बाल्यकाल में ग्रहों के दोष – क्या करें माता-पिता?

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष – क्या करें माता-पिता?

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष 

हर माता-पिता की यह ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ, बुद्धिमान और जीवन में सफल हो। परंतु कभी-कभी बच्चों के विकास में बाधाएँ आती हैं – जैसे मानसिक विकास की धीमी गति, स्वास्थ्य समस्याएं, पढ़ाई में ध्यान की कमी, जिद्दी स्वभाव या बार-बार बीमार पड़ना। अक्सर माता-पिता इन समस्याओं को सामान्य मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि इन सबके पीछे बाल्यकाल में ग्रहों के दोष जिम्मेदार हो सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके जीवन पर ग्रहों का प्रभाव और भी गहराता जाता है। यदि जन्म कुंडली में कुछ विशेष कुंडली दोष हों या बाल्यकाल में ग्रहों के दोष प्रभावी हों, तो उनका असर बच्चे के जीवन पर गहरा हो सकता है।

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष क्या होते हैं?

जब बच्चा जन्म लेता है, तब उसके जन्म के समय की ग्रह स्थिति उसकी कुंडली में अंकित हो जाती है। यदि किसी ग्रह की स्थिति नीच की, पाप ग्रहों से पीड़ित या वक्री हो, तो यह स्थिति बाल्यकाल में ग्रहों के दोष को जन्म देती है। ये दोष बच्चे के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

कुछ प्रमुख दोष जो बाल्यकाल में प्रभाव डालते हैं:

ग्रहों का बाल्यकाल में प्रभाव

ग्रहों का बाल्यकाल में प्रभाव

सूर्य का दोष:

यदि सूर्य कमजोर हो या अशुभ स्थान में हो, तो बच्चा आत्मबल में कमजोर, डरपोक या बार-बार बुखार से पीड़ित हो सकता है। यह समस्या आत्मविश्वास की कमी और नेतृत्व क्षमता के विकास में रुकावट पैदा करती है।

चंद्रमा का दोष:

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष में चंद्रमा का कमजोर होना अत्यधिक भावनात्मक असंतुलन, नींद की कमी, जिद्दीपन और मां से दूरी का कारण बनता है। कुंडली दोष के अनुसार यदि चंद्रमा पर राहु या शनि की दृष्टि हो, तो मानसिक विकास में बाधा आती है।

मंगल दोष (मंगली दोष):

बच्चे में क्रोध, चिड़चिड़ापन, चोट लगने की संभावना या दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे बच्चे अन्य बच्चों से लड़ने-झगड़ने में अधिक रुचि लेते हैं।

बुध का दोष:

बुद्धि का ग्रह कमजोर हो तो बच्चा पढ़ाई में कमजोर, बोलने में हकलाहट या भाषा संबंधित समस्याओं से जूझता है।

गुरु का दोष:

गुरु कमजोर हो तो आध्यात्मिकता, नैतिकता और मार्गदर्शन में बाधा आती है। ऐसे बच्चे को अनुशासन सिखाना कठिन हो सकता है।

राहु-केतु का दोष:

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष में राहु-केतु का दोष सबसे गहरा होता है। बच्चा डरपोक, भ्रमित, ध्यान केंद्रित न कर पाने वाला, अचानक बीमारी या दुर्घटना से प्रभावित हो सकता है।

कुंडली दोष कैसे पहचानें?

कुंडली दोष कैसे पहचानें?
  • जन्म के समय ग्रहों की स्थिति:
    यदि बच्चे की कुंडली में चंद्रमा, बुध, सूर्य या गुरु जैसे शुभ ग्रह पाप ग्रहों (राहु, केतु, शनि, मंगल) से प्रभावित हों, तो यह कुंडली दोष की ओर संकेत करता है।

  • अष्टकवर्ग या नवांश कुंडली का विश्लेषण:
    इसके माध्यम से यह समझा जा सकता है कि कौन-से ग्रह विशेष रूप से कमजोर या पीड़ित हैं।

  • दशा और अंतरदशा का प्रभाव:
    बाल्यकाल में जो ग्रह दशा में होते हैं, उनके प्रभाव को विशेष ध्यान से देखा जाना चाहिए।

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष को लेकर माता-पिता क्या करें?

जन्मकुंडली का विश्लेषण:

जन्म लेते ही बच्चे की कुंडली बनवाकर किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से उसका विश्लेषण कराना चाहिए ताकि बाल्यकाल में ग्रहों के दोष को पहले ही पहचाना जा सके।

ग्रहों की शांति कराना:

यदि किसी ग्रह का दोष पाया जाता है, तो उसके अनुसार उचित शांति अनुष्ठान, मंत्र जाप या दान-पुण्य किए जा सकते हैं।

संस्कार और धार्मिकता:

बच्चे को धार्मिक वातावरण में बड़ा करें, उसे संस्कार दें, भजन, मंत्र, ध्यान आदि से जोड़ें जिससे मानसिक और आध्यात्मिक मजबूती मिले।

रत्न धारण:

कुछ मामलों में ग्रहों की शांति हेतु उचित रत्न धारण करवाना भी लाभकारी होता है। जैसे – चंद्रमा कमजोर हो तो मोती, बुध कमजोर हो तो पन्ना इत्यादि।

नियमित पूजा और दान:

विशेष रूप से रविवार (सूर्य), सोमवार (चंद्र), बुधवार (बुध) आदि वारों पर ग्रहों से संबंधित दान एवं पूजा से भी कुंडली दोष शांत किए जा सकते हैं।

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष दूर करने के ज्योतिषीय उपाय

  • चंद्र दोष निवारण:

    • सोमवार को चंद्र मंत्र का जाप करें – ॐ सोम सोमाय नमः

    • दूध, चावल और सफेद कपड़े का दान करें।

    • चंद्रमा को जल अर्पण करें।

  • बुध दोष निवारण:

    • बुधवार को हरे वस्त्र पहनाएं।

    • हरा मूंग और पन्ना रत्न दान करें।

    • बुध मंत्र – ॐ बुधाय नमः का जाप कराएं।

  • मंगल दोष निवारण:

    • मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ कराएं।

    • मसूर दाल और तांबे का दान करें।

  • राहु-केतु दोष निवारण:

    • शनिवार या अमावस्या को राहु-केतु शांति पूजन कराएं।

    • नारियल और नीला वस्त्र दान करें।

    • महामृत्युंजय जाप लाभकारी रहेगा।

  • गुरु दोष निवारण:

    • गुरुवार को पीले वस्त्र पहनाएं।

    • पीली दाल और केले का दान करें।

    • गुरु मंत्र – ॐ बृस्पतये नमः का जाप कराएं।

माता-पिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण

बच्चों के जीवन की नींव बचपन में ही रखी जाती है। ऐसे में बाल्यकाल में ग्रहों के दोष को समझकर माता-पिता यदि समय रहते ज्योतिषीय उपाय करते हैं, तो बच्चा मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनता है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि ज्योतिषीय मार्गदर्शन किसी डर के लिए नहीं, बल्कि समाधान के लिए होता है।

बाल्यकाल में ग्रहों के दोष बच्चों के विकास में कई प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं। परंतु समय रहते यदि माता-पिता बच्चे की कुंडली दोष को समझकर उचित ज्योतिषीय उपाय करें, तो जीवन की दिशा सकारात्मक रूप से बदल सकती है।

ग्रहों की दशा और दिशा को ठीक करने का कार्य केवल एक अनुभवी ज्योतिषाचार्य ही कर सकता है। यदि आप भी अपने बच्चे के स्वभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य या भविष्य को लेकर चिंतित हैं, तो एक सटीक ज्योतिषीय मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करें। यह मार्गदर्शन आपके बच्चे के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और उसे सफलता की ओर अग्रसर कर सकता है।


पूजा वर्मा, स्कीम नंबर 78, इंदौर

"मेरे बेटे को बार-बार बीमारियाँ हो रही थीं और उसका मन पढ़ाई में भी नहीं लगता था। किसी ने सलाह दी कि जन्मकुंडली की जाँच कराएं। हम विजयनगर, इंदौर में एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मिले। उन्होंने कुंडली देखकर बताया कि बाल्यकाल में चंद्र दोष और राहु का असर है। उनके बताए सरल उपायों और यंत्रों से अब स्थिति में बहुत सुधार आया है। हम माता-पिता के लिए यह ज्ञान बहुत जरूरी है। धन्यवाद साहू जी!"

राकेश जोशी, भंवरकुआं, इंदौर

"हमारे बच्चे में गुस्सा बहुत ज्यादा था और वह अकेला रहना पसंद करता था। कई मनोवैज्ञानिकों से सलाह ली, फिर किसी ने कहा कि ग्रहों का असर भी हो सकता है। हमने विजयनगर, इंदौर स्थित प्रसिद्ध एस्ट्रोलॉजर मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने कुंडली में मंगल और शनि दोष बताया और कुछ रत्न और विशेष पूजा करवाने का सुझाव दिया। अब हमारे बेटे का व्यवहार बहुत बेहतर हो गया है। साहू जी की सलाह हमारे लिए वरदान जैसी रही।"

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Astrologer Sahu Ji
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