ग्रहों की दशा और महादशा
हमारे जीवन में जो भी महत्वपूर्ण घटनाएँ घटती हैं, उनका गहरा संबंध ग्रहों की चाल और दशाओं से होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की दशा और महादशा व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव लाने का कारण बनती हैं। ये बदलाव सकारात्मक भी हो सकते हैं और नकारात्मक भी, जो ग्रहों की स्थिति और उनकी शुभ-अशुभ प्रकृति पर निर्भर करते हैं।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि ग्रहों की दशा और महादशा क्या होती है, ये जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं और यदि ग्रह प्रतिकूल हों तो उन्हें अनुकूल कैसे बनाया जा सकता है।
ग्रहों की दशा क्या होती है?
ज्योतिष में दशा का अर्थ होता है किसी विशेष ग्रह का किसी व्यक्ति के जीवन में एक निश्चित अवधि तक प्रभाव डालना। जब किसी ग्रह की दशा चलती है, तो उसकी स्थिति और प्रभाव व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है – चाहे वह करियर हो, शादी हो, आर्थिक स्थिति हो या स्वास्थ्य।
दशाएँ दो प्रकार की होती हैं:
- महादशा (Main Period) – यह लंबी अवधि तक चलने वाली दशा होती है, जो ग्रह विशेष की पूरी स्थिति को दर्शाती है।
- अंतरदशा (Sub-Period) – यह महादशा के अंदर एक छोटी अवधि होती है, जो महादशा के प्रभाव को बढ़ा या घटा सकती है।
महादशा क्या होती है?
महादशा का अर्थ होता है किसी ग्रह की दीर्घकालिक दशा। यह दशा कई वर्षों तक चलती है और व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। महादशा की अवधि ग्रह विशेष की स्थिति पर निर्भर करती है।
ज्योतिष में महादशा की गणना विंशोत्तरी दशा प्रणाली के आधार पर की जाती है, जिसमें प्रत्येक ग्रह की महादशा की एक निश्चित अवधि होती है:
ग्रह महादशा की अवधि सूर्य (Sun) 6 वर्ष चंद्रमा (Moon) 10 वर्ष मंगल (Mars) 7 वर्ष राहु (Rahu) 18 वर्ष गुरु (Jupiter) 16 वर्ष शनि (Saturn) 19 वर्ष बुध (Mercury) 17 वर्ष केतु (Ketu) 7 वर्ष शुक्र (Venus) 20 वर्ष जब किसी ग्रह की महादशा व्यक्ति की कुंडली में आती है, तो वह ग्रह अपने स्वभाव के अनुसार व्यक्ति के जीवन में प्रभाव डालता है।
ग्रहों की महादशा और जीवन में बदलाव
अब समझते हैं कि विभिन्न ग्रहों की महादशा व्यक्ति के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती है:
1. सूर्य की महादशा (6 वर्ष)
सूर्य आत्मा, नेतृत्व और प्रसिद्धि का कारक है। इसकी महादशा आने पर व्यक्ति को सफलता, सरकारी पद, मान-सम्मान और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। यदि सूर्य कुंडली में शुभ हो, तो व्यक्ति राजनीति, प्रशासन या उच्च पदों पर पहुँचा सकता है।
लेकिन यदि सूर्य अशुभ हो, तो अहंकार, पिता से मतभेद, स्वास्थ्य समस्याएँ (विशेष रूप से हृदय रोग) और करियर में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
2. चंद्रमा की महादशा (10 वर्ष)
चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है। इसकी महादशा आने पर व्यक्ति को मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और रचनात्मकता में वृद्धि मिलती है।
यदि चंद्रमा कमजोर हो, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनिश्चितता, अवसाद और भावनात्मक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
3. मंगल की महादशा (7 वर्ष)
मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का प्रतीक है। यदि यह शुभ हो, तो व्यक्ति को सेना, पुलिस, खेल, व्यवसाय और तकनीकी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
लेकिन यदि मंगल अशुभ हो, तो क्रोध, दुर्घटनाएँ, शारीरिक चोटें, कानूनी मामले और पारिवारिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
4. राहु की महादशा (18 वर्ष)
राहु एक छाया ग्रह है और यह व्यक्ति के जीवन में अचानक परिवर्तन लाता है। यदि राहु शुभ हो, तो व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय सफलता, राजनीति, तकनीकी क्षेत्र और शोध में उन्नति मिल सकती है।
लेकिन यदि राहु अशुभ हो, तो धोखा, नशे की लत, मानसिक भ्रम, स्कैंडल और गलत संगति का खतरा रहता है।
5. गुरु की महादशा (16 वर्ष)
गुरु ज्ञान, धर्म और समृद्धि का कारक है। इसकी महादशा में व्यक्ति को शिक्षा, आध्यात्मिकता, धन, विवाह और संतान सुख मिलता है।
लेकिन यदि गुरु अशुभ हो, तो निर्णय लेने में परेशानी, आलस्य, शिक्षा में बाधा और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
6. शनि की महादशा (19 वर्ष)
शनि कर्म और न्याय का कारक है। यदि यह शुभ हो, तो व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद बड़ी सफलता मिलती है।
लेकिन यदि शनि अशुभ हो, तो कठिनाइयाँ, देरी, रोग, नौकरी में अस्थिरता और आर्थिक तंगी हो सकती है।
7. बुध की महादशा (17 वर्ष)
बुध बुद्धि, व्यापार और संचार का ग्रह है। इसकी महादशा में व्यक्ति को व्यापार, लेखन, मीडिया, संचार और गणितीय क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
लेकिन यदि बुध कमजोर हो, तो निर्णय लेने में गलती, झूठ बोलने की प्रवृत्ति और तर्क-वितर्क की समस्याएँ हो सकती हैं।
8. केतु की महादशा (7 वर्ष)
केतु आध्यात्म और रहस्यों का ग्रह है। इसकी महादशा में व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में रुचि होती है।
लेकिन यदि केतु अशुभ हो, तो मानसिक अशांति, भटकाव और अनजानी परेशानियाँ हो सकती हैं।
9. शुक्र की महादशा (20 वर्ष)
शुक्र प्रेम, वैवाहिक सुख, कला और विलासिता का कारक है। इसकी महादशा में व्यक्ति को भौतिक सुख-संपत्ति, विवाह और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
लेकिन यदि शुक्र अशुभ हो, तो विवाह में बाधा, अनैतिक संबंध और आर्थिक समस्याएँ आ सकती हैं।
महादशा के प्रभाव को अनुकूल बनाने के उपाय
- सूर्य – रोज़ सुबह सूर्य को जल अर्पित करें।
- चंद्रमा – शिव पूजा करें और मोती धारण करें।
- मंगल – हनुमान चालीसा पढ़ें और मूंगा रत्न धारण करें।
- राहु – काले तिल का दान करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- गुरु – गुरुवार को पीले कपड़े पहनें और केले के पेड़ की पूजा करें।
- शनि – शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें और शनि मंत्र का जाप करें।
- बुध – बुधवार को गणेश जी की पूजा करें और हरी मूंग का दान करें।
- केतु – कुत्तों को रोटी खिलाएँ और शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ।
- शुक्र – शुक्रवार को माँ लक्ष्मी की पूजा करें और सफेद वस्त्र पहनें।
रोहित शर्मा, महू, इंदौर
"मैं कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल हो चुका था और निराश था। तब मैंने ज्योतिषी साहू जी से परामर्श लिया। उन्होंने कुंडली देखकर बताया कि राहु-केतु का प्रभाव है और कुछ उपाय करने की सलाह दी। जब मैंने उनके उपाय किए, तो मेरी पढ़ाई में सुधार हुआ और मैंने परीक्षा पास कर ली।"
विजय अग्रवाल, रीगल स्क्वायर, इंदौर
मेरा बिजनेस घाटे में जा रहा था और कर्ज बढ़ता जा रहा था। तब मैंने ज्योतिषी साहू जी से कुंडली दिखवाई। उन्होंने कुछ वास्तु परिवर्तन और पूजा कराने को कहा। जब मैंने उनके बताए उपाय किए, तो कुछ ही महीनों में आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और अब मेरा बिजनेस फिर से अच्छा चल रहा है।"