विवाह के बाद कुंडली कैसे बदलती है?

विवाह के बाद कुंडली कैसे बदलती है?

Kundali change after marriage-best astrology indore
विवाह के बाद कुंडली कैसे बदलती है?

भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक गहन और वैज्ञानिक पद्धति है जो व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डालता है। जन्म के समय बनाई गई कुंडली केवल जन्म की स्थिति का विवरण नहीं होती, बल्कि यह पूरे जीवन का खाका होती है। हालांकि, जीवन की कुछ घटनाएं इतनी महत्वपूर्ण होती हैं कि वे हमारी कुंडली की सक्रियता और ग्रहों के प्रभाव को नया आयाम देती हैं। विवाह उन घटनाओं में से एक है। यह सिर्फ सामाजिक या भावनात्मक बंधन नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला संयोग भी है।

इस विस्तृत लेख में हम जानेंगे कि विवाह के बाद कुंडली कैसे बदलती है?, इसके पीछे के ग्रहों के कारण क्या होते हैं, कौन-कौन से भाव अधिक प्रभावी होते हैं, और यह बदलाव हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं।

विवाह और सप्तम भाव का संबंध

कुंडली में सप्तम भाव को विवाह और जीवनसाथी से जोड़ा जाता है। यह भाव न केवल वैवाहिक संबंधों को दर्शाता है बल्कि व्यापारिक साझेदारी, यौन जीवन, सार्वजनिक संबंधों और मानसिक संतुलन को भी प्रभावित करता है। जब विवाह होता है, तो सप्तम भाव विशेष रूप से सक्रिय हो जाता है।

इस सक्रियता का अर्थ है कि अब आपकी कुंडली के सातवें भाव में बैठे ग्रह, उन पर दृष्टि डालने वाले ग्रह, और सप्तम भाव का स्वामी – सभी मिलकर एक नया प्रभाव उत्पन्न करते हैं। यह प्रभाव न केवल मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होता है, बल्कि स्वास्थ्य, करियर और आर्थिक स्थिति पर भी व्यापक रूप से प्रभाव डालता है।

नवमांश कुंडली की भूमिका

नवमांश कुंडली की भूमिका

जब हम यह प्रश्न करते हैं कि विवाह के बाद तो नवमांश कुंडली का विशेष महत्व होता है। नवमांश कुंडली को D-9 चार्ट कहा जाता है और इसे वैवाहिक जीवन का सूक्ष्म प्रतिबिंब माना जाता है।

यह कुंडली विवाह से पहले भी मौजूद होती है, लेकिन विवाह के बाद इसकी सक्रियता बढ़ जाती है। विवाह के पश्चात नवमांश कुंडली में बैठे ग्रहों का प्रभाव मूल कुंडली पर अधिक स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। यदि नवमांश कुंडली में गुरु, शुक्र या चंद्रमा जैसे शुभ ग्रहों की स्थिति अच्छी है, तो वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे ग्रहों की अशुभ स्थिति जीवन में क्लेश उत्पन्न कर सकती है।

दशा और अंतरदशा में बदलाव

ग्रहों की दशा और अंतरदशा व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दशा किसी विशेष ग्रह के प्रभाव की अवधि होती है। यदि विवाह के बाद शुभ ग्रहों की दशा प्रारंभ होती है तो वैवाहिक जीवन में समृद्धि, संतुलन और प्रसन्नता आती है। परंतु यदि अशुभ ग्रहों की दशा आरंभ होती है, तो यह मतभेद, असंतोष या मानसिक तनाव ला सकती है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में विवाह के बाद शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाए, तो यह संबंधों में दूरी या जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ा सकती है। वहीं शुक्र की दशा वैवाहिक जीवन में सौंदर्य, प्रेम और भावनात्मक जुड़ाव लाती है।

गोचर का प्रभाव और समयानुसार परिवर्तन

गोचर का अर्थ है ग्रहों की वर्तमान स्थिति का प्रभाव हमारी जन्म कुंडली पर। गोचर ग्रह जैसे शनि, गुरु, राहु-केतु जब सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव पर दृष्टि डालते हैं या वहां गोचर करते हैं, तो यह वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं।

विशेष रूप से गुरु (बृहस्पति) का गोचर विवाह योग निर्मित करता है। यदि गुरु का गोचर आपकी जन्म कुंडली के सप्तम भाव, सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी), या शुक्र पर हो, तो विवाह के योग बनते हैं। लेकिन विवाह के बाद यदि राहु-केतु जैसे ग्रह सप्तम भाव पर आ जाएं तो वे भ्रम, धोखा या संघर्ष की स्थिति पैदा कर सकते हैं।

स्त्री और पुरुष की कुंडली में क्या फर्क आता है?

विवाह के बाद कुंडली पुरुष और स्त्री दोनों के लिए अलग-अलग ढंग से परिवर्तन दर्शाती है। विशेष रूप से स्त्री की कुंडली में चतुर्थ (घर), सप्तम (पति), अष्टम (ससुराल), और द्वादश (स्थान परिवर्तन) भाव अधिक सक्रिय हो जाते हैं। यदि इन भावों में शुभ ग्रह हों तो महिला का वैवाहिक जीवन सुखद होता है।

पुरुष की कुंडली में विवाह के बाद सप्तम, नवम और एकादश भाव विशेष रूप से सक्रिय होते हैं। इन भावों की स्थिति और दशा के अनुसार, उसका पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन आकार लेता है।

जीवनसाथी की कुंडली का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार जब दो लोग विवाह करते हैं, तो उनकी कुंडलियों का मिलान केवल गुणों तक सीमित नहीं होता, बल्कि दोनों की ऊर्जा का आपसी संयोग भी देखा जाता है। विवाह के बाद पति की कुंडली पर पत्नी की ग्रह स्थिति प्रभाव डालती है और इसके विपरीत भी।

यदि दोनों की कुंडलियों में सप्तम भाव या सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी) शुभ ग्रहों द्वारा प्रभावित हो, तो संबंधों में सामंजस्य बना रहता है। वहीं यदि दोनों की कुंडलियों में परस्पर शत्रु ग्रह प्रमुख हों, तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।

संतान योग की सक्रियता

विवाह के बाद पंचम भाव (संतान) की भूमिका भी बढ़ जाती है। विवाह के बाद कुंडली में पंचम भाव की स्थिति यह दर्शाती है कि संतान सुख कब और कैसे मिलेगा। यदि पंचम भाव में शुभ ग्रह हों और गुरु की दृष्टि हो, तो संतान सुख शीघ्र प्राप्त होता है। लेकिन अशुभ ग्रह पंचम भाव में हो तो संतान में देरी, गर्भपात या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

आर्थिक स्थिति और करियर पर प्रभाव

आर्थिक स्थिति और करियर पर प्रभाव

विवाह के बाद व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और करियर  में भी कई बार अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिलते हैं। यदि विवाह के समय दशा या गोचर में लाभ भाव सक्रिय हो, तो आर्थिक उन्नति, व्यापार में सफलता या नौकरी में पदोन्नति संभव होती है।

वहीं यदि अष्टम या द्वादश भाव सक्रिय हो, तो यह अचानक व्यय, स्वास्थ्य व्यय, या नौकरी में अस्थिरता भी ला सकता है। 

विवाह के बाद कुंडली में बदलाव से कैसे निपटें?

ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय और समाधान बताए गए हैं जिनसे विवाह के बाद होने वाले नकारात्मक प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है:

  • सप्तम भाव में अशुभ ग्रह हो तो शिव-पार्वती की पूजा करें

  • शुक्र या गुरु की स्थिति कमजोर हो तो विशेष व्रत रखें

  • नवग्रह शांति का यज्ञ कराना लाभदायक रहता है

  • हर शुक्रवार को सुहागन स्त्रियों को सुहाग सामग्री दान करें

इन उपायों से कुंडली में विवाह के बाद उत्पन्न हो रहे दोषों को शांत किया जा सकता है।

अब तक के विस्तृत विश्लेषण से स्पष्ट है कि विवाह के बाद कुंडली कैसे बदलती है? इसका उत्तर केवल एक भाव या ग्रह से नहीं मिलता, बल्कि सम्पूर्ण ज्योतिषीय प्रणाली में इसके संकेत मौजूद हैं। सप्तम भाव की सक्रियता, नवमांश कुंडली की भूमिका, दशा और गोचर ग्रहों के प्रभाव, जीवनसाथी की कुंडली का आपसी संबंध — ये सभी मिलकर यह स्पष्ट करते हैं कि विवाह केवल सामाजिक या पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से जीवन की एक नई शुरुआत है।

यदि समय रहते इन बदलावों को समझ लिया जाए, और ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त किया जाए, तो न केवल वैवाहिक जीवन में संतुलन बना रह सकता है, बल्कि संपूर्ण जीवन को अधिक सकारात्मक और समृद्ध बनाया जा सकता है।

रीना शर्मा, स्कीम नंबर 78, इंदौर
"शादी के बाद मेरे करियर और पैसों की स्थिति बिगड़ने लगी थी। एक मित्र की सलाह पर मैं विजय नगर, इंदौर के एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मिली। उन्होंने मेरी कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर बताया कि विवाह के बाद कौन से ग्रह कमजोर हुए हैं और उनके लिए क्या उपाय करने चाहिए। जैसे-जैसे मैंने उनके बताए उपाय किए, वैसे-वैसे आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। आज मैं पहले से ज्यादा आत्मनिर्भर और खुश हूँ। धन्यवाद एस्ट्रोलॉजर साहू जी!"

कविता जोशी, भंवरकुआं, इंदौर
"मेरी शादी के बाद अचानक खर्चे बढ़ गए और सेविंग्स बिल्कुल खत्म होने लगी थी। मैं बहुत परेशान थी। तब मैंने विजय नगर, इंदौर के एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी और मेरे पति की कुंडली देखकर बताया कि धन हानि किस ग्रह की वजह से हो रही है और कौन से उपाय करने से लाभ होगा। उनके बताए रत्न और शुक्रवार के उपायों से अब धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है। मैं सच में बहुत राहत महसूस कर रही हूँ!"

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:



Suggested Post

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत?

 भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत? भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ...