कौन-से ग्रह देते हैं विदेश यात्रा के योग?
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ग्रह देते हैं विदेश यात्रा |
विदेश जाने की इच्छा क्या आपकी कुंडली में लिखी है?
आज के समय में विदेश यात्रा या विदेश में बसने की इच्छा हर किसी के मन में होती है – चाहे वो पढ़ाई हो, नौकरी हो, व्यापार हो या स्थायी निवास। लेकिन क्या हर किसी को ये अवसर मिल पाता है? इसका उत्तर है – नहीं, क्योंकि यह सब ग्रहों की स्थिति और कुंडली में बने विशेष योगों पर निर्भर करता है।
भारतीय वैदिक ज्योतिष में यह माना गया है कि कुछ विशेष ग्रह और भाव (हाउस) व्यक्ति के जीवन में विदेश यात्रा, विदेश बसना या विदेशी जीवनशैली से जुड़े संकेत प्रदान करते हैं। आइए इस विषय को गहराई से समझते हैं।
विदेश यात्रा से जुड़े मुख्य ग्रह
राहु – विदेशी तत्वों का प्रतिनिधि
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राहु एक छाया ग्रह है और विदेशी वस्तुओं, संस्कृति, विचारधारा और स्थानों का प्रतिनिधित्व करता है।
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जब राहु अच्छी स्थिति में हो और दशा/अंतर्दशा में सक्रिय हो, तो व्यक्ति को विदेश यात्रा, विदेश नौकरी या स्थायी निवास मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
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राहु जब लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, या द्वादश भाव में स्थित हो तो यह विदेश से जुड़े अवसरों का संकेत देता है।
शुक्र – विलासिता और विदेश की यात्रा
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शुक्र विदेश से संबंधित सुख-सुविधाएं, ऐश्वर्य और सुंदर जीवन देता है।
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यदि शुक्र का संबंध राहु, शनि या बारहवें भाव से हो, तो व्यक्ति को विदेश यात्रा के साथ-साथ वहाँ लंबे समय तक बसने या विवाह के बाद विदेश जाने के योग मिलते हैं।
बुध – शिक्षा और व्यापार के लिए विदेश यात्रा
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बुध जब नवम या बारहवें भाव में हो और मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति को पढ़ाई या व्यापार के सिलसिले में विदेश जाने का अवसर देता है।
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बुध+राहु का योग विदेश में डिजिटल, IT या कंसल्टेंसी से जुड़ी नौकरियों में सफलता दिलाता है।
शनि – लंबी दूरी की यात्रा और स्थायित्व
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शनि धीमा लेकिन स्थायी फल देने वाला ग्रह है। यदि यह बारहवें भाव में स्थित हो या लग्न से बारहवें का स्वामी बन रहा हो, तो व्यक्ति को विदेश में स्थायी बसने या कार्य करने का अवसर मिलता है।
चंद्रमा – भावनात्मक लगाव और मानसिक झुकाव
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चंद्रमा जब किसी विदेशी ग्रह (जैसे राहु या शुक्र) के साथ हो या बारहवें भाव में हो, तो व्यक्ति का मानसिक झुकाव विदेश की ओर होता है।
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चंद्रमा+राहु का योग विदेश में रचनात्मक क्षेत्रों में अवसर देता है।
विदेश यात्रा से जुड़े भाव (हाउस)
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विदेश यात्रा से जुड़े भाव (हाउस) |
नवम भाव – लंबी दूरी की यात्रा और उच्च शिक्षा
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नवम भाव को भाग्य भाव भी कहा जाता है। यह धर्म, गुरु, विदेश यात्रा और उच्च शिक्षा से संबंधित होता है।
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यदि नवम भाव मजबूत हो और शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो व्यक्ति को विदेश जाने के धार्मिक, शैक्षणिक या सांस्कृतिक अवसर मिलते हैं।
बारहवां भाव – विदेश, निर्वासन और प्रवास
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यह सबसे मुख्य भाव होता है विदेश यात्रा और विदेश में बसने के लिए।
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यदि बारहवें भाव का स्वामी शुभ दशा में हो या शनि, राहु, शुक्र, बुध जैसे ग्रह यहाँ हों – तो यह संकेत है कि व्यक्ति को विदेश से जुड़ी गतिविधियाँ मिलेंगी।
तीसरा भाव – छोटे लेकिन लगातार प्रयास
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तीसरा भाव पराक्रम का भाव होता है। यदि इसकी दृष्टि या संबंध बारहवें भाव से हो तो व्यक्ति अपने प्रयासों के कारण विदेश यात्रा कर सकता है।
सप्तम भाव – विदेश विवाह या पार्टनर के साथ विदेश जाना
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सप्तम भाव जीवनसाथी का भाव होता है। यदि इसका संबंध बारहवें भाव या राहु से हो तो विवाह के बाद विदेश जाने के योग बनते हैं।
कुंडली में विदेश यात्रा के विशेष योग
बारहवें भाव में राहु या शनि का होना
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यह सबसे शक्तिशाली योग है। यह व्यक्ति को स्थायी प्रवास की ओर ले जाता है।
नवम भाव में शुभ ग्रहों का प्रभाव
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जैसे सूर्य, बुध या गुरु का नवम में होना उच्च शिक्षा या धर्म यात्रा हेतु विदेश का योग बनाता है।
राहु और शुक्र का संयोजन
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यह संयोजन व्यक्ति को विदेश में विलासितापूर्ण जीवन देता है।
चंद्रमा का राहु या बारहवें भाव से संबंध
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यह व्यक्ति की सोच और मन को विदेश की ओर प्रेरित करता है। अगर दशा भी साथ दे, तो मानसिक रूप से व्यक्ति विदेश बसना चाहता है।
विदेश यात्रा की दशा/अंतरदशा
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सिर्फ योग होने से विदेश यात्रा संभव नहीं होती, दशा और गोचर का समर्थन भी आवश्यक होता है।
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राहु, शनि, शुक्र, या बारहवें भाव के स्वामी की महादशा या अंतरदशा में विदेश यात्रा संभव होती है।
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गोचर में गुरु या शनि का बारहवें या नवम भाव में प्रवेश भी यात्रा को संभव बनाता है।
विदेश जाने से पहले उपाय
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विदेश जाने से पहले उपाय |
अगर आपकी कुंडली में विदेश योग हैं लेकिन बार-बार रुकावटें आ रही हैं, तो निम्न उपाय सहायक हो सकते हैं:
राहु के लिए:
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राहु बीज मंत्र: “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” – प्रतिदिन 108 बार जपें।
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नारियल को पानी में प्रवाहित करें।
शुक्र के लिए:
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शुक्र मंत्र: “ॐ शुक्राय नमः” – 108 बार जप करें।
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शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें और मीठा दान करें।
शनि के लिए:
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शनिदेव के मंदिर जाएं और सरसों का तेल चढ़ाएं।
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जरूरतमंदों को काले वस्त्र, उड़द या लोहे का दान करें।
चंद्रमा के लिए:
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सोमवार को चंद्रमा मंत्र जपें: “ॐ चंद्राय नमः”।
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दूध, चावल और सफेद चीजों का दान करें।
उदाहरण कुंडली 1 – लग्न कुंभ, राहु बारहवें भाव में, शुक्र नवम में
यह व्यक्ति 28 वर्ष की आयु में कनाडा गया, वहीं बस गया और अब PR प्राप्त कर चुका है।
उदाहरण कुंडली 2 – लग्न सिंह, चंद्रमा राहु के साथ सप्तम भाव में
विवाह के 6 माह बाद पत्नी के साथ ऑस्ट्रेलिया गया। राहु की महादशा में वीजा स्वीकृत हुआ।
विदेश यात्रा या विदेश में बसने की संभावना सिर्फ इच्छा या मेहनत से नहीं बल्कि आपकी कुंडली में लिखे ग्रहों के योग और दशा से निर्धारित होती है। राहु, शुक्र, शनि, बुध, चंद्रमा और बारहवां भाव – ये मिलकर वह ज्योतिषीय मार्ग बनाते हैं जो आपको विदेश की ओर ले जा सकता है।
यदि आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं या यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में विदेश योग हैं या नहीं, तो एक अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें और ग्रहों के अनुसार उपाय करें।
रचना तिवारी, स्कीम नंबर 54, इंदौर
मैं विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन वीज़ा बार-बार रिजेक्ट हो रहा था। स्कीम नंबर 54 में रहने वाली मेरी दोस्त ने मुझे एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मिलने की सलाह दी। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि राहु और द्वादश भाव का संबंध विदेश यात्रा से है, और कुछ विशेष उपाय कराए। यकीन मानिए, दो महीने के भीतर मेरा वीज़ा अप्रूव हो गया और आज मैं कनाडा में मास्टर्स कर रही हूँ। ये सब उनकी सटीक भविष्यवाणी और उपायों की वजह से हुआ।"
प्राची देशमुख ,भंवरकुआं, इंदौर
भंवरकुआं में रहने के दौरान मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी की बहुत तारीफ सुनी। जब मेरा यूएस वीज़ा अटक गया, तो मैं उनसे मिलने गई। उन्होंने बताया कि गुरु, चंद्रमा और शुक्र ग्रह की स्थिति मेरे लिए विदेश यात्रा के योग बना रही है लेकिन राहु बाधा दे रहा था। उन्होंने कुछ खास रत्न और मंत्र बताए। अब मैं अमेरिका में नौकरी कर रही हूँ। उनकी सलाह ने मेरे जीवन को एक नई दिशा दी है।