जन्म में किए गए बुरे कर्म।
  • कुल में किसी की अकाल मृत्यु हो जाना।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य, राहु, शनि या केतु अशुभ स्थिति में होते हैं, तो पितृ दोष की संभावना बढ़ जाती है। यह दोष जीवन में आर्थिक संकट, संतान संबंधी परेशानियाँ, वैवाहिक समस्याएँ और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।

घर में वास्तु दोष क्या होता है?

घर में वास्तु दोष

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की ऊर्जा, संरचना और दिशाओं का संतुलन सही होना बहुत जरूरी होता है। अगर किसी घर में वास्तु दोष होता है, तो वहां रहने वाले लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:

  • आर्थिक तंगी और व्यापार में हानि।
  • वैवाहिक जीवन में तनाव और पारिवारिक झगड़े।
  • संतान संबंधी समस्याएँ।
  • मानसिक अशांति और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ।

वास्तु दोष कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे:

  • मुख्य द्वार का गलत दिशा में होना।
  • घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में भारी सामान रखना।
  • रसोई और टॉयलेट का गलत दिशा में होना।
  • घर में टूटी-फूटी और अनुपयोगी वस्तुएँ रखना।

 पितृ दोष और वास्तु दोष के बीच संबंध

पितृ दोष और वास्तु दोष के बीच एक गहरा संबंध होता है। यदि किसी घर में वास्तु दोष हो, तो यह पितृ दोष को और अधिक सक्रिय कर सकता है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। कुछ प्रमुख बिंदु जो इनके आपसी संबंध को दर्शाते हैं:

 घर में असामान्य घटनाएँ

अगर घर में पितृ दोष और वास्तु दोष दोनों मौजूद हों, तो वहां रहने वाले लोगों को कई असामान्य घटनाओं का अनुभव हो सकता है, जैसे –

  • बिना किसी कारण के बिजली के उपकरणों का बार-बार खराब होना।
  • अचानक घर में दरारें आना या फर्श का टूटना।
  • छत से पानी टपकना या सीलन बने रहना।

आर्थिक परेशानियाँ

अगर घर का उत्तर-पूर्व कोना बाधित हो और साथ ही कुंडली में पितृ दोष हो, तो व्यक्ति को आर्थिक तंगी और कर्ज़ की समस्या बनी रह सकती है।

 संतान सुख में बाधा

यदि घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में कोई दोष हो और कुंडली में पितृ दोष हो, तो संतान प्राप्ति में देरी हो सकती है या संतान से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

 परिवार में कलह और स्वास्थ्य समस्याएँ

परिवार में कलह

यदि घर के ब्रह्मस्थान (मध्य भाग) में भारी सामान रखा गया हो या वास्तु दोष हो, तो पितृ दोष और अधिक सक्रिय हो जाता है, जिससे परिवार के सदस्यों में मानसिक तनाव, झगड़े और स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं।

 पितृ दोष का संकेत देने वाले वास्तु दोष

  • घर के दक्षिण दिशा में टॉयलेट या गंदगी होना।
  • घर में पीपल या बरगद का अपने आप उग आना।
  • मुख्य द्वार के पास या अंदर लगातार पक्षियों का मरना।
  • घर में श्राद्ध पक्ष के दौरान अचानक चीज़ों का खराब हो जाना।

   पितृ दोष को दूर करने के ज्योतिषीय उपाय

  • श्राद्ध और तर्पण करें – हर साल पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करें।
  • पीपल की पूजा करें – हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और तेल का दीपक जलाएँ।
  • गाय को भोजन कराएँ – प्रतिदिन गाय को आटा और गुड़ खिलाएँ, यह पितृ दोष को शांत करने का श्रेष्ठ उपाय है।
  • नकारात्मक कर्मों से बचें – माता-पिता और वृद्ध लोगों का सम्मान करें और उनके प्रति प्रेमभाव रखें।
  • रुद्राभिषेक करें – भगवान शिव की पूजा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

 वास्तु दोष को दूर करने के उपाय

  • मुख्य द्वार को साफ-सुथरा रखें – घर के मुख्य द्वार पर रोज़ हल्दी का पानी छिड़कें और शुभ प्रतीक लगाएँ।
  • उत्तर-पूर्व कोना हल्का रखें – इस दिशा में कोई भारी सामान न रखें और यहाँ तुलसी का पौधा लगाएँ।
  • सूर्य को जल चढ़ाएँ – रोज़ सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से वास्तु दोष कम होता है।
  • रसोई की सही दिशा रखें – रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनवाएँ और गैस स्टोव को इस दिशा में ही रखें।
  • घर में स्वच्छता बनाए रखें – टूटी हुई वस्तुएँ, बेकार सामान और पुराने जूते-चप्पल घर से बाहर निकाल दें।

 

 


पितृ दोष और वास्तु दोष दोनों ही घर की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं और नकारात्मकता को बढ़ाते हैं। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बार-बार समस्याएँ आ रही हैं, तो उसे अपने घर का वास्तु और कुंडली में पितृ दोष  का विश्लेषण अवश्य करवाना चाहिए। उचित ज्योतिषीय और वास्तु उपाय अपनाकर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाई जा सकती है।

 

      संजय वर्मा, खजराना, इंदौर

लगातार तनाव और मानसिक अशांति की वजह से जीवन बहुत कठिन हो गया था। किसी की सलाह पर मैं ज्योतिषी साहू जी से मिला। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि राहु-केतु की दशा चल रही है। उनके बताए उपायों को अपनाने के बाद मेरा जीवन फिर से सामान्य हो गया और मैं मानसिक रूप से मजबूत महसूस कर रहा हूँ।

     निधि शर्मा, तिलक नगर, इंदौर

कई सालों से संतान सुख की इच्छा थी लेकिन कई बाधाएं आ रही थीं। कई उपाय करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही थी। तब मैंने ज्योतिषी साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने कुंडली का विश्लेषण करके विशेष पूजा और उपाय बताए। कुछ ही महीनों में सकारात्मक परिणाम मिला और अब मैं माँ बनने वाली हूँ। साहू जी का धन्यवाद!


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