लगातार बीमार रहने के पीछे हो सकता है ग्रहों का दोष
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लगातार बीमार रहने के पीछे हो सकता है ग्रहों का दोष |
हर कोई जीवन में कभी न कभी शारीरिक समस्याओं या बीमारियों से गुजरता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बार-बार और बिना किसी ठोस कारण के बीमार पड़ता है, तो यह सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय कारणों से भी जुड़ा हो सकता है। लगातार बीमार रहने के पीछे कई बार आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति उत्तरदायी होती है। इसे ही हम कहते हैं – ग्रहों का दोष।
क्या कहती है ज्योतिष विद्या?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है, वही उसके पूरे जीवन पर प्रभाव डालती है। यदि ये ग्रह अशुभ भावों में स्थित हों या आपस में नीच/शत्रु स्थिति में हों, तो यह जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।
लगातार बीमार रहने के पीछे सबसे आम कारणों में कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव की भूमिका प्रमुख मानी जाती है। इन भावों से ही रोग, दुर्घटनाएं, अस्पताल, और मानसिक अशांति देखी जाती है।
स्वास्थ्य से संबंधित भाव और उनके ग्रह
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छठा भाव (रोग स्थान): यह भाव शरीर में होने वाले रोगों को दर्शाता है। यदि यहां राहु, केतु या शनि जैसे ग्रह बैठ जाएं तो व्यक्ति लगातार बीमार रहने के पीछे कारण बनते हैं।
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आठवां भाव: अचानक बीमारियाँ, दुर्घटनाएं, ऑपरेशन आदि इसी भाव से देखे जाते हैं। यहाँ मंगल या राहु की स्थिति अत्यंत अशुभ मानी जाती है।
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बारहवां भाव: अस्पताल, बेहोशी, मानसिक रोग, नींद न आना आदि इससे संबंधित हैं। यहाँ पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को बार-बार स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं घेर लेती हैं।
कुंडली में प्रमुख ग्रहों का दोष
शनि ग्रह का प्रभाव
यदि शनि नीच राशि में हो, या छठे-आठवें-बारहवें भाव में स्थित हो तो यह व्यक्ति को लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों में डाल देता है। यह एक धीमा ग्रह है, इसलिए इसके प्रभाव से बीमारी भी धीरे-धीरे बढ़ती है और इलाज से राहत जल्दी नहीं मिलती।
राहु और केतु
राहु और केतु छाया ग्रह हैं। इनका प्रभाव भ्रम, एलर्जी, मानसिक रोग, और रहस्यमयी बीमारियों से जुड़ा होता है। कुंडली में इनका अशुभ भावों में होना व्यक्ति को लगातार बीमार रहने के पीछे का मुख्य कारण बना सकता है।
मंगल और सूर्य
अगर मंगल क्रूर होकर छठे या आठवें भाव में हो, तो वह शरीर में सूजन, चोट, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। सूर्य कमजोर हो तो रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ता है।
क्या बीमारियाँ भी ग्रह विशेष से जुड़ी होती हैं?
हाँ, कुछ बीमारियों का संबंध सीधे ग्रहों से जोड़ा जाता है:
इसलिए कई बार देखा जाता है कि मेडिकल टेस्ट में सब सामान्य आता है, फिर भी व्यक्ति लगातार बीमार रहने के पीछे कुछ ऐसा कारण होता है जो सिर्फ ज्योतिष से ही समझा जा सकता है।
ग्रहों का दोष दूर करने के उपाय
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ग्रहों का दोष दूर करने के उपाय |
यदि किसी कुंडली में ग्रहों का दोष पाया जाए, तो नीचे दिए उपायों से इसे कम किया जा सकता है:
हवन या ग्रह शांति अनुष्ठान – विशेषकर अशुभ ग्रहों की शांति के लिए।
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दान करें – काले तिल, लोहे के बर्तन, नीले वस्त्र आदि शनि दोष में।
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मंत्र जाप – "ॐ नमः शिवाय", "ॐ रां राहवे नमः" आदि ग्रहों की कृपा प्राप्त करने हेतु।
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चिकित्सा के साथ ज्योतिष उपाय – चिकित्सा को छोड़ना नहीं चाहिए, लेकिन साथ में ग्रहों का दोष शांत करने के उपाय भी लाभकारी होते हैं।
लगातार बीमार रहने के पीछे क्या कुंडली जांच जरूरी है?
बिलकुल। यदि आप बार-बार बीमार पड़ रहे हैं, और मेडिकल जांच में स्पष्ट कारण नहीं मिल रहा, तो कुंडली दिखाना जरूरी है। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी कुंडली देखकर बता सकता है कि लगातार बीमार रहने के पीछे कौन से ग्रह दोषी हैं और उनके लिए क्या विशेष उपाय करने चाहिए।
जीवन में बीमारियाँ आना स्वाभाविक है, लेकिन अगर आप बिना कारण बार-बार बीमार हो रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। हो सकता है इसके पीछे ग्रहों का दोष छिपा हो। कुंडली की जांच कराना और उचित ज्योतिषीय उपाय अपनाना आपके स्वास्थ्य को सुधार सकता है।
संगीता राठौर, सुदामा नगर, इंदौर
"मैं पिछले कई वर्षों से बार-बार बीमार हो रही थी, लेकिन डॉक्टरी इलाज से भी पूरी राहत नहीं मिल रही थी। किसी ने मुझे विजय नगर, इंदौर में एस्ट्रोलॉजर मनोज साहू जी से मिलने की सलाह दी। उन्होंने मेरी कुंडली देखी और बताया कि कुछ ग्रह दोष हैं, जो मेरी शारीरिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कुछ सरल उपाय बताए – जैसे ग्रह शांति पाठ और कुछ रत्न धारण करना। अब मैं खुद में काफी सुधार महसूस कर रही हूँ। साहू जी की सलाह मेरे लिए वरदान साबित हुई!"
राजेश शर्मा, खजराना, इंदौर
"मुझे हमेशा थकान, कमजोरी और छोटी-छोटी बीमारियाँ होती रहती थीं। जब मैंने विजय नगर, इंदौर स्थित प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में चंद्र और शनि का दोष है। उन्होंने कुछ विशेष पूजा और उपाय बताए, और मैंने पूरी श्रद्धा से पालन किया। कुछ ही समय में मेरे स्वास्थ्य में सुधार आने लगा। अब मैं नियमित रूप से उनके संपर्क में रहता हूँ। सचमुच, एस्ट्रोलॉजर साहू जी का मार्गदर्शन बहुत प्रभावशाली है।"