कुंडली मिलान के 36 गुणों का रहस्य

कुंडली मिलान के 36 गुणों का रहस्य

कुंडली मिलान के 36 गुणों का रहस्य

भारतीय संस्कृति में विवाह को सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। शादी से पहले कुंडली मिलान की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिसका उद्देश्य केवल ग्रहों की स्थिति देखना नहीं, बल्कि वर और वधु के बीच सामंजस्य, स्वास्थ्य, संतान सुख और दांपत्य जीवन की सफलता सुनिश्चित करना होता है।

कुंडली मिलान के 36 गुणों का विश्लेषण एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके बिना विवाह संबंधों को अंतिम रूप देना अपूर्ण माना जाता है। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि आखिर ये 36 गुणों का रहस्य क्या है, उनका महत्व क्या है, और कैसे ये आपके वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं।

कुंडली मिलान क्या है?

कुंडली मिलान एक प्राचीन ज्योतिषीय प्रक्रिया है, जिसमें लड़के और लड़की की जन्म कुंडलियों का मिलान किया जाता है। इसमें उनके जन्म के समय, नक्षत्र, राशि, ग्रहों की स्थिति और अन्य कारकों का विश्लेषण किया जाता है। कुंडली मिलान का मुख्य उद्देश्य यह देखना होता है कि दोनों के स्वभाव, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, संतान योग, और पारिवारिक सामंजस्य में तालमेल है या नहीं।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है गुण मिलान, जिसे अष्टकूट मिलान भी कहा जाता है, जिसमें कुल 36 गुणों की तुलना की जाती है।

कुंडली मिलान के 36 गुणों का महत्व

कुंडली मिलान के 36 गुणों के जरिए दो कुंडलियों के बीच सामंजस्य का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें आठ मुख्य घटक (अष्टकूट) होते हैं, जिनसे ये गुण निकलते हैं। जिन युगलों के 36 गुणों में से कम से कम 18 गुण मिलते हैं, उन्हें शादी के लिए अनुकूल माना जाता है। अगर 28 से ऊपर गुण मिलते हैं, तो इसे श्रेष्ठ योग माना जाता है।

अष्टकूट मिलान के घटक

अष्टकूट मिलान के घटक

अब जानते हैं उन आठ घटकों के बारे में, जिनसे कुंडली मिलान के 36 गुणों का निर्धारण होता है:

  • वरना – 1 गुण
    स्वभाव और आध्यात्मिक स्तर की समानता देखी जाती है।
  • वश्य  – 2 गुण
    कौन किस पर प्रभाव डाल सकता है, यह देखा जाता है।
  • तारा  – 3 गुण
    जन्म नक्षत्रों की अनुकूलता और स्वास्थ्य की स्थिरता देखी जाती है।
  • योनि  – 4 गुण
    शारीरिक और मानसिक अनुकूलता का मूल्यांकन किया जाता है।
  • ग्रह मैत्री  – 5 गुण
    ग्रहों के स्वामियों की मित्रता देखी जाती है।
  • गण  – 6 गुण
    मानसिकता और स्वभाव का सामंजस्य देखना।
  • भकूट  – 7 गुण
    आर्थिक स्थिति और परिवार में सामंजस्य।
  • नाड़ी – 8 गुण
    स्वास्थ्य और संतति सुख।

इन सभी के कुल मिलाकर 36 गुणों होते हैं, जो विवाह के अनुकूलता का आधार बनते हैं।

गुण मिलान का स्कोर और उसका महत्व

गुण मिलान स्कोरफलादेश
18 से कमविवाह अनुशंसित नहीं
18-24सामान्य अनुकूलता
25-32उत्तम अनुकूलता
33-36अत्युत्तम, श्रेष्ठ विवाह योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली मिलान के 36 गुणों में से कम से कम 18 गुण मिलते हों, तो शादी की अनुमति दी जाती है। लेकिन कम गुण मिलने पर विवाह से परहेज करना चाहिए, या फिर उपायों का सहारा लेना चाहिए।

क्या सभी गुणों का मिलना ज़रूरी है?

कई बार ऐसा भी होता है कि किसी जोड़े के सिर्फ 20-22 गुण मिलते हैं, लेकिन उनका दांपत्य जीवन सुखमय होता है। इसका कारण यह है कि कुंडली में अन्य योग और ग्रहों की स्थिति भी बहुत महत्व रखती है।

इसलिए, कुंडली मिलान के 36 गुणों की जांच के साथ-साथ मंगल दोष, शनि दोष, सप्तम भाव और नवांश कुंडली का भी परीक्षण किया जाना चाहिए।

नाड़ी दोष का महत्व

नाड़ी दोष का महत्व

36 गुणों में सबसे ज्यादा महत्व नाड़ी कूट को दिया जाता है, क्योंकि इसके 8 गुण होते हैं। यदि वर और वधु की नाड़ी समान हो, तो इसे नाड़ी दोष कहा जाता है, जो संतान सुख और स्वास्थ्य के लिए अशुभ माना जाता है।

अगर नाड़ी दोष हो, तो ज्योतिषीय उपाय जैसे नाड़ी दोष शांति पूजा, रुद्राभिषेक, या दान से इसका समाधान किया जा सकता है।

क्या उपाय हैं कम गुण मिलने पर?

अगर कुंडली मिलान के 36 गुणों में से कम गुण मिल रहे हों, तो ज्योतिषी से परामर्श लेकर निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

  • मंगल दोष शांति पूजा

  • रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जाप

  • ग्रह शांति हवन

  • नवग्रह यंत्र या रत्न धारण करना

इन उपायों से ग्रह दोषों को शांत किया जा सकता है और दांपत्य जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

आधुनिक युग में गुण मिलान की प्रासंगिकता

आज के युग में कई लोग मानते हैं कि प्यार, समझ और आपसी सम्मान ही विवाह के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन इसके बावजूद, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कुंडली मिलान के 36 गुणों का मिलान अभी भी भारतीय समाज में महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे मानसिक शांति, विश्वास और पारिवारिक सहमति प्राप्त होती है।

कुंडली मिलान के 36 गुणों का रहस्य केवल अंक जोड़ने का नहीं, बल्कि यह दो लोगों के जीवन, स्वभाव, स्वास्थ्य, और पारिवारिक सामंजस्य का सूक्ष्म अध्ययन है। इससे विवाह के बाद होने वाली समस्याओं की पहचान पहले ही हो सकती है और उनके उपाय निकाले जा सकते हैं।

अगर आप भी शादी की योजना बना रहे हैं, तो जरूर एक कुशल ज्योतिषी से अपनी कुंडली मिलानराएं और 36 गुणों का सटीक मिलान करवाकर सुखद दांपत्य जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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पायल अग्रवाल, पलासिया, इंदौर

"मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए कुंडली मिलान करवाने के लिए विजय नगर, इंदौर के एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। साहू जी ने 36 गुणों का महत्व बहुत सरल भाषा में समझाया और बताया कि किन गुणों के मेल से विवाह में स्थिरता आती है। पलासिया में हमारे परिवार में अब सब लोग साहू जी की सलाह की तारीफ करते हैं। बहुत संतुष्ट हूँ!"

राहुल मिश्रा ,भंवरकुआँ, इंदौर

"मेरी शादी तय होने से पहले हम भंवरकुआँ, इंदौर से विजय नगर के एस्ट्रोलॉजर साहू जी के पास गए थे। साहू जी ने कुंडली के 36 गुण मिलाकर विस्तार से बताया कि किन-किन क्षेत्रों में सामंजस्य ज़रूरी होता है। उनकी सलाह से ही हमने शादी का निर्णय लिया, और आज हम बहुत खुश हैं। इंदौर में अगर कुंडली मिलानी हो, तो साहू जी से बेहतर कोई नहीं!"

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Astrologer Sahu Ji
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