जन्मकुंडली में कौन से योग बनाते हैं मानसिक तनाव और डिप्रेशन?
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जन्मकुंडली में कौन से योग बनाते हैं मानसिक तनाव और डिप्रेशन |
भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जीवन में होने वाले मानसिक तनाव और डिप्रेशन? के पीछे जन्मकुंडली में कई विशेष योग जिम्मेदार होते हैं। मानसिक शांति और स्थिरता ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। जब ग्रहों का संतुलन बिगड़ता है, तो व्यक्ति नकारात्मकता, चिंता और उदासी के भंवर में फंस जाता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि "जन्मकुंडली में कौन से योग" मानसिक तनाव और डिप्रेशन? को जन्म देते हैं, और कैसे इन योगों की पहचान कर समाधान निकाला जा सकता है।चंद्रमा का नीच होना या पाप ग्रहों से ग्रस्त होना
चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यदि जन्मकुंडली में चंद्रमा नीच का हो (विशेषकर वृश्चिक राशि में) या राहु, केतु, शनि और मंगल जैसे पाप ग्रहों से दृष्ट या संयुक्त हो, तो व्यक्ति अत्यधिक मानसिक तनाव महसूस कर सकता है।
जन्मकुंडली में कौन से योग इस प्रकार बनते हैं, उनमें व्यक्ति चिंता, भय और अंतहीन दुखों से घिरा रहता है, जिससे डिप्रेशन? की स्थिति तक पहुँच सकता है।
पंचम भाव और पंचमेश की दुर्बलता
पंचम भाव हमारी सोचने की क्षमता, रचनात्मकता और मानसिक संतुलन को दर्शाता है। यदि पंचम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो या पंचमेश (पंचम भाव का स्वामी ग्रह) कमजोर हो, तो मानसिक तनाव बढ़ने की संभावना होती है।
ऐसे "जन्मकुंडली में कौन से योग" व्यक्ति को अस्थिर, बेचैन और आत्म-संदेह से भर देते हैं। समय के साथ यह तनाव गहरा होकर डिप्रेशन? का कारण बनता है।
लग्नेश और चंद्रमा की खराब स्थिति
लग्नेश (राशि स्वामी) और चंद्रमा दोनों का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है। यदि लग्नेश अष्टम, द्वादश या षष्ठ भाव में स्थित हो और कमजोर हो, और साथ ही चंद्रमा भी नीच या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तो मानसिक तनाव स्थायी हो सकता है।
इस प्रकार के "जन्मकुंडली में कौन से योग" व्यक्ति को निरंतर चिंता, आत्मग्लानि और अकेलेपन का शिकार बनाते हैं।
राहु-चंद्र योग (ग्रहण योग)
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राहु-चंद्र योग (ग्रहण योग) |
जब राहु या केतु चंद्रमा के साथ युति करते हैं या पूर्ण दृष्टि डालते हैं, तो 'ग्रहण योग' बनता है। यह एक प्रमुख कारक है जो गहरी मानसिक अशांति और डिप्रेशन? को जन्म देता है।
जन्मकुंडली में कौन से योग यदि राहु-चंद्र ग्रहण योग बनाए, तो व्यक्ति का मानसिक संतुलन बार-बार बिगड़ सकता है और उसे निरंतर नकारात्मक विचारों का सामना करना पड़ता है।
द्वादश भाव में चंद्रमा या लग्नेश
द्वादश भाव हानि, शैय्या सुख, मानसिक थकावट और अवसाद का प्रतिनिधित्व करता है। यदि चंद्रमा या लग्नेश द्वादश भाव में स्थित हो और पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो मानसिक तनाव अत्यधिक बढ़ जाता है।
जन्मकुंडली में कौन से योग इस भाव में देखने पर स्पष्ट होते हैं कि व्यक्ति अवसाद और चिंता से ग्रसित रहता है और डिप्रेशन? का शिकार हो सकता है।
शनि की महादशा या साढ़े साती का प्रभाव
शनि का प्रभाव जीवन में गंभीरता, अवसाद और परीक्षण लेकर आता है। यदि शनि की महादशा या साढ़े साती के दौरान चंद्रमा कमजोर हो, तो मानसिक तनाव और डिप्रेशन? की संभावनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं।
जन्मकुंडली में कौन से योग शनि और चंद्रमा के मध्य खराब संबंध दर्शाते हैं, वे डिप्रेशन? का सबसे मजबूत कारण होते हैं।
चतुर्थ भाव का दुर्बल होना
चतुर्थ भाव मन की शांति, घर का सुख और संतोष दर्शाता है। यदि चतुर्थ भाव अथवा उसका स्वामी पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव सताता है।
जन्मकुंडली में कौन से योग इस भाव को कमजोर करते हैं, वे व्यक्तित्व में अस्थिरता, बेचैनी और गहरी निराशा लाते हैं।
मानसिक तनाव और डिप्रेशन? के ज्योतिषीय समाधान
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चंद्रमा को मजबूत करने के लिए सोमवार को शिवजी का अभिषेक करें।
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राहु-केतु के प्रभाव को शांत करने के लिए राहु यंत्र की स्थापना और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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शनि के प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ और शनि स्तोत्र का पाठ करें।
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पंचम भाव को सशक्त करने के लिए गायत्री मंत्र का नियमित जाप करें।
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मानसिक तनाव को दूर करने के लिए नियमित ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच को अपनाएं।
जन्मकुंडली में कौन से योग मानसिक तनाव और डिप्रेशन? का कारण बनते हैं, इसकी गहन समझ से हम न केवल समस्याओं की पहचान कर सकते हैं बल्कि प्रभावी उपाय भी अपना सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का अनमोल हिस्सा है, और ज्योतिष शास्त्र इसमें अमूल्य सहायता प्रदान कर सकता है।
यदि आप भी अपने जीवन में मानसिक तनाव या डिप्रेशन? जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर उचित उपाय करना एक बुद्धिमानी भरा कदम हो सकता है।
अनामिका शर्मा, विजय नगर, इंदौर
"पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव और डिप्रेशन से जूझ रही थी। किसी ने मुझे विजय नगर, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के बारे में बताया। उन्होंने मेरी जन्मकुंडली का गहरा विश्लेषण किया और यह बताया कि किन ग्रहों के योग से यह समस्या बढ़ रही थी। साहू जी ने मुझे कुछ सरल ज्योतिषीय उपाय और पूजा के निर्देश दिए, जिनसे मुझे मानसिक शांति और आत्मबल मिला। आज मैं पहले से कहीं बेहतर महसूस करती हूं। धन्यवाद एस्ट्रोलॉजर साहू जी!"
विक्रम वर्मा, पलासिया, इंदौर
"मेरे जीवन में अचानक आई चिंता और अवसाद ने मुझे बहुत कमजोर बना दिया था। विजय नगर, इंदौर स्थित एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मिलने पर उन्होंने मेरी कुंडली देखकर स्पष्ट बताया कि किस ग्रह के दोष के कारण मानसिक तनाव हो रहा है। साहू जी द्वारा बताए गए रत्न और मंत्र साधना के उपायों ने वाकई मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। अगर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो साहू जी से सलाह जरूर लें।"