दीपक जलाने का सही समय और ग्रहों से संबंध

दीपक जलाने का सही समय और ग्रहों से संबंध

दीपक जलाने का सही समय और ग्रहों से संबंध

भारतीय संस्कृति में दीपक का विशेष स्थान है। यह न केवल प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक है, बल्कि इसे आध्यात्मिक जागृति और ग्रहों की शांति से भी जोड़ा गया है। जब कोई व्यक्ति दीपक जलाता है, तो वह केवल अंधकार को मिटाने का कार्य नहीं करता, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल को आमंत्रित करता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपक जलाना केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक ग्रहिक संतुलन का संकेत भी है। हर ग्रह का एक विशेष समय और दिशा से संबंध होता है, और उसी के अनुसार दीपक जलाने से ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त की जा सकती है।

दीपक जलाने का आध्यात्मिक महत्व

दीपक (अग्नि तत्व) पंचतत्वों में से एक है — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। यह अग्नि तत्व मानव जीवन में ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक है। जब हम दीपक जलाते हैं, तो हमारे मन में नकारात्मक विचार धीरे-धीरे समाप्त होते हैं, और आत्मबल बढ़ता है।
ज्योतिष में माना गया है कि दीपक जलाने का सही समय व्यक्ति के जीवन में ग्रह दोषों को कम कर सकता है और जीवन में शांति और सौभाग्य को बढ़ा सकता है।

ग्रहों से दीपक का ज्योतिषीय संबंध

प्रत्येक ग्रह एक विशिष्ट ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है, तो उसके लिए संबंधित रंग, तेल और दिशा में दीपक जलाना अत्यंत शुभ फल देता है।

सूर्य ग्रह के लिए दीपक

सूर्य आत्मबल, सम्मान और सफलता का प्रतीक है।

  • दीपक का तेल: तिल का तेल या देसी घी

  • दिशा: पूर्व दिशा

  • समय: सूर्योदय के समय

  • लाभ: इससे आत्मविश्वास, समाज में प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।

चंद्र ग्रह के लिए दीपक

चंद्र मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

  • दीपक का तेल: घी या चमेली का तेल

  • दिशा: उत्तर-पश्चिम

  • समय: शाम के समय या चंद्रमा उदय के समय

  • लाभ: मन की शांति, भावनात्मक स्थिरता और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।

मंगल ग्रह के लिए दीपक

मंगल साहस, ऊर्जा और आत्मबल का प्रतीक है।

  • दीपक का तेल: सरसों का तेल

  • दिशा: दक्षिण दिशा

  • समय: मंगलवार को सूर्यास्त के बाद

  • लाभ: नकारात्मक ऊर्जा, क्रोध और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

बुध ग्रह के लिए दीपक

बुध बुद्धि, वाणी और व्यवसाय से जुड़ा ग्रह है।

  • दीपक का तेल: घी या जैतून का तेल

  • दिशा: उत्तर दिशा

  • समय: बुधवार को सूर्योदय के बाद

  • लाभ: व्यापार में उन्नति, वाणी में मधुरता और बुद्धि में वृद्धि होती है।

बृहस्पति ग्रह के लिए दीपक

बृहस्पति ज्ञान, धर्म और गुरु का प्रतीक है।

  • दीपक का तेल: देसी घी

  • दिशा: उत्तर-पूर्व दिशा

  • समय: गुरुवार को प्रातःकाल या संध्या

  • लाभ: शिक्षा, अध्यात्म और जीवन में स्थिरता आती है।

शुक्र ग्रह के लिए दीपक

शुक्र प्रेम, सौंदर्य और सुख-सुविधाओं का कारक है।

  • दीपक का तेल: चमेली का तेल या देसी घी

  • दिशा: दक्षिण-पूर्व

  • समय: शुक्रवार को शाम के समय

  • लाभ: विवाह, प्रेम और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।

शनि ग्रह के लिए दीपक

शनि कर्म, न्याय और अनुशासन का ग्रह है।

  • दीपक का तेल: सरसों का तेल

  • दिशा: पश्चिम दिशा

  • समय: शनिवार को सूर्यास्त के बाद पीपल या शनि मंदिर में

  • लाभ: शनि दोष दूर होता है, जीवन में स्थिरता और कर्मफल सुधार होता है।

राहु और केतु ग्रहों के लिए दीपक

राहु-केतु छाया ग्रह हैं, जिनसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति और निर्णय क्षमता प्रभावित होती है।

  • दीपक का तेल: सरसों या नीम का तेल

  • दिशा: दक्षिण-पश्चिम

  • समय: शाम के समय या ग्रहण के दिन

  • लाभ: नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है।

दीपक जलाने के सही नियम और समय

सुबह और शाम दीपक अवश्य जलाएं।
सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद और शाम सूर्यास्त के समय दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।दीपक पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

दीपक से मिलने वाले ज्योतिषीय लाभ

  • ग्रहों की स्थिति में संतुलन आता है।

  • घर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

  • शनि, राहु और मंगल से संबंधित दोषों में राहत मिलती है।

  • विवाह, व्यवसाय और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

  • आत्मविश्वास और मन की शांति बढ़ती है।

दीपक जलाने का अर्थ केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह जीवन में प्रकाश, दिशा और ऊर्जा का संचार है। यदि इसे सही दिशा, तेल और समय के अनुसार किया जाए, तो यह आपके भाग्य को बदलने की शक्ति रखता है।

दीपक जलाना ज्योतिष और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, शांति और सफलता का मार्ग खोलता है।
चाहे सुबह हो या संध्या, दीपक की लौ हमें यह संदेश देती है कि अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटी सी रोशनी भी पूरे वातावरण को प्रकाशित कर सकती है।


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प्रेम संबंधों में सुधार के ज्योतिष उपाय

प्रेम संबंधों में सुधार के ज्योतिष उपाय

प्रेम संबंधों में सुधार के ज्योतिष उपाय

प्रेम जीवन का सबसे सुंदर भाव है। यह केवल दो व्यक्तियों के बीच का संबंध नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन है। जब प्रेम में मधुरता होती है, तो जीवन में सकारात्मकता, शांति और खुशी स्वतः बढ़ जाती है। परंतु जब किसी कारणवश प्रेम संबंधों में गलतफहमी, दूरी या मनमुटाव बढ़ता है, तब व्यक्ति का मन अस्थिर हो जाता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, प्रेम संबंधों की सफलता में ग्रहों की स्थिति का गहरा प्रभाव होता है। जब शुक्र, चंद्र, बुध और राहु ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं, तब प्रेम जीवन में मिठास बनी रहती है। लेकिन जब ये ग्रह अशुभ हो जाते हैं, तब रिश्तों में तनाव, धोखा या दूरी उत्पन्न होती है।

आइए जानते हैं ज्योतिषीय दृष्टि से प्रेम संबंधों में सुधार के उपाय, जिनसे आप अपने रिश्ते को फिर से मजबूत बना सकते हैं।

प्रेम और ग्रहों का संबंध

ज्योतिष के अनुसार, प्रेम और रिश्तों पर मुख्य रूप से कुछ ग्रहों का प्रभाव होता है —

ग्रहप्रभाव
शुक्र प्रेम, आकर्षण, सौंदर्य और वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह
चंद्र भावनाएँ, संवेदनशीलता और समझ का प्रतिनिधित्व करता है
बुध संवाद और एक-दूसरे से जुड़ने की कला का प्रतीक
मंगल जुनून, इच्छा और आत्मविश्वास का सूचक
राहुआकर्षण और अचानक संबंधों का निर्माण करता है

जब ये ग्रह कुंडली में शुभ स्थिति में हों, तो प्रेम संबंध स्थायी और सुखद होते हैं। लेकिन यदि इनमें से कोई ग्रह अशुभ भावों में स्थित हो, तो रिश्तों में तनाव, ईर्ष्या, या दूरी आने लगती है।

 प्रत्येक ग्रह की ऊर्जा हमारे विचार, बोलचाल और व्यवहार में झलकती है — इसलिए प्रेम जीवन को सुधारने के लिए ग्रहों का संतुलन आवश्यक है।

प्रेम संबंधों में समस्याओं के ज्योतिषीय कारण

  • शुक्र ग्रह का कमजोर होना:
    जब कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन में प्रेम संबंध अस्थिर हो जाते हैं। यह दूरी, गलतफहमियों और भावनात्मक कमी का कारण बन सकता है।

  • चंद्र ग्रह का अशुभ प्रभाव:
    यह मन का ग्रह है। यदि चंद्र पाप ग्रहों (राहु, शनि या केतु) से प्रभावित हो, तो व्यक्ति अत्यधिक संवेदनशील या मानसिक रूप से अस्थिर हो सकता है, जिससे रिश्तों में असंतुलन आता है।

  • मंगल दोष:
    मंगली दोष या मंगल की अशुभ स्थिति वैवाहिक या प्रेम संबंधों में मतभेद उत्पन्न कर सकती है।

  • सप्तम भाव में राहु या केतु का प्रभाव:
    सप्तम भाव (संबंधों का भाव) में राहु या केतु का प्रभाव रिश्तों में भ्रम, धोखा या अचानक दूरी का कारण बन सकता है।

प्रेम संबंधों में सुधार के ज्योतिष उपाय

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी द्वारा सुझाए गए कुछ प्रभावी ज्योतिषीय उपाय नीचे दिए गए हैं, जो प्रेम जीवन में मधुरता लाते हैं और पुराने मतभेद दूर करते हैं —

शुक्र ग्रह को मजबूत करें

शुक्र ग्रह प्रेम और सौंदर्य का ग्रह है। इसे मजबूत करने से रिश्तों में आकर्षण और आपसी समझ बढ़ती है।

  • शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें।

  • चांदी का आभूषण धारण करें।

  • देवी लक्ष्मी की आराधना करें और सुगंधित फूल चढ़ाएं।

  • “ॐ शं शुक्राय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

चंद्र ग्रह की शांति

भावनाओं को संतुलित रखने के लिए चंद्र ग्रह का शुभ होना आवश्यक है।

  • सोमवार के दिन भगवान शिव को दूध और जल चढ़ाएं।

  • चांदनी रात में कुछ देर ध्यान करें और अपने प्रिय व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।

  • “ॐ सोमाय नमः” मंत्र का जप करने से मन में शांति और भावनात्मक स्थिरता आती है।

मंगल दोष निवारण

यदि मंगली दोष के कारण प्रेम संबंध में समस्या हो, तो —

  • मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • मंगलवार को लाल वस्त्र या मिठाई का दान करें।

  • श्री हनुमान जी के मंदिर में सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है।

राहु-केतु दोष के उपाय

राहु-केतु भ्रम और दूरी का कारण बनते हैं। इन ग्रहों को शांत करने के लिए —

  • शनिवार को नाग देवता की पूजा करें।

  • “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” मंत्रों का जप करें।

  • नियमित रूप से घर में कपूर या लोबान जलाएं।

गुलाबी रंग का प्रयोग करें

गुलाबी रंग प्रेम, स्नेह और कोमलता का प्रतीक है। इसे अपने जीवन में शामिल करें —

  • घर या कमरे में हल्का गुलाबी पर्दा या कुशन लगाएं।

  • शुक्रवार के दिन गुलाब का फूल चढ़ाएं।

सच्चे मन से संवाद करें

ज्योतिष बताता है कि बुध ग्रह संवाद का ग्रह है। यदि प्रेमी-युगल आपसी बातचीत से एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं, तो रिश्ते में सुधार संभव है।

  • “ॐ बुधाय नमः” मंत्र का जप करें।

  • हर बुधवार को हरी वस्तुएँ दान करें।

प्रेम संबंधों में सुधार के लिए सरल ज्योतिषीय उपाय

  • प्रतिदिन सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाते समय अपने रिश्ते की स्थिरता के लिए प्रार्थना करें।

  • शुक्रवार को सफेद मिठाई या खीर का दान करें।

  • घर में हर शुक्रवार को गुलाब और चमेली की सुगंध फैलाएं।

  • यदि संबंधों में दूरी आ गई है, तो शुक्रवार के दिन अपने प्रिय को चांदी की वस्तु भेंट करें।

  • हर पूर्णिमा की रात भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। यह वैवाहिक और प्रेम संबंधों में स्थिरता देता है।

प्रेम जीवन को मजबूत करने के ज्योतिष मंत्र

  • शुक्र मंत्र:
    “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः”
    यह मंत्र प्रेम में आकर्षण और सामंजस्य बढ़ाता है।

  • शिव-पार्वती मंत्र:
    “ॐ उमापतये नमः”
    यह मंत्र दांपत्य और प्रेम संबंधों में स्थिरता लाता है।

  • कृष्ण मंत्र:
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय प्रेममय नमः”
    यह मंत्र सच्चे प्रेम और समर्पण की भावना को जागृत करता है।

प्रेम और ग्रहों की अनुकूलता

 किसी भी प्रेम संबंध की दीर्घायुता के लिए राशि और ग्रहों की संगति ( महत्वपूर्ण है।

  • यदि दोनों व्यक्तियों के चंद्र राशि, लग्न या शुक्र का तालमेल अच्छा है, तो संबंध स्थिर और मधुर रहते हैं।

  • यदि किसी का शुक्र दूसरे के राहु या शनि से प्रभावित हो, तो मतभेद या असुरक्षा की संभावना बढ़ जाती है।
    ऐसे में कुंडली मिलान या प्रेम संगतता की ज्योतिषीय जांच अवश्य करानी चाहिए।




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वास्तु और ज्योतिष: घर को भाग्यशाली कैसे बनाएं

वास्तु और ज्योतिष: घर को भाग्यशाली कैसे बनाएं

वास्तु और ज्योतिष: घर को भाग्यशाली कैसे बनाएं

भारतीय संस्कृति में वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वास्तु शास्त्र जहाँ हमारे घर और वातावरण की ऊर्जा को संतुलित करता है, वहीं ज्योतिष हमारे ग्रहों और कर्मों का विश्लेषण कर जीवन को दिशा प्रदान करता है। जब इन दोनों का सही मेल होता है, तो जीवन में सौभाग्य, सफलता और समृद्धि का प्रवाह बढ़ता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी कहते हैं — "घर केवल रहने की जगह नहीं होता, बल्कि यह आपकी ऊर्जा, भाग्य और मानसिक स्थिति का प्रतिबिंब होता है।" यदि घर का वास्तु और ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो, तो जीवन में स्थिरता, शांति और प्रगति स्वतः आती है।

वास्तु और ज्योतिष का संबंध

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक दिशा किसी न किसी ग्रह से संबंधित होती है:

दिशासंबंधित ग्रहप्रभाव
पूर्वसूर्यआत्मविश्वास, नेतृत्व, सफलता
पश्चिमशनिकर्म, स्थिरता, मेहनत
उत्तरबुधबुद्धि, व्यापार, आर्थिक लाभ
दक्षिणमंगलसाहस, ऊर्जा, शक्ति
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)बृहस्पतिज्ञान, आध्यात्मिकता, धन
नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम)राहुस्थायित्व, सुरक्षा
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व)अग्नि, शुक्रऊर्जा, स्वास्थ्य, सौंदर्य
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम)चंद्रमन, संबंध, भावनाएँ

एस्ट्रोलॉजर साहू जी बताते हैं कि यदि घर की दिशाएँ ग्रहों के अनुसार संतुलित होती हैं, तो व्यक्ति का भाग्य खुलता है और जीवन में प्रगति के द्वार खुल जाते हैं।

वास्तु अनुसार घर को भाग्यशाली बनाने के उपाय

मुख्य द्वार  का महत्व

मुख्य द्वार घर का ‘मुख’ होता है। यह दिशा व्यक्ति की सफलता और ऊर्जा प्रवाह को निर्धारित करती है।

  • पूर्व दिशा का मुख्य द्वार सबसे शुभ माना जाता है — यह सूर्य की ऊर्जा देता है।

  • उत्तर दिशा का द्वार धन और व्यापार में लाभ देता है।

  • मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, ॐ या गणेश जी का चिन्ह बनाना अत्यंत शुभ होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, मुख्य द्वार के पास कचरा, जूते-चप्पल या गंदगी न रखें — इससे सकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है।

पूजा स्थान की दिशा

पूजा घर या मंदिर हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए।
यह स्थान बृहस्पति ग्रह से जुड़ा होता है, जो ज्ञान, धन और धर्म का प्रतीक है।

  • मंदिर में भगवान की मूर्तियाँ दीवार से कम से कम 1 इंच दूर रखें।

  • पूजन के समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

  • रोज़ दीपक जलाना घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।

रसोईघर का शुभ स्थान

रसोई घर को वास्तु में अग्नि का स्थान माना गया है, इसलिए इसका स्थान दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में शुभ होता है।

  • खाना बनाते समय मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

  • रसोई में काले या गहरे रंगों का प्रयोग न करें।

  • गैस चूल्हा और पानी का स्थान साथ नहीं होना चाहिए — इससे अग्नि और जल तत्वों में टकराव होता है।

शयन कक्ष  का सही स्थान

  • गृह स्वामी का शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

  • सिरहाना दक्षिण या पश्चिम की ओर रखकर सोएं।

  • बिस्तर के सामने दर्पण नहीं होना चाहिए, यह मानसिक तनाव और नींद की कमी लाता है।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी बताते हैं कि यदि मंगल या राहु ग्रह अशुभ स्थिति में हों, तो शयन कक्ष की दिशा बदलने से वैवाहिक जीवन में सुधार होता है।

धन स्थान 

घर का धन स्थान उत्तर दिशा में शुभ होता है क्योंकि यह दिशा कुबेर देव की मानी गई है।

  • तिजोरी या लॉकर का मुंह दक्षिण की ओर होना चाहिए ताकि यह उत्तर दिशा की ओर खुले।

  • लॉकर के पास पीला कपड़ा या कुबेर यंत्र रखें, यह धन वृद्धि में सहायक होता है।

राहु-केतु और वास्तु दोष

यदि घर में बार-बार मतभेद, आर्थिक रुकावट या बीमारियाँ हो रही हैं, तो संभव है कि घर में वास्तु दोष या राहु-केतु दोष मौजूद हो।
ऐसे में निम्न उपाय लाभदायक होते हैं —

  • घर में नियमित रूप से गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें।

  • शनिवार के दिन पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

  • घर में काले और लाल रंग का अत्यधिक प्रयोग न करें।

ग्रहों के अनुसार वास्तु सुधार के उपाय

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, हर ग्रह के लिए कुछ विशेष वास्तु उपाय हैं जो भाग्य को प्रबल बनाते हैं —

  • सूर्य: घर में सुबह-सुबह सूर्य की किरणें आने दें, लाल वस्त्र या पर्दे रखें।

  • चंद्र: शयनकक्ष में सफेद रंग या चांदी के वस्त्रों का उपयोग करें।

  • मंगल: घर में लाल रंग का दीपक जलाएं, मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • बुध: घर में हरे पौधे लगाएं, तुलसी का पौधा उत्तर दिशा में रखें।

  • बृहस्पति: घर में पीला रंग शुभ है, गुरुवार को पीली वस्तुएँ दान करें।

  • शुक्र: घर में सुगंध और सुंदर सजावट रखें, शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें।

  • शनि: घर के नैऋत्य कोण को साफ रखें, काले तिल या तेल का दान करें।

  • राहु-केतु: नियमित रूप से हवन या शुद्धिकरण करें, नाग देवता की पूजा करें।

घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के ज्योतिषीय उपाय

  • घर में तुलसी का पौधा अवश्य रखें — यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में लक्ष्मी का आगमन कराता है।

  • नमक से पोछा लगाना — यह एक सरल परंतु शक्तिशाली उपाय है जो नकारात्मक तरंगों को हटाता है।

  • शंख या घंटी बजाना — प्रतिदिन सुबह-शाम शंख या घंटी बजाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है।

  • दीपक और धूप जलाना — यह ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहों को शांत करता है और वातावरण को शुभ बनाता है।

वास्तु दोष के ज्योतिषीय निवारण

यदि किसी कारणवश घर में वास्तु दोष है, तो आप निम्न उपायों से उसका निवारण कर सकते हैं —

  • वास्तु यंत्र की स्थापना करें।

  • नवग्रह शांति पाठ कराएं।

  • ग्रहों के अनुसार रत्न धारण करें (केवल योग्य ज्योतिषी की सलाह से)।

  • गृह प्रवेश या वास्तु पूजा कराना भी अत्यंत लाभकारी होता है।

जब घर का वातावरण ग्रहों के अनुरूप होता है, तो जीवन में स्थिरता, धन, और मानसिक शांति स्वतः प्राप्त होती है।

वास्तु और ज्योतिष का मेल आपके जीवन को भाग्यशाली और संतुलित बना सकता है। जहाँ ज्योतिष ग्रहों की ऊर्जा को दर्शाता है, वहीं वास्तु उस ऊर्जा को सही दिशा देता है।
यदि आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और सौभाग्य चाहते हैं, तो अपने घर के वास्तु और कुंडली दोनों का संतुलन सुनिश्चित करें।


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सूर्य ग्रह का जीवन में महत्व और सफलता से संबंध

सूर्य ग्रह का जीवन में महत्व और सफलता से संबंध

सूर्य ग्रह का जीवन में महत्व और सफलता से संबंध

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा गया है। यह ग्रह आत्मा, आत्मविश्वास, शक्ति, सम्मान, और सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है, वह जीवन में नेतृत्व, प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त करता है। वहीं यदि सूर्य अशुभ या नीच का हो, तो व्यक्ति को आत्म-सम्मान की कमी, स्वास्थ्य समस्याएँ और करियर में अड़चनें झेलनी पड़ती हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, सूर्य ग्रह का संबंध व्यक्ति के भाग्य, पिता, सरकारी कार्यों, और समाज में प्रतिष्ठा से गहराई से जुड़ा हुआ है। आइए विस्तार से समझते हैं कि सूर्य ग्रह हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है और इसे मजबूत करने के कौन से प्रभावी ज्योतिषीय उपाय हैं।

सूर्य ग्रह का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष में सूर्य को अग्नि तत्व का ग्रह माना गया है। यह सिंह राशि का स्वामी होता है और सभी ग्रहों में सबसे अधिक तेजस्वी है। कुंडली में सूर्य की स्थिति व्यक्ति की आत्मा और आत्मविश्वास को दर्शाती है। सूर्य से यह भी पता चलता है कि व्यक्ति का समाज में कितना सम्मान है, उसका नेतृत्व कौशल कैसा है और वह जीवन में कितनी प्रसिद्धि प्राप्त करेगा।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी बताते हैं कि सूर्य का बल व्यक्ति को राजसत्ता, प्रशासनिक पद, सफलता, उच्च सम्मान और आर्थिक स्थिरता देता है। यदि यह ग्रह नीच स्थिति (तुला राशि) में हो या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यक्ति को अहंकार, क्रोध, पिता से विवाद, या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

सूर्य ग्रह और सफलता का गहरा संबंध

सूर्य को सफलता और आत्मविश्वास का स्रोत माना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, वह दूसरों से अलग पहचान बनाता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्म और नेतृत्व से समाज में उदाहरण प्रस्तुत करता है।

  • करियर और प्रतिष्ठा में सफलता:
    सूर्य उच्च पद, सरकारी कार्य, प्रशासन, राजनीति और नेतृत्व से संबंधित क्षेत्रों में सफलता देता है।
    इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, जिनकी कुंडली में सूर्य बलवान होता है, वे व्यक्ति अपने कर्म से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।

  • आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता:
    सूर्य आत्मबल का प्रतीक है। मजबूत सूर्य व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास के साथ निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है। कमजोर सूर्य होने पर व्यक्ति में असुरक्षा, संदेह और आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है।

  • प्रेरणा और नेतृत्व क्षमता:
    सूर्य ग्रह व्यक्ति को नेतृत्व करने की प्रेरणा देता है। यह ग्रह व्यक्ति के भीतर शासन करने, लोगों को मार्गदर्शन देने और समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता उत्पन्न करता है।

सूर्य ग्रह की स्थिति से प्रभावित जीवन के क्षेत्र

सूर्य की स्थिति कुंडली के जिस भाव में होती है, वह उस क्षेत्र को अधिक प्रभावित करता है।
एस्ट्रोलॉजर साहू जी बताते हैं —

  • पहले भाव में सूर्य: आत्मविश्वासी, नेतृत्व गुणों से युक्त और प्रसिद्ध व्यक्ति।

  • दूसरे भाव में सूर्य: परिवार और वाणी से जुड़ी सफलता, परंतु कभी-कभी पारिवारिक मतभेद।

  • दसवें भाव में सूर्य: अत्यंत शुभ स्थिति — करियर, शासन और सामाजिक पहचान में वृद्धि।

  • बारहवें भाव में सूर्य: आत्मविश्वास की कमी, परिश्रम के बाद सफलता।

यदि सूर्य शुभ भावों में स्थित हो और किसी पाप ग्रह से प्रभावित न हो, तो व्यक्ति का जीवन चमकदार होता है।

सूर्य ग्रह कमजोर होने के लक्षण

कमजोर या नीच सूर्य के कारण व्यक्ति को जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है। इसके कुछ संकेत हैं:

  • पिता से मतभेद या दूरी

  • आत्मविश्वास की कमी

  • आंखों, हृदय या रक्तचाप संबंधी समस्याएँ

  • सरकारी कार्यों में बाधा

  • सम्मान में कमी या अपमान की स्थिति

 यदि कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो व्यक्ति को नियमित उपायों से इसे सशक्त बनाना चाहिए ताकि जीवन में सफलता और सम्मान पुनः प्राप्त हो सके।

सूर्य ग्रह को मजबूत करने के ज्योतिषीय उपाय

  • सूर्य को अर्घ्य दें:
    प्रतिदिन सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल में लाल फूल और चावल डालकर अर्घ्य दें। इससे सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।

  • ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जप करें:
    यह मंत्र सूर्य की ऊर्जा को जगाता है और आत्मबल बढ़ाता है। रोज़ाना कम से कम 108 बार जप करना शुभ माना गया है।

  • रविवार का व्रत रखें:
    रविवार सूर्य का दिन है। इस दिन व्रत रखने और लाल वस्त्र पहनने से सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।

  • माणिक्य रत्न धारण करें:
    यदि सूर्य कमजोर हो तो माणिक (Ruby) धारण करना लाभदायक होता है। इसे सोने की अंगूठी में जड़वाकर रविवार के दिन सूर्योदय के समय पहनें। (इससे पहले योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।)

  • गाय को गुड़ और गेहूं खिलाएं:
    यह उपाय सूर्य को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मविश्वास बढ़ता है।

  • पिता का सम्मान करें:
    सूर्य ग्रह का संबंध पिता से होता है। इसलिए अपने पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों का आदर करना सूर्य की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम उपाय है।

सूर्य ग्रह और आध्यात्मिक सफलता

सूर्य केवल भौतिक सफलता ही नहीं देता, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी कारक है। यह व्यक्ति को सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और कर्म मार्ग पर स्थिर रहने की शक्ति प्रदान करता है। सूर्य की ऊर्जा व्यक्ति को आलस्य से मुक्त कर कार्यशील बनाती है।

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह व्यक्ति के जीवन की मुख्य शक्ति है। यह आत्मा, आत्मविश्वास, और सफलता का प्रतीक है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत है, तो आप समाज में चमकते सितारे बन सकते हैं। वहीं यदि यह कमजोर है, तो उचित उपायों द्वारा इसे मजबूत किया जा सकता है।


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जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में शांति, सफलता और सम्मान बना रहे, लेकिन कभी-कभी बिना कारण ही विरोधी, ईर्ष्यालु लोग या गुप्त शत्रु हमारे मार्ग में बाधा बन जाते हैं। ऐसा लगता है कि किसी अदृश्य शक्ति के कारण कार्य सफल नहीं हो पा रहे, बार-बार रुकावटें आ रही हैं, या दूसरों से अनावश्यक शत्रुता हो रही है।
ज्योतिष शास्त्र इस स्थिति को “शत्रु दोष” कहता है।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी के अनुसार —

“जब व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या शत्रु भाव (षष्ठ भाव) प्रभावित होता है, तब जीवन में विरोधियों की वृद्धि होती है और बार-बार संघर्ष का सामना करना पड़ता है।”

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि शत्रु दोष क्या है, इसके ज्योतिषीय कारण क्या हैं, और इससे मुक्ति पाने के सशक्त उपाय कौन-से हैं।

शत्रु दोष क्या होता है?

ज्योतिष के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में षष्ठ भाव (छठा घर) शत्रु, रोग और ऋण का सूचक होता है।
जब इस भाव में पाप ग्रहों (मंगल, राहु, केतु, शनि) का अशुभ प्रभाव पड़ता है या यह भाव कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन में शत्रु बढ़ते हैं, बिना कारण विवाद होता है और दूसरों की ईर्ष्या से कार्य बाधित होते हैं।

कभी-कभी शुभ ग्रह भी अशुभ स्थिति में आने पर शत्रु दोष का निर्माण करते हैं।
यह दोष केवल बाहरी विरोधियों से नहीं, बल्कि मन के शत्रुओं — जैसे अहंकार, भय, क्रोध, ईर्ष्या और असुरक्षा से भी संबंधित होता है।

कुंडली में शत्रु दोष के ज्योतिषीय संकेत

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी बताते हैं कि कुंडली में कुछ ग्रह स्थिति विशेष रूप से शत्रु दोष का संकेत देती है —

  • षष्ठ भाव में राहु या केतु — व्यक्ति को छिपे हुए शत्रु और षड्यंत्रों से पीड़ा होती है।

  • षष्ठ भाव में मंगल या शनि — जीवन में संघर्ष, झगड़े और कानूनी विवाद बढ़ते हैं।

  • षष्ठ भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि — अनावश्यक शत्रु बनते हैं, लोग पीछे से विरोध करते हैं।

  • दशा या अंतरदशा में शत्रु भाव के ग्रह सक्रिय हों — यह समय विरोधियों के कारण हानि दे सकता है।

  • चंद्रमा और राहु का संबंध — मानसिक तनाव और भय का संकेत।

यदि कुंडली में इन ग्रह योगों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति को बार-बार अनचाही शत्रुता और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

शत्रु दोष के कारण होने वाली परेशानियाँ

  • मित्र या सहकर्मी शत्रु बन जाते हैं।

  • बिना कारण झगड़े या कानूनी विवाद होते हैं।

  • कार्य में अड़चनें या विलंब होता है।

  • सफलता के समय कोई न कोई रुकावट आ जाती है।

  • मन में भय, असुरक्षा या बेचैनी बनी रहती है।

  • कभी-कभी नकारात्मक ऊर्जा या नजर दोष का भी प्रभाव होता है।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी कहते हैं कि शत्रु दोष केवल बाहरी विरोधियों से नहीं, बल्कि ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से उत्पन्न मानसिक असंतुलन का परिणाम भी होता है।

शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

यदि आपकी कुंडली में शत्रु दोष के योग हैं, तो निम्न उपायों द्वारा इससे मुक्ति पाई जा सकती है।
ये उपाय ज्योतिष शास्त्र पर आधारित और पूर्णतः शुभ परिणाम देने वाले हैं —

हनुमान जी की उपासना

हनुमान जी को बल, साहस और शत्रु विनाश का देवता माना गया है।
प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार या शनिवार को “शत्रुनाशक हनुमान कवच” का पाठ विशेष रूप से लाभकारी है।

मंत्र:

ॐ हं हनुमते नमः
यह मंत्र शत्रु भय को दूर करता है और आत्मबल को बढ़ाता है।

दुर्गा सप्तशती या देवी उपासना

यदि शत्रु मानसिक या आध्यात्मिक स्तर पर हानि पहुंचा रहे हों, तो माता दुर्गा की उपासना अत्यंत प्रभावी होती है।
नवरात्रि या शुक्रवार के दिन “दुर्गा सप्तशती” का पाठ करें।
यह नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती है।

ग्रह शांति पूजा

यदि शत्रु दोष का कारण राहु, केतु या शनि हैं, तो इन ग्रहों की शांति के लिए विशेष उपाय करें —

  • शनिवार को तिल का तेल और काली उड़द का दान करें।

  • राहु-केतु शांति यंत्र की स्थापना करें।

  • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” और “ॐ रां राहवे नमः” मंत्रों का जाप करें।

विष्णु सहस्रनाम और गायत्री मंत्र

जो व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री मंत्र या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है, उसके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा स्वतः नष्ट हो जाती है।
यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में अत्यंत सहायक होता है।

रत्न उपाय (Gemstone Remedies)

शत्रु दोष से मुक्ति के लिए कुंडली अनुसार उचित रत्न धारण करना भी अत्यंत प्रभावी होता है।

  • नीलम (Blue Sapphire) – यदि शनि शुभ हो।

  • मूंगा (Red Coral) – यदि मंगल शुभ हो।

  • गोमेद (Hessonite) – यदि राहु शुभ स्थिति में हो।
    इन रत्नों का धारण केवल किसी अनुभवी ज्योतिषी जैसे एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह पर ही करें।

यंत्र स्थापना

शत्रु दोष से सुरक्षा के लिए निम्न यंत्र प्रभावी माने गए हैं —

  • शत्रुनाशक यंत्र

  • हनुमान यंत्र

  • कालभैरव यंत्र
    इन यंत्रों की स्थापना मंगलवार या शनिवार को विधि-विधान से करें।

सेवा और दान

ज्योतिष कहता है कि जब व्यक्ति दूसरों की सेवा करता है, तो उसके ग्रह संतुलित हो जाते हैं।

  • शनिवार को गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करें।

  • किसी मंदिर में दीप जलाएं।

  • गौसेवा या ब्राह्मण सेवा करें।
    इससे शत्रु ग्रहों की शांति होती है।

शत्रु दोष को दूर करने के अतिरिक्त आध्यात्मिक उपाय

  • प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पण करें।
  • घर में नियमित रूप से शुद्धिकरण (धूप, दीप, कपूर) करें।
  • अपने कमरे में नकारात्मक चित्र या वस्तुएँ न रखें।
  • घर में हनुमान जी या माता दुर्गा का चित्र स्थापित करें।
  • बुरी नज़र और ईर्ष्या से बचने के लिए “नजर कवच” पहनें।

ग्रह स्थिति जो शत्रु दोष को नियंत्रित करती है

  • शनि का शुभ प्रभाव व्यक्ति को धैर्य और संयम देता है।

  • मंगल का संतुलन साहस और आत्मरक्षा की शक्ति प्रदान करता है।

  • बृहस्पति का प्रभाव शत्रुओं के षड्यंत्रों से रक्षा करता है।

  • सूर्य की शक्ति आत्मविश्वास और सम्मान बढ़ाती है।

इसलिए यदि कुंडली में ये ग्रह अनुकूल हों, तो व्यक्ति हर प्रकार के विरोध से विजयी होता है।

 एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी कहते हैं —

“शत्रु दोष से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझकर सुधारना चाहिए। ग्रहों का असंतुलन व्यक्ति को भ्रमित करता है, लेकिन सही उपाय करने से वही ग्रह रक्षा कवच बन जाते हैं।”

वे आगे बताते हैं कि शत्रु दोष से मुक्ति केवल मंत्र-जाप से नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच और अच्छे कर्मों से भी संभव है।
जब व्यक्ति अपने जीवन में सत्य, अनुशासन और सेवा का भाव अपनाता है, तब कोई शत्रु या बाधा उसे हानि नहीं पहुंचा सकती।

शत्रु दोष नहीं, आत्मबल बनाइए

शत्रु दोष जीवन की एक परीक्षा है जो हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाती है।
ज्योतिष केवल ग्रहों का अध्ययन नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना को संतुलित करने का विज्ञान है।
यदि हम अपने कर्मों को शुद्ध रखें, ईश्वर में विश्वास रखें और उचित ज्योतिष उपाय करें, तो कोई भी शत्रु दोष लंबे समय तक प्रभाव नहीं डाल सकता।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी कहते हैं —

“ग्रहों से बड़ा कोई शत्रु नहीं, और सही कर्म से बड़ा कोई उपाय नहीं।”

इसलिए सदैव नकारात्मक विचारों से दूर रहें, ईश्वर का स्मरण करें और जीवन में शांति का मार्ग अपनाएँ।

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धनतेरस 2025: शुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति – ज्योतिष दृष्टि से

धनतेरस 2025: शुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति – ज्योतिष दृष्टि से

धनतेरस 2025: शुभ मुहूर्त

धनतेरस, दीपावली का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार, न केवल धन और समृद्धि का प्रतीक है बल्कि ग्रहों की स्थिति के अनुसार जीवन में सुख, स्वास्थ्य और व्यापार में लाभ भी लाता है। ज्योतिष शास्त्र में धनतेरस को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि इस दिन किये गए कार्य, निवेश और खरीदारी का असर पूरे साल पर पड़ता है।

धनतेरस 2025 का ज्योतिषीय महत्व

धनतेरस के दिन सौभाग्य, धन और संपत्ति के देवता – कुबेर और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन ग्रहों की स्थिति और शुभ मुहूर्त व्यापार, निवेश और घर की खरीदारी में सफलता प्रदान करते हैं।

  • शुभ ग्रह: वृहस्पति, शुक्र और सूर्य।

  • लाभ: धन वृद्धि, आर्थिक स्थिरता और पारिवारिक खुशहाली।

धनतेरस 2025 का शुभ मुहूर्त

मुख्य मुहूर्त:

  • दिनांक: 10 नवंबर 2025 (सोमवार)

  • समय: सुबह 06:45 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक

विशेष टिप्स:

  • सुबह के समय सोना, चाँदी या नए धन संबंधी निवेश करें।

  • इस समय घर और कार्यालय में पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

राशि अनुसार धनतेरस 2025 के प्रभाव

राशि अनुसार धनतेरस

मेष राशि:

  • लाभ और निवेश के लिए शुभ समय।

  • उपाय: लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएँ।

वृषभ राशि:

  • संपत्ति और नए निवेश में वृद्धि।

  • उपाय: लाल रंग के दीपक और पुष्प अर्पित करें।

मिथुन राशि:

  • व्यापारिक सौदे और साझेदारी सफल।

  • उपाय: कार्यालय में चौमुखी दीपक रखें।

कर्क राशि:

  • पारिवारिक निवेश और स्वास्थ्य में लाभ।

  • उपाय: घर के उत्तर-पूर्व दिशा में दीपक और फूल रखें।

सिंह राशि:

  • निवेश और व्यवसायिक यात्रा के लिए शुभ।

  • उपाय: सुनहरे रंग के दीपक जलाएँ।

कन्या राशि:

  • धन की स्थिरता और नई योजना में सफलता।

  • उपाय: पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें।

तुला राशि:

  • नए व्यापारिक अवसर और लाभ।

  • उपाय: नीले रंग के दीपक और फूल रखें।

वृश्चिक राशि:

  • जोखिम वाले निवेश में सावधानी रखें।

  • उपाय: काले रंग का दीपक और हल्का दान करें।

धनु राशि:

  • व्यापारिक विस्तार और साझेदारी में लाभ।

  • उपाय: लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।

मकर राशि:

  • संपत्ति और निवेश में स्थिरता।

  • उपाय: घर के पूजा स्थान को साफ रखें और दीपक जलाएँ।

कुंभ राशि:

  • नए व्यवसाय और आर्थिक अवसर।

  • उपाय: नीले और हरे रंग के दीपक जलाएँ।

मीन राशि:

  • निवेश और साझेदारी में सफलता।

  • उपाय: सफेद रंग के दीपक और फूल रखें।

धनतेरस 2025 के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय

  • घर और कार्यालय में दीपक और मोमबत्ती जलाएँ।

  • लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा के सामने चौमुखी दीपक रखें।

  • लाल और सुनहरे रंग की सजावट और फूलों का प्रयोग करें।

  • व्यापारियों के लिए धन वृद्धि हेतु गणेश और कुबेर मंत्र का जाप करें।

  • निवेश और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करें।

धनतेरस पर खरीदारी और निवेश का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस पर सोना, चाँदी और नई संपत्ति खरीदना अत्यंत शुभ होता है। इससे न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, बल्कि ग्रहों की कृपा से घर और व्यवसाय में समृद्धि आती है।

धनतेरस 2025 ग्रहों की अनुकूल स्थिति और शुभ मुहूर्त के साथ व्यवसाय, निवेश और घर की खुशहाली के लिए उत्तम अवसर है। राशि अनुसार उपाय और पूजा के सही समय का पालन करने से आप न केवल धन और सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ा सकते हैं। इस धनतेरस, ग्रहों की कृपा और ज्योतिषीय उपायों से अपने जीवन को उज्जवल बनाएं।

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