कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर: जानिए जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव

कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर: जानिए जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव

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कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति और उनका बल बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह किस राशि में स्थित हैं, यह तय करता है कि वे ग्रह कितने प्रभावी होंगे। विशेष रूप से, कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का क्या अर्थ होता है, ये ग्रह कैसे जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालते हैं, और इनके उपाय क्या हैं।

उच्च और नीच ग्रहों का मूल अर्थ क्या है?

उच्च ग्रह:

जब कोई ग्रह उस राशि में स्थित होता है जहां उसकी शक्ति सर्वोच्च होती है, तो उसे "उच्च ग्रह" कहा जाता है। ऐसे ग्रह व्यक्ति के जीवन में शुभ परिणाम देते हैं, आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, और सफलता की राह आसान करते हैं।

नीच ग्रह:

जब कोई ग्रह उस राशि में स्थित होता है जहां उसकी शक्ति सबसे कम होती है, तो वह "नीच ग्रह" कहलाता है। ऐसे ग्रह जीवन में संघर्ष, भ्रम और असंतुलन ला सकते हैं।

कौन-से ग्रह कब उच्च और कब नीच होते हैं?

ग्रहउच्च राशिनीच राशि
सूर्यमेषतुला
चंद्रवृषभवृश्चिक
मंगलमकरकर्क
बुधकन्यामीन
गुरुकर्कमकर
शुक्रमीनकन्या
शनितुलामेष
राहुवृषभ (माना जाता है)वृश्चिक
केतुवृश्चिक (माना जाता है)वृषभ
यह तालिका दिखाती है कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों को पहचानने के लिए किस राशि की उपस्थिति मायने रखती है।

कुंडली में उच्च ग्रहों के लाभ

कुंडली में उच्च ग्रहों के लाभ

जब आपकी जन्म कुंडली में कोई ग्रह उच्च का होता है, तो वह अपनी पूर्ण क्षमता में काम करता है। इसका असर इस प्रकार होता है:

आत्मविश्वास और नेतृत्व गुण

उच्च सूर्य या मंगल जातक में आत्मबल, निर्णय क्षमता और नेतृत्व शक्ति बढ़ाते हैं।

बुद्धिमत्ता और संवाद कौशल

उच्च बुध व्यक्ति को तर्कशील, व्यावसायिक और बुद्धिमान बनाता है।

आध्यात्मिक उन्नति

उच्च गुरु या शुक्र व्यक्ति को धार्मिक, नैतिक और कलात्मक बनाते हैं।

जीवन में स्थिरता और सफलता

उच्च शनि कार्यक्षमता, धैर्य और लंबी अवधि की सफलता देता है।

उच्च ग्रहों की स्थिति किसी भी कुंडली में बहुत शुभ मानी जाती है, लेकिन साथ ही यह भी देखना होता है कि वह ग्रह शुभ भाव में है या अशुभ भाव में।

कुंडली में नीच ग्रहों के दुष्प्रभाव

कुंडली में नीच ग्रह यदि नीच स्थिति में हैं और उन्हें कोई शुभ दृष्टि या योग बल नहीं मिल रहा है, तो उनके निम्न प्रभाव हो सकते हैं:

आत्मबल की कमी

नीच सूर्य आत्म-संदेह, पिता से संबंध में तनाव और पहचान की समस्या ला सकता है।

भावनात्मक असंतुलन

नीच चंद्रमा मानसिक अस्थिरता, अकेलापन और अवसाद दे सकता है।

क्रोध और हिंसा की प्रवृत्ति

नीच मंगल व्यक्ति को असहिष्णु और आक्रामक बना सकता है।

निर्णय लेने की असमर्थता

नीच बुध व्यक्ति को भ्रमित और व्यावसायिक रूप से असफल बना सकता है।

नैतिक और मानसिक कमजोरियाँ

नीच गुरु या शुक्र गलत निर्णय, अनैतिकता और संबंधों में असंतुलन का कारण बन सकते हैं।

क्या नीच ग्रह हमेशा बुरा होता है?

क्या नीच ग्रह हमेशा बुरा होता है?

ज़रूरी नहीं कि कुंडली में नीच ग्रह हमेशा अशुभ परिणाम दें। अगर नीच ग्रह:

  • नीचभंग राजयोग में हो,

  • शुभ ग्रहों की दृष्टि से सुसंस्कृत हो,

  • या उच्च भाव में स्थित हो,

तो वह व्यक्ति को असाधारण सफलता भी दे सकता है। जैसे:

यदि नीच गुरु नीचभंग में है और पंचम भाव में है, तो वह व्यक्ति उच्च शिक्षित, धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु बन सकता है।

नीचभंग राजयोग क्या है?

जब कोई नीच ग्रह कुछ विशेष स्थितियों में अपनी नीचता को तोड़ देता है और शुभ फल देने लगता है, तो उसे नीचभंग राजयोग कहा जाता है।

नीचभंग के कुछ सामान्य योग:

  1. नीच ग्रह के साथ उसी राशि का स्वामी स्थित हो।

  2. नीच ग्रह की राशि में उच्च ग्रह हो।

  3. नीच ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हो और शुभ दृष्टि से युक्त हो।

उच्च और नीच ग्रहों के उदाहरण

उच्च मंगल (मकर):

अत्यंत परिश्रमी, रणनीतिक सोच वाला और सेना, पुलिस या इंजीनियरिंग में सफल।

नीच मंगल (कर्क):

भावनात्मक रूप से अस्थिर, जल्द क्रोधित होने वाला और निर्णय लेने में असमर्थ।

उच्च शुक्र (मीन):

कलात्मक, प्रेमपूर्ण, भौतिक सुखों में समृद्ध।

नीच शुक्र (कन्या):

रिश्तों में असंतुलन, सौंदर्य या भोग-विलास से दूरी।

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की सही पहचान और उनका विश्लेषण बेहद आवश्यक है।

क्या उपाय किए जा सकते हैं?

नीच ग्रहों की स्थिति सुधारने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

ग्रह शांति के मंत्र

जैसे नीच चंद्र के लिए “ॐ चंद्राय नमः”, नीच शुक्र के लिए “ॐ शुक्राय नमः”।

रत्न धारण

शुद्ध और ज्योतिषीय रूप से उचित रत्न धारण करना जैसे पुखराज, मूंगा, हीरा आदि।

दान

नीच ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना जैसे नीच शनि के लिए काला तिल, लोहे का दान।

कर्म और संयम

स्वयं पर संयम और अच्छे कर्मों के माध्यम से भी ग्रहों के प्रभाव को परिवर्तित किया जा सकता है।

कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की भूमिका व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा तय करती है। उच्च ग्रहों की उपस्थिति जहां जीवन में उन्नति, सफलता और संतुलन लाती है, वहीं कुंडली में नीच ग्रह चुनौतियां, संघर्ष और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं।

परंतु, कोई भी ग्रह पूरी तरह अशुभ या शुभ नहीं होता। उसकी दशा, दृष्टि, भाव और अन्य ग्रहों से संबंध मिलकर ही उसका समग्र प्रभाव तय करते हैं। इसलिए किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेषण कराना अत्यंत आवश्यक है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कौन से ग्रह उच्च या नीच हैं और उनका आपके जीवन पर क्या असर है, तो अवश्य ही किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें — ताकि आप सही निर्णय लेकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकें।

संदीप जोशी,सुदामा नगर, इंदौर

"मैं कई सालों से करियर में असफलता और आत्मविश्वास की कमी से परेशान था। एक मित्र की सलाह पर मैंने विजय नगर स्थित एस्ट्रोलॉजर साहू जी से कुंडली दिखवाई। उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में चंद्रमा नीच का है, जिससे मानसिक अस्थिरता और निर्णय में भ्रम बना रहता है। साहू जी ने कुछ सरल उपाय और रत्न पहनने की सलाह दी। कुछ ही महीनों में मेरी स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया। मैं इंदौर में ज्योतिष सलाह के लिए सिर्फ साहू जी को ही चुनता हूँ।"

नेहा खरे,पलासिया, इंदौर

"मेरे जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव चल रहे थे। फिर मैंने विजय नगर, इंदौर में स्थित प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में शुक्र उच्च का है, लेकिन मंगल नीच का होने के कारण विवाह में रुकावटें आ रही थीं। उनके बताए उपायों और व्रतों को करने से कुछ ही महीनों में रिश्ते बनने लगे और आज मैं खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रही हूँ। साहू जी की ज्योतिषीय दृष्टि वाकई अद्भुत है।"

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