कौन-से ग्रह बनाते हैं किसी को आध्यात्मिक या धार्मिक?

कौन-से ग्रह बनाते हैं किसी को आध्यात्मिक या धार्मिक?

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कौन-से ग्रह बनाते हैं किसी को आध्यात्मिक या धार्मिक?

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के स्वभाव, सोच, प्रवृत्तियों और रुचियों पर ग्रहों का गहरा प्रभाव माना गया है। कोई व्यक्ति धार्मिक प्रवृत्ति का हो या फिर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो, यह उसकी कुंडली में स्थित ग्रहों और उनके योगों से स्पष्ट देखा जा सकता है। कुछ ग्रह स्वभाव से ही धर्म, भक्ति और आत्मिक चेतना को प्रभावित करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-से ग्रह मनुष्य को आध्यात्मिक या धार्मिक बनाते हैं, उनके विशेष योग क्या हैं और किन भावों में ये ग्रह विशेष फल प्रदान करते हैं।

बृहस्पति (गुरु): आध्यात्मिक ज्ञान और धार्मिकता का प्रतीक

बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है। यह ग्रह धार्मिकता, वेद-शास्त्र, धर्म-कर्म, नैतिकता, और सद्गुणों का प्रतिनिधित्व करता है।

गुरु के आध्यात्मिक योग:

  • गुरु यदि 1, 5, 9 या 12वें भाव में हो तो व्यक्ति धर्मभीरु, आध्यात्मिक और गुरु-संप्रदाय में विश्वास करने वाला होता है।

  • गुरु उच्च का हो (कर्क राशि में) या स्वराशि (धनु या मीन) में हो तो धार्मिक आचरण प्रबल होता है।

  • गुरु यदि चंद्रमा के साथ ‘गजकेसरी योग’ बनाए तो व्यक्ति विद्वान, धार्मिक, और जनसेवक होता है।

गुरु से जुड़ी विशेषताएँ:

  • धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन

  • धार्मिक यात्राओं में रुचि

  • गुरुओं के प्रति श्रद्धा

  • उपदेशक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक बनने की क्षमता

चंद्रमा: भावना और भक्ति का ग्रह

चंद्रमा: भावना और भक्ति का ग्रह

चंद्रमा व्यक्ति की मानसिक स्थिति, भावना और चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। जब यह शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट होता है तो व्यक्ति का झुकाव धर्म और भक्ति की ओर होता है।

चंद्रमा के योग:

  • चंद्रमा यदि 4वें या 9वें भाव में हो और गुरु से दृष्ट हो तो व्यक्ति अत्यंत धार्मिक और भावनात्मक रूप से संलग्न होता है।

  • यदि चंद्रमा मीन राशि में हो, जो कि एक आध्यात्मिक जल राशि है, तो व्यक्ति को आत्मिक शांति की तलाश रहती है।

केतु: वैराग्य और आत्मज्ञान का प्रतिनिधि

केतु को आध्यात्मिकता और मोक्ष का ग्रह माना जाता है। यह भौतिक संसार से विरक्ति और आत्मा की खोज को प्रेरित करता है।

केतु के योग:

  • केतु 12वें भाव में होने पर व्यक्ति को परमहंस योग या सन्यासी प्रवृत्ति मिलती है।

  • केतु 9वें भाव में गुरु से युक्त या दृष्ट हो तो गहन धार्मिक और रहस्यवादी झुकाव देता है।

  • केतु के कारण व्यक्ति तंत्र, योग, ध्यान और गूढ़ विद्याओं में रुचि रखता है।

शनि: संयम, तपस्या और साधना का ग्रह

शनि दिखने में कठोर ग्रह है, लेकिन यह तप, साधना, अनुशासन और संयम से व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करता है।

शनि के प्रभाव:

  • शनि यदि 12वें, 8वें या 9वें भाव में हो तो व्यक्ति तपस्वी, मौनव्रती और एकाकी प्रवृत्ति का हो सकता है।

  • शनि की महादशा में अक्सर व्यक्ति जीवन की गहराइयों को समझने और आत्म-चिंतन में प्रवृत्त होता है।

  • शनि के साथ केतु या गुरु का योग भी व्यक्ति को तपस्वी बना सकता है।

सूर्य: आत्मा और आत्मिक बल का स्रोत

सूर्य आत्मा का प्रतिनिधि है। जब यह गुरु, चंद्रमा या केतु से युक्त होता है, तो व्यक्ति को आत्मा की खोज और उच्च चेतना की ओर ले जाता है।

सूर्य के आध्यात्मिक योग:

  • सूर्य 9वें भाव में हो और गुरु से युक्त हो तो व्यक्ति धार्मिक गुरु बन सकता है।

  • सूर्य उच्च का (मेष) हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो यह आत्मबल और उच्च नैतिकता प्रदान करता है।

धर्म और मोक्ष त्रिकोण का महत्व

धर्म और मोक्ष त्रिकोण का महत्व

कुंडली में 1, 5, 9वें भाव को धर्म त्रिकोण और 4, 8, 12वें भाव को मोक्ष त्रिकोण कहा जाता है। इन भावों में शुभ ग्रहों की स्थिति और प्रभाव व्यक्ति को आध्यात्मिक बनाते हैं।

उदाहरण:

  • यदि गुरु 9वें भाव में और चंद्रमा 12वें भाव में हो, तो व्यक्ति धर्म के साथ-साथ मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

  • गुरु और केतु का संयोग 5वें भाव में हो तो व्यक्ति को दिव्य दृष्टि और आत्मज्ञान मिल सकता है।

कुछ महत्वपूर्ण योग जो आध्यात्मिक बनाते हैं:

  • गजकेसरी योग: चंद्रमा और गुरु का केंद्रों में संयोग – व्यक्ति धार्मिक, शांतचित्त और साधक होता है।

  • परमहंस योग: चंद्रमा और गुरु 12वें भाव में – मोक्ष की दिशा में प्रवृत्ति होती है।

  • मोक्षकारक योग: केतु, शनि और गुरु का संयोग मोक्ष त्रिकोण में – व्यक्ति सांसारिक मोह से परे होकर आत्मज्ञान प्राप्त करता है।

व्यवहार में आध्यात्मिकता कैसे दिखती है?

  • धार्मिक स्थलों की यात्रा में रुचि

  • नियमित पूजा, ध्यान, साधना

  • आध्यात्मिक गुरुओं की संगति

  • लोक कल्याण और सेवा का भाव

  • सांसारिक मोह से दूरी

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो व्यक्ति की आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रवृत्तियाँ केवल बाहरी संस्कारों से नहीं, बल्कि उसकी जन्मकुंडली में स्थित ग्रहों और भावों के आधार पर विकसित होती हैं। बृहस्पति, चंद्रमा, केतु, शनि और सूर्य जैसे ग्रह अगर उचित भावों में स्थित हों या शुभ दृष्टि में हों, तो व्यक्ति आध्यात्मिक या धार्मिक प्रवृत्ति वाला होता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में धर्म और मोक्ष त्रिकोण में शुभ योग हों, तो वह न केवल धार्मिक होता है बल्कि आत्मज्ञान की ओर भी अग्रसर होता है।

आपकी कुंडली में कौन से ग्रह आपको आध्यात्मिक बना रहे हैं? यह जानने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें और अपने जीवन को एक नई दिशा दें।

"धर्म, भक्ति और आत्मज्ञान – यही जीवन का परम उद्देश्य है।"


 रेखा मिश्रा
राजबाड़ा, इंदौर

मैं हमेशा से आध्यात्मिक विषयों की ओर आकर्षित रही हूँ, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों होता है। इंदौर के राजबाड़ा के पास स्थित एस्ट्रोलॉजर मनोज साहू जी से कुंडली दिखाने पर उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में गुरु और केतु का विशेष योग मुझे धार्मिक और ध्यानप्रिय बनाता है। उन्होंने बेहद सरल भाषा में समझाया कि कौन-से ग्रह जीवन को आध्यात्मिक मार्ग की ओर ले जाते हैं। उनके सुझावों और दिशा-निर्देशों ने मेरी साधना और गहराई दे दी है।"

विवेक शर्मा
बापट चौराहा, इंदौर

बचपन से ही मंदिर जाना, मंत्र जाप करना और योग में मन लगता था। एक दिन बापट चौराहा के पास एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मुलाक़ात हुई, और उन्होंने मेरी जन्म कुंडली देखकर कहा कि मेरे जीवन में गुरु, चंद्र और केतु की स्थिति ने मुझे आध्यात्मिक बनाया है। उन्होंने बहुत सटीक बताया कि कब-कब मेरी रुचि और गहराई बढ़ी। उनके मार्गदर्शन से मैंने ध्यान और भक्ति की सही दिशा पाई। इंदौर में ऐसा अनुभवी ज्योतिषी मिलना एक सौभाग्य है।"

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Astrologer Sahu Ji
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