दुर्गा अष्टक का पाठ और उसका ज्योतिषीय महत्व
भारतीय संस्कृति में माँ दुर्गा को शक्ति, साहस और रक्षा की देवी माना जाता है। माँ दुर्गा के अनेक स्तोत्र और पाठ हैं जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं। उन्हीं में से एक है दुर्गा अष्टक। यह पाठ आठ श्लोकों का एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी दुर्गा की स्तुति करता है और उनके नौ रूपों की शक्ति को जाग्रत करता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे दुर्गा अष्टक का पाठ कैसे किया जाता है, इसका ज्योतिषीय महत्व क्या है, और इसे किन परिस्थितियों में पढ़ना विशेष फलदायी होता है।
दुर्गा अष्टक क्या है?
दुर्गा अष्टक का पाठ देवी दुर्गा की स्तुति में लिखा गया एक स्तोत्र है, जो संस्कृत भाषा में है और इसमें आठ श्लोक होते हैं। यह पाठ शक्ति उपासना का एक प्रभावी माध्यम है और इसे विशेषकर नवरात्रि, चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या तथा संकट के समय पढ़ना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
दुर्गा अष्टक का पाठ कैसे करें?
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
शुद्ध मन से 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' बीज मंत्र का जाप करें।
फिर दुर्गा अष्टक के आठ श्लोकों का पाठ करें।
पाठ के बाद आरती करें और माता रानी से प्रार्थना करें।
दुर्गा अष्टक के लाभ
भय, रोग और शत्रुओं से रक्षा करता है।
मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है।
आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल में वृद्धि करता है।
ग्रह दोष, विशेषकर मंगल, राहु, केतु और शनि के प्रभाव को शांत करता है।
दुर्गा अष्टक का ज्योतिषीय महत्व
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दुर्गा अष्टक का ज्योतिषीय महत्व |
मंगल दोष शांति
दुर्गा अष्टक विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष है।
इस पाठ से ऊर्जा संतुलित होती है और क्रोध, दुर्घटना जैसे प्रभाव कम होते हैं।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या में सहायक
शनि की प्रतिकूल दशा में जब व्यक्ति संघर्ष और रुकावटों से घिर जाता है, तब दुर्गा अष्टक पाठ से शनि के दुष्प्रभावों में राहत मिलती है।
शनिवार के दिन दुर्गा अष्टक का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
राहु-केतु के प्रभाव को कम करना
यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष, राहु-केतु की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो दुर्गा अष्टक का पाठ उन्हें शांति देता है।
अमावस्या, चतुर्दशी या राहु काल में पाठ करना फलदायी होता है।
चंद्रमा और मानसिक शांति
चंद्र दोष से संबंधित मानसिक समस्याओं, चिंता, अवसाद या भावनात्मक अस्थिरता में दुर्गा अष्टक अत्यंत लाभदायक होता है।
सोमवार को चंद्र युक्त दुर्गा मंत्र के साथ पाठ करना उपयोगी होता है।
ग्रहण के समय पाठ
ग्रहण काल में मंत्रोच्चारण अत्यधिक फलदायी माना गया है। यदि ग्रहण के समय दुर्गा अष्टक का पाठ किया जाए, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
शुभ मुहूर्त के लिए
कभी-कभी ग्रहों के मेल शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होते। ऐसे में दुर्गा अष्टक का पाठ करके नकारात्मक ग्रहों को शांत कर शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
दुर्गा अष्टक पाठ की विशेष तिथियाँ
तिथि | पाठ का प्रभाव |
---|---|
नवरात्रि के 9 दिन | माँ के नौ रूपों की कृपा प्राप्त होती है |
अष्टमी | विशेष रूप से कन्या पूजन और पाठ का योग |
चतुर्दशी | कालदोष, शत्रुनाश और तंत्र दोष से मुक्ति |
अमावस्या | पितृ दोष और राहु दोष शांति |
ग्रहण काल | अत्यंत प्रभावशाली, आत्मिक शुद्धि के लिए |
मंगलवार और शनिवार | मंगल व शनि दोष के लिए |
ज्योतिषीय उपायों में दुर्गा अष्टक का स्थान
कुंडली में दोष होने पर: यदि जातक की जन्मकुंडली में कोई विशेष दोष हो, तो नियमित दुर्गा अष्टक पाठ एक कारगर उपाय होता है।
महादशा और अंतरदशा में: किसी भी ग्रह की प्रतिकूल दशा में इस पाठ को 11 दिन तक निरंतर करने से प्रभाव में कमी आती है।
शक्तिपीठ दर्शन या यात्रा से पूर्व/पश्चात: यात्रा के पहले दुर्गा अष्टक पढ़ना यात्रा को सुरक्षित और फलदायी बनाता है।
कैसे जानें आपको दुर्गा अष्टक पढ़ना चाहिए?
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दुर्गा अष्टक पढ़ना |
क्या आप बार-बार दुर्घटनाओं, रुकावटों या शत्रु बाधा से ग्रस्त हैं?
क्या आपके जीवन में अचानक अवरोध या आर्थिक हानि हो रही है?
क्या आपको नींद न आना, डर लगना या चिंता सताती है?
यदि इनमें से एक या अधिक उत्तर हां में हैं, तो दुर्गा अष्टक का पाठ निश्चित रूप से आपके लिए लाभकारी होगा।
दुर्गा अष्टक न केवल एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि यह एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय भी है। इसका नियमित पाठ मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, ग्रह दोषों की शांति और आत्मबल की वृद्धि करता है। ज्योतिष में ग्रहों की अनुकूलता के लिए देवी की उपासना को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, और दुर्गा अष्टक इस दिशा में सबसे प्रभावशाली साधनों में से एक है।
जो व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा की तलाश में है, उसे दुर्गा अष्टक का नियमित पाठ अवश्य करना चाहिए। माँ दुर्गा की कृपा से जीवन के सभी संकटों से रक्षा संभव है।
जय माँ दुर्गा!
पायल मिश्रा
बाणगंगा, इंदौर
दुर्गा अष्टक का पाठ करने की सलाह मुझे एस्ट्रोलॉजर मनोज साहू जी ने दी थी, जब मैं मानसिक तनाव और ग्रह बाधाओं से परेशान थी। उन्होंने बताया कि यह पाठ विशेषकर ग्रह दोषों को शांत करने में अत्यंत प्रभावी है। मैंने नवरात्रि में नियमित पाठ शुरू किया और एक महीने में ही सकारात्मक परिवर्तन महसूस किया। बाणगंगा से उनका ऑफिस पास ही पड़ता है, और वहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा बहुत ही शांतिदायक है। इंदौर में अगर किसी को सच्चे मार्गदर्शन की तलाश है, तो साहू जी सबसे उपयुक्त हैं।"
विवेक जैन
राजवाड़ा, इंदौर
मैंने ‘दुर्गा अष्टक’ के ज्योतिषीय लाभों के बारे में एक सेमिनार में सुना था, और बाद में एस्ट्रोलॉजर साहू जी से विस्तार से मार्गदर्शन लिया। उन्होंने बताया कि विशेष कर राहु-केतु की दशा में यह पाठ अत्यंत शुभ होता है। राजवाड़ा क्षेत्र से उनके कार्यालय पहुँचना आसान है, और वो हर क्लाइंट को बहुत धैर्य से सुनते हैं। उनके बताए अनुसार दुर्गा अष्टक का पाठ करने से मेरे परिवार की कई परेशानियाँ हल हो गईं। उनकी विद्वता और अनुभव वाकई इंदौर के लिए गर्व की बात है।"