व्यवसाय का मामला: स्वतंत्रता और विकास

व्यवसाय का मामला: स्वतंत्रता और विकास

व्यवसाय का मामला: स्वतंत्रता और विकास

व्यवसाय का मामला: यह शब्द सुनते ही हमारे मन में आर्थिक प्रगति, स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और विकास की तस्वीरें उभरने लगती हैं। वास्तव में, व्यवसाय का मामला: न केवल धन अर्जन का माध्यम होता है, बल्कि यह हमारे जीवन के स्वतंत्रता और विकास की राह भी खोलता है। व्यवसाय का मामला: हर व्यक्ति के जीवन में उसकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का सबसे बड़ा जरिया बनता है। स्वतंत्रता और विकास की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए व्यवसाय का मामला: एक वरदान की तरह है, जो उन्हें अपनी शर्तों पर काम करने और अपने सपनों को हकीकत में बदलने का अवसर देता है।

व्यवसाय का मामला: क्यों है महत्वपूर्ण?

व्यवसाय का मामला: एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप अपनी क्षमता के अनुसार अपनी योजनाओं को कार्यान्वित कर सकते हैं। इसमें कोई बॉस नहीं होता, कोई बंधन नहीं होता, और सबसे बड़ी बात यह कि आपकी मेहनत और निर्णय आपके लाभ को सीधे प्रभावित करते हैं। व्यवसाय का मामला: केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह समाज में आपकी प्रतिष्ठा, सम्मान और पहचान को भी बढ़ाता है। जब व्यक्ति अपने व्यवसाय से न केवल खुद को बल्कि दूसरों को भी रोजगार देता है, तो वह समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्वतंत्रता और विकास की राह

व्यवसाय का मामला: स्वतंत्रता का पर्याय बन चुका है। जब आप किसी के अधीन नहीं होते और अपने निर्णय खुद लेते हैं, तो वह स्वतंत्रता का वास्तविक अनुभव होता है। यही स्वतंत्रता व्यवसाय के मामले: को इतना आकर्षक बनाती है। आप कब, कहां और कैसे काम करेंगे – इसका निर्णय पूरी तरह आपके हाथ में होता है। यह स्वतंत्रता न केवल आपके काम के समय और स्थान तक सीमित होती है, बल्कि यह आपके विचारों, रचनात्मकता और नवाचार में भी झलकती है। व्यवसाय का मामला: आपको अपने हिसाब से नए आइडिया लागू करने और उन्हें साकार करने की शक्ति देता है।

विकास की दृष्टि से देखा जाए, तो व्यवसाय का मामला: आपकी आर्थिक स्थिति को तो मजबूत करता ही है, साथ ही यह आपके व्यक्तित्व को भी निखारता है। व्यवसाय के माध्यम से आप नेतृत्व की कला सीखते हैं, टीम प्रबंधन में कुशल होते हैं और विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं। यही गुण आपको एक सफल उद्यमी बनाते हैं।

व्यवसाय के प्रकार

व्यवसाय के प्रकार

व्यवसाय का मामला: कई प्रकार का हो सकता है। जैसे:

  • मैन्युफैक्चरिंग व्यवसाय – जहां उत्पाद तैयार किए जाते हैं।

  • सेवा आधारित व्यवसाय – जहां ग्राहक को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

  • ऑनलाइन व्यवसाय – जहां डिजिटल माध्यम से प्रोडक्ट या सर्विस बेची जाती है।

  • फ्रेंचाइज़ व्यवसाय – जहां आप किसी बड़े ब्रांड के साथ जुड़कर काम करते हैं।

हर व्यवसाय का मामला: स्वतंत्रता और विकास के नए आयाम खोलता है। आपको अपने रुचि और क्षमता के अनुसार व्यवसाय का चयन करना चाहिए।

व्यवसाय का मामला: ज्योतिषीय दृष्टि से

व्यवसाय का मामला: केवल मेहनत और लगन पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि इसमें ग्रहों और योगों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। जन्म कुंडली में विशेष योग जैसे कि दसवें भाव का मजबूत होना, लग्नेश और दशमेश की अच्छी स्थिति, बुध और शुक्र का प्रबल होना, और लाभ स्थान का सशक्त होना – ये सभी व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता के संकेत देते हैं। व्यवसाय का मामला: जिनकी कुंडली में शुभ ग्रहों का सहयोग होता है, वे जल्दी सफल होते हैं और स्वतंत्रता और विकास का लाभ उठा पाते हैं।

यदि किसी की कुंडली में व्यवसाय के लिए कमजोर योग दिखाई देते हैं, तो उसके लिए कुछ उपाय भी बताए जाते हैं, जैसे:

  • नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा करना।

  • बुध और शुक्र ग्रह के उपाय करना।

  • बुधवार और शुक्रवार को हरे कपड़े पहनना और सफेद चीजों का दान करना।

  • व्यापार स्थल पर हरे रंग की वस्तुएं रखना।

व्यवसाय का मामला: चुनौतियां और समाधान

व्यवसाय का मामला: में चुनौतियां भी कम नहीं होती। कभी आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ता है, कभी मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है, तो कभी ग्राहक का व्यवहार बदल जाता है। इन सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आपको धैर्य, रणनीति और नवाचार की आवश्यकता होती है। व्यवसाय का मामला: में सफल होने के लिए समय-समय पर मार्केट रिसर्च करना, नए ट्रेंड्स को अपनाना और ग्राहक की जरूरतों के अनुसार अपने प्रोडक्ट्स या सेवाओं को अपडेट करना बहुत जरूरी होता है।

व्यवसाय का मामला: सफलता के मंत्र

व्यवसाय का मामला: सफलता के मंत्र

व्यवसाय का मामला: में सफलता पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ध्यान में रखना चाहिए:

  • स्पष्ट लक्ष्य तय करें – आपके व्यवसाय का उद्देश्य और लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए।

  • मार्केट की समझ विकसित करें – अपने उत्पाद या सेवा की मांग, प्रतिस्पर्धा और संभावनाओं का अध्ययन करें।

  • ग्राहक संतुष्टि पर ध्यान दें – ग्राहक की जरूरतों को समझें और उन्हें सर्वोत्तम सेवा प्रदान करें।

  • विपणन की रणनीति बनाएं – अपने व्यवसाय का प्रचार-प्रसार सही तरीके से करें।

  • नवाचार और गुणवत्ता पर ध्यान दें – समय के साथ बदलें और गुणवत्ता में कोई समझौता न करें।

व्यवसाय का मामला: न केवल एक करियर विकल्प है, बल्कि यह स्वतंत्रता और विकास का माध्यम भी है। यदि आप आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं, अपनी पहचान बनाना चाहते हैं और अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, तो व्यवसाय का मामला: आपके लिए सही विकल्प हो सकता है। व्यवसाय का मामला: में सफलता पाने के लिए सही योजना, कड़ी मेहनत, धैर्य और सकारात्मक सोच की जरूरत होती है। स्वतंत्रता और विकास की यह यात्रा आसान नहीं होती, लेकिन यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है और जीवन को एक नया आयाम देती है।

अगर आप भी व्यवसाय का मामला: चुनना चाहते हैं, तो आज से ही अपनी तैयारी शुरू करें और अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाएं। व्यवसाय का मामला: आपको आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला एक मजबूत कदम है  


संदीप अग्रवाल,भंवरकुआं, इंदौर

"मैंने अपने व्यवसाय में बहुत मेहनत की, लेकिन बार-बार नुकसान झेलना पड़ता था। तभी किसी ने मुझे विजय नगर, इंदौर के साहू जी के बारे में बताया। उन्होंने मेरी कुंडली देखी और बताया कि मेरी कुंडली में मंगल और राहु की स्थिति व्यापार में रुकावट पैदा कर रही है। उन्होंने कुछ उपाय बताए, जैसे मंगलवार को हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाना और हर शनिवार को गरीबों को भोजन कराना। उनके उपाय करने के बाद मेरे व्यापार में सुधार हुआ और मैं आत्मनिर्भर बन पाया। साहू जी के सुझावों ने मुझे व्यवसाय में स्वतंत्रता और विकास का सही रास्ता दिखाया।"

अंकिता सोनी,पलासिया, इंदौर

"व्यवसाय में तेजी से तरक्की करना मेरा सपना था, लेकिन हर कदम पर अड़चनें आ रही थीं। तब मैंने विजय नगर, इंदौर के साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी जन्मपत्री देखकर बताया कि दशम भाव में शनि की स्थिति मेरे व्यवसाय के लिए चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा और हर शुक्रवार लक्ष्मी माता का व्रत रखने की सलाह दी। उनके सुझावों और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी आई, और आज मैं आत्मविश्वास से व्यवसाय कर रही हूं। साहू जी का आभार।"

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मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग होते हैं?

मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग होते हैं?

मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली

हमारे जीवन में करियर का चुनाव एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है, और यदि बात मेडिकल फील्ड की करें, तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सेवा, समर्पण और मानवता की सेवा से जुड़ा होता है। लेकिन क्या हर कोई मेडिकल फील्ड में करियर बना सकता है? ज्योतिष के अनुसार, कुछ विशेष योग होते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि जातक मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के लिए उपयुक्त है। आइए जानते हैं कि मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग होते हैं और उनके महत्व को समझते हैं।

मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग?

छठे भाव की भूमिका:
मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में छठे भाव का विशेष महत्व होता है। छठा भाव रोग, चिकित्सा और सेवा का भाव माना जाता है। अगर छठे भाव का स्वामी मजबूत स्थिति में हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो जातक के मेडिकल फील्ड में सफलता पाने के योग बनते हैं।

चिकित्सा से जुड़े ग्रहों का प्रभाव:
मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और मंगल का प्रभाव भी महत्वपूर्ण होता है। सूर्य से चिकित्सा का ज्ञान, चंद्रमा से संवेदनशीलता और मंगल से सर्जरी और साहस के गुण मिलते हैं। यदि ये ग्रह कुंडली में अच्छी स्थिति में हों, तो जातक के मेडिकल क्षेत्र में प्रगति के प्रबल योग बनते हैं।

नीचभंग राजयोग का महत्व:

नीचभंग राजयोग का महत्व:

जातकों की कुंडली में कौन से योग उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में आगे बढ़ाते हैं, इसमें नीचभंग राजयोग का भी बड़ा योगदान होता है। यदि कोई ग्रह नीच का हो, लेकिन वह नीचभंग का योग बना रहा हो, तो व्यक्ति संघर्षों के बाद बड़ी सफलता प्राप्त करता है। यह योग मेडिकल क्षेत्र में उच्च पदों पर पहुंचने की क्षमता देता है।

दशम और अष्टम भाव का संबंध:
मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में दशम भाव (कार्य) और अष्टम भाव (रहस्य, अनुसंधान, चिकित्सा) का संबंध भी देखना चाहिए। यदि दशम भाव और अष्टम भाव का आपस में संबंध हो, तो जातक को चिकित्सा अनुसंधान या सर्जरी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है।

शनि और राहु का प्रभाव:
शनि और राहु चिकित्सा क्षेत्र में विशेष योगदान देते हैं। शनि अनुशासन और मेहनत का कारक है, जबकि राहु रिसर्च और खोज का कारक है। यदि शनि और राहु दशम, अष्टम या छठे भाव में शुभ दृष्टि या युति बना रहे हों, तो जातक को मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले विशेष योग प्राप्त होते हैं।

मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग और ग्रहों का महत्व?

बुध और गुरु की भूमिका:
बुध बुद्धिमत्ता और विश्लेषण शक्ति का कारक है, जबकि गुरु ज्ञान का प्रतीक है। मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में बुध और गुरु का बलवान होना आवश्यक है। ये दोनों ग्रह जातक को चिकित्सा विज्ञान में गहन अध्ययन और मरीजों की सेवा के लिए प्रेरित करते हैं।

चंद्रमा और संवेदनशीलता:
मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में चंद्रमा का शुभ प्रभाव भी अनिवार्य है। चंद्रमा करुणा, सहानुभूति और सेवा भावना देता है, जो एक अच्छे डॉक्टर या स्वास्थ्यसेवी के लिए अत्यंत आवश्यक गुण हैं।

बचपन से मेडिकल फील्ड की रुचि के संकेत

बचपन से मेडिकल फील्ड की रुचि के संकेत

जातकों की कुंडली में कौन से योग उनके बचपन से ही मेडिकल फील्ड की ओर रुझान को दर्शाते हैं? इसका उत्तर है – यदि चतुर्थ, पंचम, दशम और छठे भाव में बुध, गुरु और चंद्रमा का संबंध बने, तो जातक को कम उम्र में ही मेडिकल फील्ड में करियर बनाने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही, अगर राहु-केतु का प्रभाव अष्टम भाव या बारहवें भाव में हो, तो जातक को रिसर्च आधारित मेडिकल फील्ड में विशेष रुचि होती है।

पितृ दोष और मेडिकल फील्ड

कई बार जातकों की कुंडली में पितृ दोष के कारण भी मेडिकल फील्ड में करियर बनाने की ओर झुकाव देखा गया है। इसका कारण यह है कि पितृ दोष से जुड़े जातकों की कुंडली में छठे, अष्टम और बारहवें भाव में कुछ विशेष ग्रह स्थित होते हैं, जो सेवा कार्यों की ओर आकर्षित करते हैं।

उपाय और प्रोत्साहन

अगर जातक मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के इच्छुक हैं, तो उन्हें निम्न उपाय करने चाहिए:

  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • मंगलवार और शनिवार को गरीबों को भोजन कराएं।

  • छठे भाव के स्वामी के अनुसार रत्न धारण करें।

  • गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिक्षकों और बुजुर्गों का सम्मान करें मेडिकल फील्ड में करियर बनाने वाले जातकों की कुंडली में कौन से योग होते हैं, यह जानना ज्योतिष की दृष्टि से बेहद रोचक और महत्वपूर्ण विषय है। यदि उपयुक्त योग मौजूद हों और जातक कठिन परिश्रम और समर्पण से अपना लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास करे, तो निश्चित रूप से वह मेडिकल फील्ड में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।

अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग दिखाई देते हैं, तो आप भी मेडिकल फील्ड में करियर बनाने का सपना साकार कर सकते हैं।

डॉ. निशा जैन ,बायपास रोड, इंदौर

"मैं हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन रास्ते में कई रुकावटें आ रही थीं। किसी ने विजय नगर, इंदौर के साहू जी का नाम बताया। उन्होंने मेरी कुंडली देखी और बताया कि मेरी कुंडली में चंद्रमा, बुध और गुरु की विशेष स्थिति है, जो मेडिकल फील्ड के लिए शुभ है। उन्होंने कुछ विशेष उपाय भी बताए – हर बुधवार को गौ माता को हरा चारा देना और प्रतिदिन मां सरस्वती का मंत्र जप करना। इन उपायों और उनकी सलाह से मुझे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला और मेरा सपना साकार हुआ। मैं साहू जी की आभारी हूं।"

रोहित शर्मा,राजेंद्र नगर, इंदौर

"मेडिकल लाइन में करियर बनाने की मेरी इच्छा थी लेकिन राहू और शनि की दशा परेशान कर रही थी। विजय नगर, इंदौर के साहू जी से मिलने पर उन्होंने मेरी कुंडली का गहन अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि पंचम भाव में गुरु और चंद्रमा का मेल, और दशम भाव में सूर्य की स्थिति मेडिकल फील्ड के लिए शुभ है। साथ ही कुछ उपाय बताए – हर शनिवार शनि मंदिर में तेल चढ़ाना और हनुमान चालीसा का पाठ करना। उनके मार्गदर्शन से मेरी मेडिकल की पढ़ाई पूरी हुई और अब मैं सफलतापूर्वक मेडिकल प्रोफेशन में कार्यरत हूं। साहू जी का धन्यवाद।"

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सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के उपाय

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के उपाय

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के उपाय

भारतीय ज्योतिष और संस्कृति में सोमवती अमावस्या का अत्यंत महत्व है। विशेष रूप से सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के लिए किए गए उपायों को अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष विद्यमान होता है, उनके जीवन में कई प्रकार की बाधाएं, आर्थिक तंगी, संतान संबंधी कष्ट, और मानसिक अशांति देखी जाती है। ऐसे में पितृ दोष निवारण के उपाय करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण क्यों महत्वपूर्ण है, इसके ज्योतिषीय संकेत क्या हैं, और किन उपायों को करने से जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

सोमवती अमावस्या का महत्व और पितृ दोष का कारण

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण इसलिए खास माना जाता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा और सूर्य की स्थिति विशेष रूप से प्रभावशाली होती है। चंद्रमा मन का कारक होता है, और सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा की स्थिति कमजोर होने के कारण मानसिक अवसाद, अशांति और पारिवारिक कलह के योग बढ़ जाते हैं। ऐसे में यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो, तो उसकी समस्याएं और भी अधिक बढ़ जाती हैं। सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष को शांत करने के लिए शास्त्रों में कई प्रकार के पितृ दोष निवारण के उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।

कुंडली में पितृ दोष के लक्षण

पितृ दोष का संकेत कुंडली में कई रूपों में मिलता है। कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • संतान सुख में बाधा या संतान का कष्टदायी जीवन।

  • बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं।

  • आर्थिक रूप से स्थिरता न होना।

  • घर में अशांति और झगड़े।

  • अकस्मात दुर्घटनाएं या असामयिक मृत्यु।

यदि कुंडली में सूर्य, राहु, केतु या शनि ग्रह अशुभ स्थिति में हो, या 9वें भाव में ग्रहों की खराब दशा हो, तो सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष को शांत करना जरूरी हो जाता है।

पितृ दोष के कारण

पितृ दोष के कारण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितरों का अपमान, श्राद्ध कर्म का न करना, या पूर्वजों द्वारा किसी के साथ किया गया अन्याय सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष का प्रमुख कारण हो सकता है। इसके अलावा, परिवार में हुई अचानक मृत्यु या किसी विशेष सदस्य की आत्मा को शांति न मिलने के कारण भी पितृ दोष उत्पन्न होता है।

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के उपाय

  • पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म
    सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय तर्पण और श्राद्ध करना है। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर के किनारे तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है।

  • पिपल के वृक्ष की पूजा
    इस दिन पिपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर जल अर्पित करना चाहिए। साथ ही, सात परिक्रमा लगाकर पितरों का स्मरण करना चाहिए। यह उपाय पितृ दोष निवारण के उपाय में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

  • दक्षिणा और दान देना
    सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष को शांत करने के लिए ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, दक्षिणा, और तिल दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

  • गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाना
    इस दिन गाय को हरा चारा, गुड़, और रोटी खिलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कुंडली में पितृ दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

  • मंत्र जाप
    पितृ दोष निवारण के उपाय में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। "ॐ पितृभ्यः नमः" का जाप 108 बार करना चाहिए। साथ ही, गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण का महत्व

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष शांत करने से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं दूर हो सकती हैं। विशेष रूप से आर्थिक संकट, विवाह में विलंब, संतान प्राप्ति में बाधा, और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं का समाधान होता है। इसलिए पितृ दोष निवारण के उपाय को गंभीरता से लेना चाहिए और इन्हें श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए।

ज्योतिषीय दृष्टि से सोमवती अमावस्या

ज्योतिषीय दृष्टि से सोमवती अमावस्या

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष का प्रभाव मुख्य रूप से चंद्रमा और राहु की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, तो मानसिक कष्ट और तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में पितृ दोष निवारण के उपाय करने से मानसिक संतुलन बेहतर होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के लिए बताए गए उपायों को जीवन में अपनाकर व्यक्ति अपने पितरों की आत्मा को शांति प्रदान कर सकता है और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर कर सकता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जिनकी कुंडली में पितृ दोष का प्रभाव है। इसलिए पितृ दोष निवारण के उपाय को गंभीरता से अपनाएं और इस पावन अवसर का लाभ उठाएं।

अगर आप अपनी कुंडली की जांच करवाना चाहते हैं या पितृ दोष के निवारण हेतु विशेष उपाय जानना चाहते हैं, तो अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।

पूनम वर्मा ,राऊ, इंदौर

मुझे कई सालों से पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। व्यवसाय में नुकसान, घर में असंतोष और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें लगातार बनी हुई थीं। फिर मुझे किसी ने विजय नगर, इंदौर में साहू जी के बारे में बताया। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि मेरे पितृ दोष के कारण ये परेशानियां हो रही हैं। उन्होंने सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा, काले तिल का दान, और पितरों के नाम से ब्राह्मण भोजन कराने का उपाय बताया। इन उपायों के बाद से हमारे घर में शांति आई है और धन की स्थिति भी सुधर रही है। साहू जी का आभार।"

विवेक जोशी,सुधामा नगर, इंदौर

मेरे जीवन में बार-बार रुकावटें आ रही थीं – नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा था और परिवार में कलह थी। मैंने विजय नगर, इंदौर के साहू जी से सलाह ली। उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के लिए कुछ उपाय करने चाहिए, जैसे – पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना, पितरों के नाम से गाय को हरा चारा देना और मंदिर में नारियल का दान करना। इन उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं। साहू जी का मार्गदर्शन अमूल्य है

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राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं और बचाव के उपाय

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं और बचाव के उपाय

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं और बचाव के उपा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की राशि न केवल उसके स्वभाव और व्यक्तित्व को प्रभावित करती है, बल्कि उसके स्वास्थ्य और रोगों की संभावना पर भी महत्वपूर्ण असर डालती है। राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं हमें पहले से ही सतर्क कर सकती हैं, जिससे हम समय रहते बचाव के उपाय कर सकें। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किन राशियों के जातकों को किन-किन रोगों की संभावना ज्यादा होती है, और उनके लिए कौन-कौन से बचाव के उपाय कारगर हो सकते हैं।

मेष राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: मेष राशि के जातक प्रायः सिर, आंखों और रक्तचाप से संबंधित समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं। जल्दी गुस्सा करने की प्रवृत्ति इनकी सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकती है।

बचाव के उपाय: इन्हें ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए, लाल मसूर का दान और हनुमान चालीसा का पाठ लाभकारी होता है।

वृषभ राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: वृषभ राशि वालों का धैर्य प्रशंसनीय होता है, लेकिन इन्हें गले, गर्दन, और थायराइड जैसी समस्याओं की आशंका अधिक होती है।

बचाव के उपाय: तुलसी के पत्तों का सेवन, गायत्री मंत्र का जप, और नियमित गला चेकअप कराना फायदेमंद रहता है।

मिथुन राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: मिथुन राशि के लोग प्रायः त्वचा, सांस, और नसों से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं।

बचाव के उपाय: इन्हें प्राणायाम करना चाहिए, हरे रंग के वस्त्र धारण करना और बुध ग्रह के लिए बुधवार के दिन व्रत रखना शुभ होता है।

कर्क राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: कर्क राशि के जातक पेट, छाती, और पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ सकते हैं। मानसिक तनाव भी इन्हें प्रभावित करता है।

बचाव के उपाय: चंद्रमा के लिए सोमवार को उपवास, चावल और दूध का दान करना लाभदायक होता है। साथ ही सकारात्मक सोच बनाए रखना चाहिए।

सिंह राशि

राशियों 

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: सिंह राशि के जातक हृदय रोग, रीढ़ की हड्डी, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

बचाव के उपाय: नियमित व्यायाम और सूर्य नमस्कार करना, तांबे के पात्र में जल पीना लाभकारी होता है। सूर्य को अर्घ्य देना भी उत्तम उपाय है।

कन्या राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: कन्या राशि के लोग आमतौर पर पाचनतंत्र और त्वचा से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं।

बचाव के उपाय: इन्हें हरी सब्जियों का सेवन, तुलसी पूजा और बुध ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

तुला राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: तुला राशि के जातक किडनी, शुगर, और मूत्र संबंधी रोगों से प्रभावित हो सकते हैं।

बचाव के उपाय: नियमित जल पीना, चंदन का तिलक करना, और शुक्र के उपाय जैसे सफेद वस्त्र पहनना लाभदायक होता है।

वृश्चिक राशि 

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: वृश्चिक राशि के लोग जननांग, गुप्त रोग, और पाइल्स जैसी समस्याओं से प्रभावित हो सकते हैं।

बचाव के उपाय: मंगलवार का उपवास, लाल वस्त्र पहनना और हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।

धनु राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: धनु राशि के जातक जांघ, हड्डियों और लीवर संबंधी समस्याओं से जूझ सकते हैं।

बचाव के उपाय: व्यायाम और सूर्य देवता की उपासना, गुरुवार को व्रत और पीले वस्त्र धारण करना उचित होता है।

मकर राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: मकर राशि के लोग जोड़ों का दर्द, त्वचा रोग और कब्ज की समस्या से परेशान हो सकते हैं।

बचाव के उपाय: शनिदेव की उपासना, सरसों के तेल का दीपक जलाना, और काले तिल का दान करना लाभकारी होता है।

कुम्भ राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: कुम्भ राशि के जातक नसों, रक्तचाप और त्वचा रोगों से प्रभावित हो सकते हैं।

बचाव के उपाय: शनिवार को उपवास, नीले रंग के वस्त्र पहनना, और शनिदेव के मंत्रों का जाप करना फायदेमंद होता है।

मीन राशि

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं: मीन राशि के जातक पैरों, कफ, और मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।

बचाव के उपाय: शिवलिंग पर जल अर्पण करना, गुरुवार को पीले वस्त्र पहनना और केले का दान करना लाभकारी होता है।

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं एक दिशा देती हैं कि व्यक्ति किन समस्याओं के प्रति सचेत रहें। लेकिन याद रखें, उचित आहार, व्यायाम, और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच के साथ ही बचाव के उपायों को अपनाकर आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं। जीवनशैली में सुधार और सकारात्मक सोच ही असली कुंजी है।

राशियों के अनुसार रोगों की संभावनाएं और बचाव के उपाय के बारे में जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और ज्योतिषीय उपायों के साथ आधुनिक चिकित्सा पद्धति का भी सहारा लें।


रश्मि शर्मा,भंवरकुआं, इंदौर

"मुझे अक्सर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं रहती थीं, और मैं परेशान थी कि इसकी वजह क्या है। तभी किसी ने मुझे साहू जी का नाम सुझाया, जो विजय नगर, इंदौर में रहते हैं। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि मेरी राशि के अनुसार कौन-कौन सी बीमारियां होने की संभावना रहती है, जैसे कि थायरॉइड, मानसिक तनाव, और कमरदर्द। उन्होंने ग्रहों की शांति के उपाय बताए, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देना, नियमित प्राणायाम करना, और हनुमान चालीसा का पाठ शामिल था। मैं अब पहले से बहुत बेहतर महसूस कर रही हूं।"

अंकित त्रिवेदी ,पलासिया, इंदौर

"मेरे घर में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही थीं, और मैं समझ नहीं पा रहा था कि इसका कारण क्या है। फिर मुझे विजय नगर, इंदौर में साहू जी के पास जाने की सलाह मिली। उन्होंने बताया कि कुंडली में चंद्रमा और मंगल की स्थिति के कारण मेरे लिए त्वचा और पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने उपाय बताए जैसे कि चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देना, सोमवार को व्रत रखना, और लाल मसूर दाल का दान करना। साहू जी के उपायों से मुझे बहुत लाभ हुआ है। मैं दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं।"

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वृषभ राशि वालों का धैर्य और आर्थिक दृष्टिकोण

वृषभ राशि वालों का धैर्य और आर्थिक दृष्टिकोण

वृषभ राशि वालों का धैर्य और आर्थिक दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र में वृषभ राशि को विशेष महत्व दिया गया है। यह राशि पृथ्वी तत्व की होती है, और इसके स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं। वृषभ राशि वाले व्यक्ति अपने धैर्य, स्थिरता, और आर्थिक प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं। "वृषभ राशि वालों का धैर्य" ही उनकी सबसे बड़ी ताकत होती है, जो उन्हें जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलित बनाए रखता है।

वृषभ राशि वालों का धैर्य:

वृषभ राशि वालों का धैर्य असाधारण होता है। वे किसी भी परिस्थिति में जल्दबाज़ी करने की बजाय सोच-समझकर निर्णय लेते हैं। यही कारण है कि जब दूसरे लोग किसी समस्या से घबरा जाते हैं, वृषभ राशि वाले व्यक्ति उस समस्या को अपने धैर्य से सुलझाते हैं। उनके धैर्य की परख तब होती है जब वे किसी कठिन परिस्थिति में भी संतुलन बनाए रखते हैं और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहते हैं।

"वृषभ राशि वालों का धैर्य" केवल किसी एक पहलू में नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देता है। चाहे रिश्तों में हो या करियर में, वृषभ राशि वाले व्यक्ति धैर्य के साथ ही आगे बढ़ते हैं। वे जानते हैं कि समय के साथ हर स्थिति बदलती है, और धैर्य रखने से ही सफलता मिलती है।

वृषभ राशि वालों का आर्थिक दृष्टिकोण:

आर्थिक मामलों में वृषभ राशि वाले व्यक्ति बेहद समझदार होते हैं। उनका धैर्य उन्हें निवेश करने, बचत करने, और धन प्रबंधन करने में मदद करता है। "वृषभ राशि वालों का धैर्य" उनके वित्तीय निर्णयों में साफ दिखाई देता है। वे जोखिम उठाने से पहले सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करते हैं।

वृषभ राशि के लोग अक्सर स्थिर आय और सुरक्षित निवेश पसंद करते हैं। वे दिखावे के पीछे भागने की बजाय, अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित और बढ़ाने पर जोर देते हैं। उनका आर्थिक दृष्टिकोण उन्हें दीर्घकालीन लाभ देता है। वृषभ राशि के लोग अपने परिवार और प्रियजनों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में भी धैर्य रखते हैं।

वृषभ राशि वालों का जीवन संघर्ष में धैर्य का महत्व:

वृषभ राशि वालों का जीवन संघर्ष में धैर्य का महत्व

वृषभ राशि वालों का धैर्य उन्हें जीवन के कठिन समय में भी मजबूत बनाए रखता है। जब जीवन में समस्याएं आती हैं, तो वे जल्दबाज़ी में कोई गलत फैसला नहीं लेते, बल्कि धैर्य से समाधान तलाशते हैं। यही गुण उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।

जैसे-जैसे वे जीवन में आगे बढ़ते हैं, "वृषभ राशि वालों का धैर्य" उनके लिए एक कवच का काम करता है। चाहे करियर की चुनौतियां हों या पारिवारिक उलझनें, वे हमेशा धैर्य के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।

वृषभ राशि वालों की आर्थिक योजनाएं:

वृषभ राशि के लोग धैर्यपूर्वक अपनी आर्थिक योजनाएं बनाते हैं। उनका धैर्य उन्हें बड़े वित्तीय निर्णय लेने में मदद करता है, जैसे- संपत्ति खरीदना, व्यापार शुरू करना, या किसी दीर्घकालिक निवेश योजना में धन लगाना। "वृषभ राशि वालों का धैर्य" उन्हें बाजार की अस्थिरता से विचलित नहीं होने देता, और वे अपने निवेश को लंबे समय तक सुरक्षित रखते हैं।

वृषभ राशि वालों के लिए ज्योतिषीय सुझाव:

ज्योतिष के अनुसार, वृषभ राशि वालों को अपने धैर्य के साथ-साथ समय-समय पर कुछ उपाय भी करने चाहिए, ताकि उनकी मेहनत और धैर्य का फल उन्हें भरपूर मिले। जैसे:

  • शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें और सुगंधित फूल अर्पित करें।

  • आर्थिक स्थिरता के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करें और श्रीयंत्र की साधना करें।

  • अपनी मेहनत पर विश्वास रखें, और जल्दबाज़ी में कोई बड़ा निर्णय न लें।

वृषभ राशि वालों का धैर्य उन्हें हर परिस्थिति में संभलकर निर्णय लेने की शक्ति देता है। उनका आर्थिक दृष्टिकोण दीर्घकालिक होता है, और वे धैर्यपूर्वक अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हैं। "वृषभ राशि वालों का धैर्य" जीवन के हर पहलू में उनकी सबसे बड़ी पूंजी होती है।

यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र में वृषभ राशि को एक स्थिर और मजबूत राशि माना गया है। उनके धैर्य, मेहनत, और आर्थिक समझदारी से वे जीवन में सफल होते हैं। वृषभ राशि के जातकों को चाहिए कि वे अपनी इस विशेषता को और अधिक विकसित करें और जीवन में धैर्यपूर्वक आगे बढ़ें।

संगीता वर्मा,पलासिया, इंदौर

"मैं वृषभ राशि की हूँ और हमेशा से अपने धैर्य और आर्थिक मामलों में स्थिरता को लेकर जानी जाती हूँ, लेकिन कभी-कभी उलझन भी होती थी कि अपने धन को सही दिशा में कैसे लगाऊँ। विजय नगर, इंदौर में साहू जी से मिलने के बाद मेरी कुंडली में बैठे ग्रहों के प्रभाव को समझना आसान हो गया। उन्होंने मुझे बताया कि वृषभ राशि वाले अक्सर धैर्यवान होते हैं, लेकिन कभी-कभी जिद्दी भी हो सकते हैं। उनके द्वारा सुझाए गए उपायों जैसे हल्दी का दान करना और शुक्र ग्रह के मंत्रों का जाप करने से मुझे अपने आर्थिक जीवन में बहुत लाभ हुआ है।"

रवि मिश्रा,भंवरकुआं, इंदौर

"मेरी वृषभ राशि के अनुसार, मैंने अपने जीवन में हमेशा धीरे-धीरे सफलता हासिल की है, लेकिन कभी-कभी आर्थिक निर्णयों को लेकर उलझन होती थी। साहू जी (विजय नगर, इंदौर) से मिलने पर उन्होंने बताया कि वृषभ राशि के जातक मेहनती होते हैं, लेकिन उन्हें कभी-कभी खर्चों पर नियंत्रण रखना सीखना चाहिए। उनके बताए उपाय जैसे चांदी का छल्ला धारण करना और शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा करने से मेरी वित्तीय स्थिति में बड़ा सुधार आया। मैं सभी वृषभ राशि वालों को सलाह दूंगा कि एक बार साहू जी से मिलें, उनका अनुभव बहुत मददगार है।"

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कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर: जानिए जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव

कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर: जानिए जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव

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कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का असर

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति और उनका बल बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह किस राशि में स्थित हैं, यह तय करता है कि वे ग्रह कितने प्रभावी होंगे। विशेष रूप से, कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों का क्या अर्थ होता है, ये ग्रह कैसे जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालते हैं, और इनके उपाय क्या हैं।

उच्च और नीच ग्रहों का मूल अर्थ क्या है?

उच्च ग्रह:

जब कोई ग्रह उस राशि में स्थित होता है जहां उसकी शक्ति सर्वोच्च होती है, तो उसे "उच्च ग्रह" कहा जाता है। ऐसे ग्रह व्यक्ति के जीवन में शुभ परिणाम देते हैं, आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, और सफलता की राह आसान करते हैं।

नीच ग्रह:

जब कोई ग्रह उस राशि में स्थित होता है जहां उसकी शक्ति सबसे कम होती है, तो वह "नीच ग्रह" कहलाता है। ऐसे ग्रह जीवन में संघर्ष, भ्रम और असंतुलन ला सकते हैं।

कौन-से ग्रह कब उच्च और कब नीच होते हैं?

ग्रहउच्च राशिनीच राशि
सूर्यमेषतुला
चंद्रवृषभवृश्चिक
मंगलमकरकर्क
बुधकन्यामीन
गुरुकर्कमकर
शुक्रमीनकन्या
शनितुलामेष
राहुवृषभ (माना जाता है)वृश्चिक
केतुवृश्चिक (माना जाता है)वृषभ
यह तालिका दिखाती है कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों को पहचानने के लिए किस राशि की उपस्थिति मायने रखती है।

कुंडली में उच्च ग्रहों के लाभ

कुंडली में उच्च ग्रहों के लाभ

जब आपकी जन्म कुंडली में कोई ग्रह उच्च का होता है, तो वह अपनी पूर्ण क्षमता में काम करता है। इसका असर इस प्रकार होता है:

आत्मविश्वास और नेतृत्व गुण

उच्च सूर्य या मंगल जातक में आत्मबल, निर्णय क्षमता और नेतृत्व शक्ति बढ़ाते हैं।

बुद्धिमत्ता और संवाद कौशल

उच्च बुध व्यक्ति को तर्कशील, व्यावसायिक और बुद्धिमान बनाता है।

आध्यात्मिक उन्नति

उच्च गुरु या शुक्र व्यक्ति को धार्मिक, नैतिक और कलात्मक बनाते हैं।

जीवन में स्थिरता और सफलता

उच्च शनि कार्यक्षमता, धैर्य और लंबी अवधि की सफलता देता है।

उच्च ग्रहों की स्थिति किसी भी कुंडली में बहुत शुभ मानी जाती है, लेकिन साथ ही यह भी देखना होता है कि वह ग्रह शुभ भाव में है या अशुभ भाव में।

कुंडली में नीच ग्रहों के दुष्प्रभाव

कुंडली में नीच ग्रह यदि नीच स्थिति में हैं और उन्हें कोई शुभ दृष्टि या योग बल नहीं मिल रहा है, तो उनके निम्न प्रभाव हो सकते हैं:

आत्मबल की कमी

नीच सूर्य आत्म-संदेह, पिता से संबंध में तनाव और पहचान की समस्या ला सकता है।

भावनात्मक असंतुलन

नीच चंद्रमा मानसिक अस्थिरता, अकेलापन और अवसाद दे सकता है।

क्रोध और हिंसा की प्रवृत्ति

नीच मंगल व्यक्ति को असहिष्णु और आक्रामक बना सकता है।

निर्णय लेने की असमर्थता

नीच बुध व्यक्ति को भ्रमित और व्यावसायिक रूप से असफल बना सकता है।

नैतिक और मानसिक कमजोरियाँ

नीच गुरु या शुक्र गलत निर्णय, अनैतिकता और संबंधों में असंतुलन का कारण बन सकते हैं।

क्या नीच ग्रह हमेशा बुरा होता है?

क्या नीच ग्रह हमेशा बुरा होता है?

ज़रूरी नहीं कि कुंडली में नीच ग्रह हमेशा अशुभ परिणाम दें। अगर नीच ग्रह:

  • नीचभंग राजयोग में हो,

  • शुभ ग्रहों की दृष्टि से सुसंस्कृत हो,

  • या उच्च भाव में स्थित हो,

तो वह व्यक्ति को असाधारण सफलता भी दे सकता है। जैसे:

यदि नीच गुरु नीचभंग में है और पंचम भाव में है, तो वह व्यक्ति उच्च शिक्षित, धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु बन सकता है।

नीचभंग राजयोग क्या है?

जब कोई नीच ग्रह कुछ विशेष स्थितियों में अपनी नीचता को तोड़ देता है और शुभ फल देने लगता है, तो उसे नीचभंग राजयोग कहा जाता है।

नीचभंग के कुछ सामान्य योग:

  1. नीच ग्रह के साथ उसी राशि का स्वामी स्थित हो।

  2. नीच ग्रह की राशि में उच्च ग्रह हो।

  3. नीच ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हो और शुभ दृष्टि से युक्त हो।

उच्च और नीच ग्रहों के उदाहरण

उच्च मंगल (मकर):

अत्यंत परिश्रमी, रणनीतिक सोच वाला और सेना, पुलिस या इंजीनियरिंग में सफल।

नीच मंगल (कर्क):

भावनात्मक रूप से अस्थिर, जल्द क्रोधित होने वाला और निर्णय लेने में असमर्थ।

उच्च शुक्र (मीन):

कलात्मक, प्रेमपूर्ण, भौतिक सुखों में समृद्ध।

नीच शुक्र (कन्या):

रिश्तों में असंतुलन, सौंदर्य या भोग-विलास से दूरी।

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की सही पहचान और उनका विश्लेषण बेहद आवश्यक है।

क्या उपाय किए जा सकते हैं?

नीच ग्रहों की स्थिति सुधारने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

ग्रह शांति के मंत्र

जैसे नीच चंद्र के लिए “ॐ चंद्राय नमः”, नीच शुक्र के लिए “ॐ शुक्राय नमः”।

रत्न धारण

शुद्ध और ज्योतिषीय रूप से उचित रत्न धारण करना जैसे पुखराज, मूंगा, हीरा आदि।

दान

नीच ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना जैसे नीच शनि के लिए काला तिल, लोहे का दान।

कर्म और संयम

स्वयं पर संयम और अच्छे कर्मों के माध्यम से भी ग्रहों के प्रभाव को परिवर्तित किया जा सकता है।

कुंडली में नीच और उच्च ग्रहों की भूमिका व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा तय करती है। उच्च ग्रहों की उपस्थिति जहां जीवन में उन्नति, सफलता और संतुलन लाती है, वहीं कुंडली में नीच ग्रह चुनौतियां, संघर्ष और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं।

परंतु, कोई भी ग्रह पूरी तरह अशुभ या शुभ नहीं होता। उसकी दशा, दृष्टि, भाव और अन्य ग्रहों से संबंध मिलकर ही उसका समग्र प्रभाव तय करते हैं। इसलिए किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेषण कराना अत्यंत आवश्यक है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कौन से ग्रह उच्च या नीच हैं और उनका आपके जीवन पर क्या असर है, तो अवश्य ही किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें — ताकि आप सही निर्णय लेकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकें।

संदीप जोशी,सुदामा नगर, इंदौर

"मैं कई सालों से करियर में असफलता और आत्मविश्वास की कमी से परेशान था। एक मित्र की सलाह पर मैंने विजय नगर स्थित एस्ट्रोलॉजर साहू जी से कुंडली दिखवाई। उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में चंद्रमा नीच का है, जिससे मानसिक अस्थिरता और निर्णय में भ्रम बना रहता है। साहू जी ने कुछ सरल उपाय और रत्न पहनने की सलाह दी। कुछ ही महीनों में मेरी स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया। मैं इंदौर में ज्योतिष सलाह के लिए सिर्फ साहू जी को ही चुनता हूँ।"

नेहा खरे,पलासिया, इंदौर

"मेरे जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव चल रहे थे। फिर मैंने विजय नगर, इंदौर में स्थित प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में शुक्र उच्च का है, लेकिन मंगल नीच का होने के कारण विवाह में रुकावटें आ रही थीं। उनके बताए उपायों और व्रतों को करने से कुछ ही महीनों में रिश्ते बनने लगे और आज मैं खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रही हूँ। साहू जी की ज्योतिषीय दृष्टि वाकई अद्भुत है।"

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